बिलासपुर । संभागीय कमिश्नर सोनमणि बोरा ने अचानकमार अभ्यारण क्षेत्र का दौरा कर कहा है कि अचानकमार अभ्यारण में बाघों के लिए सभी तरह से जरूरी वातावरण उपलब्ध है। केवल इसका उचित प्रबंधन करने की आवश्यकता है। उन्होंने वन अधिकारियों को निर्देश दिया हैं कि अचानकमार अभ्यारण के बेहतर प्रबंधन के लिए देश के अन्य अभ्यारण्यों का भ्रमण कर वहां लागू कार्ययोजना पर रिपोर्ट तैयार करे।
श्री बोरा ने अचानकमार टाइगर रिर्जव क्षेत्र का भ्रमण किया। उन्होंने इस दौरान वन्य प्राणियों के रहवास और संवर्धन के लिए किये गये प्रबंधों का भी जायजा लिया। उन्होनें अधिकारियों से कहा अचानकरमार में बाघों व अन्य वन्य प्राणियों का होना संभाग के लिए गर्व का विषय है। यहां के बाघ बिलासपुर संभाग को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाते है। इसलिए वन अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे बाघों के संरक्षण व संवर्धन पर पूरी गंभीरता से ध्यान दे। यहां प्राकृतिक रूप से हरे-भरे पेड़ों के साथ घास भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जो वन्य पशुओं के लिए उपयोगी है । पर्यटन की दृष्टि से विकास के साथ साथ ही वन्य प्राणियों एवं जंगल की सुरक्षा के लिए भी सभी आवश्यक उपाय किए जाए। अचानकमार टाईगर रिर्जव क्षेत्र से हटाये गये गांवों के खाली खेतों में वन्य प्राणियों के लिए चारागाहों का विकास किया जा रहा है।
ग्राम जल्दा में 25 हेक्टेयर में विकसित किये जा रहे चारागाह का श्री बोरा ने निरीक्षण करते हुए कहा कि इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। खाली खेतों पर प्राकृतिक चारागाह के विकास के लिए खरपतवारों की समय समय पर सफाई करने हेतु निर्देश दिया। इससे यहाॅ हिरण एवं बाईसन के अलावा दूसरे प्राणियों को भी चारा मिलेगा। इस क्षेत्र में वन विभाग द्वारा स्टाइलोमाटा (घास) लगाया गया है। उक्त घास वन भैंसों के लिए उपयोगी है। साथ ही ये घास जब लंबे होगे तो बाघों को भी शिकार करने और अपने वंश वृद्धि का वातावरण मिलेगा। वन विभाग द्वारा लमनी परिक्षेत्र के बाकल एवं कूबा में भी इस प्रकार के चारागाह विकसित किये गये हैं। उन्होंने ऐसे चारागाह एटीआर से बाहर के गांवों में भी विकसित करने के निर्देश दिए हैं।