सीवीआरयू की जमीं पर उतरे शोध के सितारे

Shri Mi
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anveshan_1विश्व में प्रगति रिसर्च से ही-डाॅ.पाणी
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर सीवीआरयू में शोध कुंभ
दो दिवसीय अनवेंशन-2017 में 7 राज्यों के भावी वैज्ञानिक जुटे
बिलासपुर(करगीरोड)।डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के अनवेंशन-2017 में 7 राज्यों के विश्वविद्यालय से आए युवा वैज्ञानिको ने एक से बढ़कर एक माॅडल बनाए और अपने रिसर्च की सोच को सबके सामने रखा। इसमें उर्जा संरक्षण, रासानिक उर्वकता को खत्म कर जैविक खाद उत्पादन, दिव्यों के जीवन शैली में बदलाव का डिवाइस, जल और थल में चलने वाला मानव रहित विमान, बुलेट ट्रेन से भी तेज रफ्तार की ट्रेन और स्मार्ट डायनमिक वाशर शोधार्थियों ने दिखाए। शोधार्थियों ने मूलभूत समस्या और निदान, प्राकृति संपदा का समुचित उपयोग, दिव्यांगों की सुविधा के आत्याधुनिक उपकरण बनाकर अपनी वैज्ञानिक सोच का सबके सामने रखा। युवा वैज्ञानिकों ने बायोडिजल,आयुर्वेद औशधि, सोलर सिस्टम,उर्जा सरंक्षण के अलावा स्वचलित तकनीकी सिस्टम पर अनके माॅडल प्रदर्शितए। इन माॅडलों में माॅडल ऐसे भी है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कारों से नवाजा गया है, वहीं जड़ी-बूटी पेड़ पौधों के माध्यम से आयुर्वेद औशधी और बायोडिजल का माॅडल आकर्शक का केंद्र हैं।

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anveshan_4कार्यक्रम के पहले दिन शुभारंभ अवसर पर अतिथि एआईयू के डिप्टी डायरेक्टर ने अमरेंद्र पाणी कहा कि विश्व की प्रगति रिसर्च से ही हुई है। जंगलों में रहने वाले मानव आज विकसित राश्ट्र और अंतरिक्ष तक जा पहुंचा है। इसका एक मात्र कारण यह है कि हर समय में रिसर्च होते गए और हम यहां तक आ पहुंचे। यहां आने से पहले और यहां आने के बाद सबसे पहला मन में सवाल यह है कि रिसर्च क्यों। इसका जवाब यह है कि रिसर्च के तीन प्रमुख कारण है, पहला ये कि कोई व्यवस्था नहीं है तो व्यवस्था बनाने केा लिए। दूसरा खराब व्यवस्था को बेहतर करने के लिए और तीसरा यह कि इस विश्व में जो ज्ञान फैला हुआ है उस ज्ञान को समाज हित के लिए कलेक्ट करने के लिए। इन तीन कारणों से शोध किया जाता है।इस मौके पर अतिथि के रूप में डाॅ. उशारानी नेगी अस्टिेट डायरेक्टर रिसर्च एआईयू, डाॅ. वी.के.वर्मा पूर्व कुलपति आईसेक्ट विवि भोपाल, डाॅ. ए.के.ग्वाल कुलपति आईसेक्ट विवि भोपाल, डाॅ.आर.एन यादव कुलपति आईसेक्ट हजारीबाघ विवि झारखंड, विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, अधिकारी-कर्मचारी और बड़ी संख्या में शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे।

anveshan_5शोध से बढ़ती है क्षमता-बंशगोपाल
इस अवसर पर अतिथि सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. बंशगोपाल सिंह ने कहा कि शोध से क्षमता बढ़ती है। रिसर्च में हमें यह तय करना होता है कि हम किस स्तर का रिसर्च तय करते हैं। पहला नौकरी चलाने के लिए दूसरा खुद के सम्मान के लिए और तीसरा सेल्फ रियलाईजेशन यानी कि खुद की क्षमता के प्रगति के प्रयास के लिए। पहले के दो विशयों के रिसर्च उतने महत्वपूर्ण नहीं होते जितने की सेल्फ रियलाईजेशन के लिए किए जाने के लिए किया गया शोध होता है। इसलिए शोध तो सेल्फ रियलाइजेशन के लिए होना चाहिए। इस अवसर पर आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के.ग्वाल और पूर्व कुलपति डाॅ.वी.के. वर्मा ने शोधार्थियों को संबोधित किया। कार्यक्रम का आभार प्रकट एआईयू के विश्वविद्यालय समन्वयक डाॅ.पी.के.नायक ने किया।

रिसर्च की प्रेरणा की परंपरा जारी रहे-कुलपति
anveshan_3इस मौके विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. आर.पी.दुबे ने कहा कि आज का दिन तीन कारणों से महत्व रखता है। पहला यह कि आज के दिन स्वामी रामकृश्ण परमहंस जन्म हुआ था, साथ ही हमारे देश के प्रथम राश्ट्रपति डाॅ राजेंद्र प्रसाद जी का भी जन्म दिन है। इसके साथ ही 28 फरवरी नेशनल साइंस डे के रूप में मनाया जाता है। जो कि डाॅ. चंद्र शेखर वेंकटरमन ने रमन इफेक्ट (समुद का पानी नीला) से विश्व को अवगत कराया। स्टूडेंट रिसर्च कन्वेशन विद्यार्थियों को रिसर्च की प्रेरणा देने के लिए है और यह उच्च शिक्षा में रिसर्च परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए है। प्रो. दुबे एआईयू और शोधार्थियों का आभार जताया ।

शोधार्थियों का क्षेत्र रसातल से आसमान तक-कुलसचिव
nveshan_2इस अवसर डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने कहा कि स्कूल से लेकर स्नातक और स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी का पाठ्यकम तय होता है और उसी आधार पर उसकी परीक्षा भी ली जाती है। इस अनुसार उसकी योग्यता तय होती है,लेकिन शोधार्थियों का कोई पाठ्यक्रम तय नहीं होता, वह तो ज्ञान के रसातल से आसमान तक विचारण करता है। इसके बाद ही वह शोध के लिए एक कदम आगे बढ़ाता है। इसके बाद यह बात ज्यादा महत्वपूर्ण है कि अपने शोध को सार्वजनिक रूप से चुनौती के लिए तैयार करके शिक्षाविद्वों के सामने रखने का जज्बा हर किसी में नहीं होता। आज इसी जज्बे के साथ अपने शोध को दुनिया के सामने दिखाने आए शोधार्थियों का मै सलाम करता हुं। श्री पाण्डेय ने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालय संघ के माध्यम से देश के सभी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को मंच मिलता है, और शोधार्थियों को पूरी आत्मविष्वास के साथ अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है।

ये रहे निर्णायक
डाॅ. एम.एन.झा. विभागाध्यक्ष, माईक्रोबायोलाॅजी, डाॅ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृशि विश्वविद्यालय बिहार, डाॅ. ए.के.ग्वाल कुलपति आईसेक्ट विश्वविद्यालय भोपाल,डाॅ. डब्लू बी. गुरूनुले कमलानेहरू महाविद्यालय नागपुर, डाॅ. राकेश कुमार पाण्डेय नरहरिया स्टेट बस्ती उत्तर प्रदेश, डाॅ. जितेंद्र रामटेके विभागाध्यक्ष फिजिक्स, डाॅ. एस.एन मोहता काॅलेज आफ साइंस नागपुर, डाॅ.ए.के. सिघई विभागाध्यक्ष इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग काॅलेज कोनी बिलासपुर, डाॅ.आर.एन.यादवा कुलपति हजारीबाघ, डाॅ.वी.के.वर्मा पूर्व कुलपति आईसेक्ट विवि भोपाल, डाॅ. भावना रायजादा सिम्स बिलासपुर, डाॅ.वीना मोटवानी सिम्स बिलासपुर, डाॅ.एस.के.शर्मा पीएनएस काॅलेज बिलासपुर, डाॅ पुश्कर दुबे सुंदर लाल शर्मा विश्वविद्यालय।
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स्मार्ट ट्रेकिंग और माॅनिटरिंग सिस्टम

आईसेक्ट विवि भोपाल के विद्यार्थी शिशिर सारथी,हिमांशु चैहान और निश्ठला अमिठठा अपने प्राध्यापक प्रीति माहेश्वरी दिशा निर्देश पर स्मार्ट ट्रैकिंग एण्ड माॅनिटिटिंग सिस्टम एनवायर मेंटल पाॅल्यूशन विशय पर कम खर्चे मे एक एैसा माॅडल लेकर आए है जो गैस धुआँ, कैमिकल प्रदुशित जल एलपीजी और ध्वनि के खतरनाक स्थिति की सूचना मोबाइल कम्प्यूटर और सायरन के माध्यम से देते है साथ ही उनका माॅडल हार्ट बीट भी बना सकता है।

शैवाल और करंज के बीज से बनेगा डीजल
मेजबान सीवीआरयू के विद्यार्थियों करंज के बीज और पानी में तैरने वाले शैवाल (काई) को बायो डीजल में परिवर्तित करने सफल माॅडल तैयार किया है। इससे करंज के बीज को रासायनिक प्रक्रिया के बाद बायो डीजल के रूप में परिवर्तित कर इंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। करंज के बीज से तैयार बायो डीजल का प्रदर्शन लालटेन जलाकर किया। इसी तरह शैवाल को बायो डीजल के रूप में परिवर्तित करते हुए माॅडल का प्रदर्शनया गया।

अब वाशिग मशीन किफायती दर में आपके घर
स्मार्ट डायनेमिक बाशर (विमल प्रक्षालक) संत गाडॅगेबाबा विद्यापीठ अमरावती के छात्र यश प्रमोद पुरी के वाशि मशिन को महाराश्ट्र सरकार ने स्वर्णपदक से सम्मानित किया है वाशिग मशीन में खासियत ये है कि उसमें इस्तमाल होने वाले सभी कलपुर्जे स्वदेशी होने के साथ ही जल का रिसायकलिंग किया जाता है साथ ही विद्युत खपत भी काफी कम है सामान्य वॉशिंग मशिन की तुलना में स्मार्ट डायनेमिक वाशर काफी किफायती वजन में हल्का और तेज गति से काम करने वाला वाशिग मशीन है।

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By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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