फर्जी सिमकार्ड बेचने वाले 2 आरोपियों को मिली सजा, 10 वर्ष का सश्रम कारावास

Shri Mi
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Neemuch News : मध्यप्रदेश के नीमच में फर्जी दस्तावेज तैयार कर सिमकार्ड बेचने वाले दो आरोपियों को सजा मिली है। जिन्हें प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सोनल चौरसिया द्वारा सत्यनारायण और गोविंद को 10-10 वर्ष के सश्रम कारावास व 2 हजार रूपये अर्थदण्ड लगाए है। आइए विस्तार से जानें पूरा मामला…

             
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प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक इमरान खान ने जानकारी देते हुए बताया कि, घटना जून 2016 की है, जब फरियादी डॉक्टर रमेश दक के मोबाईल नंबर पर अन्य मोबाईल नंबर से धमकाने वाला SMS आया और उसी दिन शाम को उनके हॉस्पीटल के टेलीफोन पर भी मौलाना नाम के व्यक्ति का धमकाने वाला फोन आया। जिसके बाद फरियादी ने इसकी सूचना पुलिस थाना नीमच केंट में दर्ज करवाई। जिस पर से अपराध क्रमांक 337/16 की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख की गई।

वहीं, विवेचक SI कैलाश सोलंकी ने धमकाने वाले मोबाईल नंबर का पता किया और इस्तेमाल हो रहे सिमकार्ड की जानकारी का पता लगाया जो कि हीरालाल निवासी प्रतापगढ़ का होना पाया गया। जिसे हिरासत में लेकर पुछताछ की गई, जिसमें पता चला कि उसने कभी इस सिमकार्ड का उपयोग नहीं किया हैं। जिसके बाद साइबर सेल से जानकारी प्राप्त करने पर पता चला की सिमकार्ड को ग्राम-धमोतर के एयरटेल कंपनी के रिटेलर गोविंद राठौर द्वारा हीरालाल के दस्तावेजों को छलपूर्वक प्राप्त किया गया। उसके बाद फर्जी हस्ताक्षर लेकर सिम को एक्टीवेट करके सब-डीलर सत्यनारायण को दी गई। जिसके बाद सिमकार्ड कमलेश व मौलाना को प्राप्त हुई।

अपराध को किया प्रमाणित

विवेचना के दौरान आरोपीगण को गिरफ्तार कर शेष आवश्यक अनुसंधान पूर्णकर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विचारण के दौरान आरोपी मौलाना व कमलेश के फरार होने से आरोपीगण सत्यनारायण व गोविंद के विरूद्ध विचारण पूर्णकर निर्णय पारित किया गया। वहीं, न्यायालय में फरियादी, विवेचक एवं साईबर विशेषज्ञ सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराकर आरोपीगण द्वारा फर्जी दस्तावेजों की सहायता से फर्जी सिमकार्ड बेचने के अपराध को प्रमाणित कर दिया गया। साथ ही, उन्हें कठोर दण्ड से देने का निवेदन किया गया।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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