अतिक्रमण हूआ नहीं..कराया गया..अटल आवास वितरण धांधली पर बोले…शैलेन्द्र, सबको मालूम है किसने किया

BHASKAR MISHRA
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atal awasबिलासपुर— अटल आवास बिकता है…। खुद अटल आवास में रहने वालों कहना है। अधिकारियों का तर्क है कि कुछ लोगों ने अटल आवास में जबरदस्ती कब्जा कर लिया है। अब निकलने को तैयार नहीं है। कांग्रेस नेता शैलेन्द्र जायसवाल ने बताया कि बिना नोटिस घर तोड़ा जा सकता है..फिर अतिक्रमण करने वालों को हटाया क्यों नहीं जा सकता। निगम अधिकारी झूठ बोल रहे हैं..जिन्हें अतिक्रमणकारी कहा जा रहा है उनसे पचास हजार से 2 लाख रूपए लेकर अटल आवास में प्रवेश दिलाया गया है। यह अलग बात है कि कई लोगों को अभी तक पर्ची नहीं मिली है। निगम अधिकारी जिन्हें अतिक्रमणकारी कह रहे हैं जिस दिन बाहर निकालने की कोशिश करेंगे…सच्चाई सामने आ जाएगी। भाई साहब अतिक्रमण हुआ नहीं…कराया गया है।

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             झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों के लिए शासन ने पक्का मकान देने का वादा किया। आईएचएसडीपी यानि इंटीग्रेटेड हाउसिंग एण्ड स्लम डेवलपमेन्ट प्रोग्राम को जमीन पर उतारा गया। जिसे लोग आज अटल आवास कहते हैं। शहर की सरकारी और माडगेज जमीनों पर करोड़ों रूपए खर्च कर अटल आवास का निर्माण किया गया। बिलासपुर में भी अलग-अलग जगहों पर करीब 6000 अटल आवास बनाए गए। समय के सभी आवास खण्डहर भी होते गए। मुख्य वजह लम्बे समय तक आवास का वितरण नहीं किया जाना था। अतिक्रमण अभियान के बाद कई झुग्गी झोपड़ी बस्तियों को गिराया गया। विस्थापित लोगों को यहां वहा बनाए गए अटल आवास में शिफ्ट किया गया। इसी दौरान और इसके पहले भी निगम अधिकारियों ने फर्जी तरीके से सैकड़ों विस्थापितों के अलावा गैर विस्थापितों को भी अटल आवास में शिफ्ट कर दिया। अब कहा जा रहा है कि लोगों ने अटल आवास में बेजा कब्जा कर लिया हैं।

शहर में 6 हजार से अधिक अटल आवास

                     नाम नहीं छापने की शर्त पर भाजपा के एक पार्षद ने बताया कि निगम क्षेत्र या सटे गावों में करीब 6 हजार से अधिक अटल आवास बनाए गए हैं। कमोबेश सभी आवास भर भी गए हैं। आधा से ज्यादा अटल आवास तो अधिकारियों ने चंदा लेकर दिया है। जिन्हें अतिक्रमण बताया जा रहा है। दरअसल अतिक्रमण हुआ ही नहीं है। क्योंकि सभी लोगों ने मकान पाने के लिए रूपए दिये हैं। अधिकारियों ने फर्जी निवास,और अन्य कागजात पूरा कर आवास दिया है। कई कालोनियों में तो निगम अधिकारियों ने पर्ची भी नहीं दिया है। उन्हें ही अतिक्रणकारी बताया जा रहा है। दरअसल अतिक्रमण हुआ ही नहीं..बल्कि कराया गया है।

कहां कहां है अटल आवासnagar nigam 1

           भाजपा पार्षद ने बताया कि निगम क्षेत्र और आसपास के गांव में आधा दर्जन से अधिक जगहो में अटल आवास बनाया गया है। जिन क्षेत्रों में अटल आवास बने उनमें प्रमुख नाम चांटीडीह के विजयापुरम और सोनगंगा कालोनी, बहतराई चौक में रिकान्डों बस्ती, बहतराई स्थित नाग नागिन तालाब और जाब इन्क्लेव हैं। इसके अलावा अटल आवास मुरूम खदान, सरकंडा के प्रगतिविहार,राधिका विहार में भी बनाए गए हैं। राजकिशोर नगर स्थित हरसिंगार में भी अटल आवास बना है। कुल मिलाकर शासन ने 6 हजार से अधिक अटल आवास बनाए हैं। लेकिन इनमें रहने वाले लोग विस्थापित कम अधिकारियों को खुश करने वाले ज्यादा हैं।

50 हजार से 2 लाख की बोली

                      जाव इन्क्लेव,हरसिंगार,राधिका और प्रगतिविहार स्थित अटल आवास में बाहरी लोगों को प्रवेश कराया गया है। इनका अतिक्रमण अभियान से कोई लेना देना नहीं है। ज्यादातर लोग मस्तूरी,तखतपुर,बिल्हा ग्रामीण क्षेत्रों के लोग हैं। इनका संबध ना तो शहर के किसी झुग्गी झोपड़ी से है और ना ही अतिक्रमण अभियान के शिकार हुए हैं। सभी लोगों को जिम्मेदार निगम अधिकारियों ने प्लांट किया है। किसी को 40 हजार में तो किसी को 50-60 हजार से लेकर डेढ़ लाख रूपए में अटल आवास बेचा गया है। जाव इन्क्लेव में 2 लाख की बोली लगी है।

स्थानीय पार्षद भी जिम्मेदार

 SHAILENDRA JAISAWAL                    अटल आवास वितरण के समय स्थानीय पार्षदों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उनकी ही निगरानी में हितग्राहियों को आवास दिया जाता है। बावजूद इसके आवास में बाहरी लोग हैं तो स्थानीय पार्षद की भूमिका संदिग्ध है। जाब इन्क्लेव मे तो अभी तक निगम ने बहुत लोगों को प्रवेश पर्ची भी नहीं दिया है। अलग बात है कि जाब इन्क्लेव में विस्थापित लोग हैं…लेकिन बाहरी लोगों की संख्या इससे ज्यादा है। दबी जुबान में एक हितग्राही ने ही बताया कि उसने मकान खरीदा है। जुगाड़ लगाकर कागजात भी तैयार किये हैं। तीन चार पार्षद ऐसे हैं जिन्हें अटल आवास में बाहरी लोगों को प्रवेश दिलाने का अच्छा खासा अनुभव है। क्योंकि अधिकारी भी इनकी बातों को टालते नहीं हैं।

रूपए लेकर बेचा गया

                 कांग्रेस पार्षद दल के प्रवक्ता शैलेन्द्र  जायसवाल ने बताया कि निगम और भाजपा पार्षदों ने गरीबों को अटल आवास दिया नहीं बल्कि बेचा है। चालिस हजार रूपए से लेकर 2  लाख रूपए में अटल आवास को बेचा गया है। ज्यादातर लोग बाहरी है। स्थानीय लोगों ने अटल आवास में दुकान सजा लिया है। किराए पर भी उठा दिया है। मैं खूब जानता हूं कि अटल आवास बेचने में किन किन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की भूमिका है। समय आने पर खुलासा करूंगा।

कमेटी का गठन लेकिन रिपोर्ट नहीं

                  सीजी वाल को निगम आयुक्त ने बताया था कि अटल आवास बेचने की जानकारी मिली थी। जांच कमेटी का गठन किया गया है। एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट आ जाएगा। लेकिन सीजी वाल को जानकारी मिली है कि रिपोर्ट आना तो दूर अभी तक जांच ही शुरू नहीं हुई है। शैलेन्द्र ने बताया कि जांच-जांच खेलना निगम का काम है। रिपोर्ट कभी नहीं आएगी। क्योंकि इसमें गणित कुछ ज्यादा है। सच है कि आयुक्त जांच चाहते हैं…लेकिन जांच करने वाले ऐसा नहीं चाहते। इसलिए रिपोर्ट आने का सवाल ही नहीं है। क्योंकि हमें भूलने की आदत है। शायद आयुक्त भी आदेश देने के बाद भूल गए होंगे।

पंचायती ने कहा अतिक्रमण

              जांच हो रही है। लेकिन अतिक्रमणकारियों ने आवास में कब्जा किया है। उन्हें हटाना मुश्किल है। इसलिए उन्हें पर्ची भी नहीं दी गयी। आवास बेचा नहीं गया है। लेकिन अब प्रधानमंत्री आवास में किसी का घुसना मुश्किल होगा। जांच के बाद खुलासा हो जाएगा कि आवास बेचा गया है या नहीं।

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