32 वां बिलासा महोत्सव में रविवार को होगी लोकगीत,नृत्यों का रंगझाझर प्रस्तुति

Chief Editor
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बिलासपुर। बिलासा कला मंच बिलासपुर का प्रतिष्ठा पूर्ण आयोजन बिलासा महोत्सव में रविवार 20 फरवरी को पंडित देवकी नन्दन दीक्षित सभा भवन, लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय परिसर,बिलासपुर में छत्तीसगढ़ी लोकगीत,नृत्य,संगीत का रंगझाझर प्रस्तुति होगी। शनिवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी “लोक संस्कृति संदर्भ छत्तीसगढ़ और नदियाँ” का आयोजन किया गया ।
मंच के संस्थापक डा सोमनाथ यादव ने बताया कि रविवार 20 फरवरी को संध्या 6 बजे से बिलासा महोत्सव प्रारंभ होगा। महोत्सव के मुख्य अतिथि अटल श्रीवास्तव अध्यक्ष,छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल होंगे । कार्यक्रम की अध्यक्षता रामशरण यादव महापौर,नगर निगम बिलासपुर करेंगे। वही विशिष्ठ अतिथि के रूप में डा लालित्य ललित संपादक,राष्ट्रीय पुस्तक न्यास नईदिल्ली, डा अनीश चंद्र जनसंपर्क अधिकारी एसईसीएल बिलासपुर ,डा संजीव कुमार वरिष्ठ साहित्यकार,दिल्ली उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर प्रति वर्ष दिए जाने वाले विशिष्ठ सम्मान में बिलासा कला सम्मान
गणेश मेहता,बिलासपुर को बिलासा साहित्य सम्मान ,डा संजीव कुमार
दिल्ली को बिलासा सेवा सम्मान, मंसूर खानबिलासपुर को और
बिलासा युवा रत्न सम्मान विनोद डोंगरे खैरागढ़ को प्रदान की जाएगी। महोत्सव में छत्तीसगढ़ी वाद्य-संगीत की प्रस्तुति संजू सेन, गुण्डरदेही द्वारा,पंडवानी गायन, दिनेश गुप्ता,बिलासपुर द्वारा, छत्तीसगढ़ी रंगझाझर, हिलेन्द्र ठाकुर बिलासपुर द्वारा, नाचा-गम्मत मन्नालाल गंधर्व बिलासपुर द्वारा और छत्तीसगढ़ी रंगझाझर प्रस्तुति बालचंद साहू बिलासपुर एवम् सहयोगी कलाकारों द्वारा दी जाएगी ।वहीं हाई स्कूल लिमतरी के बच्चों की छत्तीसगढ़ी नृत्यों की प्रस्तुति होगी। बिलासा कला मंच ने सुधिजनों को बिलासा महोत्सव में सादर आमंत्रित किया है।

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राष्ट्रीय संगोष्ठी “लोक संस्कृति संदर्भ छत्तीसगढ़ और नदियाँ” का हुआ आयोजन

बिलासा कला मंच के दो दिवसीय बिलासा महोत्सव के पहले दिन राष्ट्रीय संगोष्ठी लोक संस्कृति सन्दर्भ छत्तीसगढ़ और नदियां पर मुख्य आसंदी से बोलते हुए ए डी एन वाजपेयी कुलपति अटल विश्विद्यालय ने कहा कि इतिहास उठाकर देख लीजिए नदी किनारे ही अनेकों संस्कृति पल्लवित हुई और इन्हीं संस्कृति में लोक संगीत, लोकगीत, लोककथा,लोक परंपरा पनपी जो आज लोक संस्कृति के नाम से जानी गई। अध्यक्षता करते हुए डॉ विनय कुमार पाठक ने इसी बात को आगे बढाते हुए कहा कि पूरा विश्व नदियों के किनारे ही बसा और इसी के अनुरूप छत्तीसगढ़ की पूरी आबादी और बड़े शहर सब नदियों के किनारे ही पनपी।उत्तर छत्तीसगढ़ में ईब नदी,शंख नदी,मध्य छत्तीसगढ़ में अरपा,शिवनाथ, महानदी,हसदो, केलो,आगर,खारुन,पैरी,सोंढुर आदि नदी तो दक्षिण बस्तर में इंद्रावती, डंकिनी,शंखिनी आदि नदियों के आसपास ही छत्तीसगढ़िया संस्कृति का विकास हुआ।

विषय प्रवर्तन कराते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अजय पाठक ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग स्वभाव से उत्सवधर्मी हैं उसका एक बड़ा कारण यहां बड़ी संख्या में प्रवाहित नदियों और नीर की उपलब्धता है क्योंकि जहां जल होता है वहीं कल होता है और वहीं सम्पन्नता भी होती है, हमारे तीज त्यौहार ,रीति रिवाज तथा जीवन शैली में यहां प्रवाहित होने वाली अनेकानेक नदियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।विशिष्ट अतिथि डॉ पीसीलाल यादव ने कहा कि हमारे छत्तीसगढ़ में प्रवाहित सभी नदियों के उद्गम से लेकर संगम तक नदियों के किनारे बसे हुए लोगों ने ही अपनी महतारी कहने वाले नदी को प्रदूषित कर रखे हैं, लगातार अवैध उत्खनन से हम सबने नदियों का स्वरूप को बिगाड़ रखा है और इसी से ही हमारी संस्कृति भी बिगड़ रही है।भू माफिया, जल माफिया, जंगल माफिया, रेत माफिया अब कालिया नाग जैसे नदियों को और संस्कृति को प्रदूषित कर रहे हैं।विशिष्ट अतिथि डॉ गोविंद राम मिरी पूर्व सांसद ने कहा कि बिलासा कला मंच बधाई के पात्र है कि उन्होंने इस विषय पर एक सार्थक गोष्ठी का आयोजन किया। इससे पहले कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए मंच के संस्थापक डॉ सोमनाथ यादव ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते हमें इस वर्ष बिलासा महोत्सव दो दिवसीय करना पड़ा।

इस अवसर पर साहित्यकार डॉ राजेश मानस के दो पुस्तकों पीरा ताजमहल के अउ मोर तथा जिनगी के रंग का विमोचन उपस्थित अतिथियों ने किया। इस अवसर पर शहर के साहित्यकार और मंच के सदस्य राघवेंद्रधर दीवान,द्वारिका प्रसाद अग्रवाल,डॉ आर डी पटेल,राजेंद्र मौर्य, डॉ सुधाकर बिबे,सनत तिवारी, महेंद्र साहू,डॉ सोमनाथ मुखर्जी,विक्रम सिंह, केवलकृष्ण पाठक,राघवेंद्र दुबे,सुधीर दत्ता,रामेश्वर गुप्ता,अश्विनी पांडे,नरेंद्र कौशिक, यश मिश्रा, हर्ष पांडे,आनंदप्रकाश गुप्ता, विजय गुप्ता,ओमशंकर लिबर्टी, उमेंद् यादव,जावीद अली,चतुर सिंह,थानुराम लसहे, श्रीनिवास कंडाला, सुनील तिवारी, विश्वनाथ राव,धरमवीर साहू,महेंद्र ध्रुव,मनोहर दास मानिकपुरी,गोपाल यादव सहित बहुत लोग उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन मंच के अध्यक्ष महेश श्रीवास और आभार प्रदर्शन राजेन्द्र मौर्य ने किया।

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