VIDEOः BURNIG CAR हादसाः जलती कार ने छोड़े जांच के कई बिन्दु..सवाल..क्या कार में भी थी शराब…FSL टीम करेगी खुलासा..पढ़ें..चर्चा में पचरा रिसार्ट क्यों..?

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— 22 जनवरी की देर रात्रि करीब डेढ़ बजे के आस पास खैरा और पोंड़ी के बीच भयंकर कार हादसे में चार लोगों को जान चली गयी। हादसा इतना भयंकर था कि कार सवार किसी को भी बचने का मौका नहीं मिला। मात्र कुछ मिनट के अन्दर ही दो लड़के और दो लड़कियां जलकर खाक हो गयी। जानकारी के अनुसार हादसा के पहले चारों ने  श्रीकांत वर्मा मार्ग स्थित एमीगोज बार में खाया पीया।  इसके बाद करीब 11 बजकर 45 मिनट पर कार से चांपी जलाशय स्थित पचरा रिसार्ट के लिए रवाना हुए। हादसे की जानकारी मिलते ही रतनपुर पुलिस टीम मौके पर पहुंची। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। छानबीन के दौरान दो लड़के और एक लड़की की अस्थियों की पहचान हुई। घटना के दुसरे दिन एडिश्नल एसपी राहुल देव शर्मा ने बताया कि चौथी लड़की विक्टोरिया आदित्य भी कार में सवार थी। अस्थियों और सामान से पहचान हो चुकी है।
 पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने प्रेस नोट जारी कर बताया है कि 22 जनवरी 23 की देर रात्रि करीब 1 से 1:30 के बीच एक वैन्यू कार अनियंत्रित होकर ग्राम पोड़ी और खैरा के बीच सड़क किनारे स्थित  पेड़ से टकरा गयी। कार में भीषण आग लगने से चार लोगों की मौत हो गयी है। एडिश्नल एसपी राहुल देव शर्मा ने बताया कि घटना की जानकारी के तत्काल बाद रतनपुर पुलिस टीम मौके पर पहुंची। तब तक कार समेत सभी लोग जलकर खाक हो चुके थे।
मौके पर पहुंचने के बाद रतनपुर पुलिस और एफएसएल टीम ने तहसीलदार की मौजूदगी में घटनास्थल का निरीक्षण किया। जिसमें तीन प्रमुख बिन्दु अब तक सामने आया है। वैन्यू कार नम्बर सीजी10-BD-7861 शहनवाज खान उर्फ समीर पिता ईशरार खान का है। शहनवाज  मूल रूप से राजपुर पेन्ड्रा का निवासी है। पिछले कई साल से रिंग रोड 2 स्थित पल्लव भवन के सामने अपने साथी अभिषेक कुर्रे के साथ रहता है। एफएसएल टीम के अनुसार शहनवाज शहनवाज खान ड्राइविंग सीट में था। समीर ऊर्फ शहनवाज के कंकाल की पहचान उसकी चेन,अंगूठी, कड़ा से हुई है।
     एडिश्वनल एसपी शर्मा ने बताया कि ड्राइविंग सीट के बगल स्थित सीट में कंकाल में एक चेन मिली है। कंकाल की शिनाख्त याशिका मनहर पिता भवानी राम की है। 22 साल की याशिका बालकोनगर स्थित भद्रापारा की रहने वाली है। यशिका के पिता ने चैन के आधार पर पिता ने भी यशिका के कंकाल की पुष्टि किया है।
  ड्राइविंग सीट के पीछे की सीट पर एक कड़ा,चेन घड़ी के आधार पर  कंकाल की शिनाख्त अभिषेक कुर्रे पिता स्वर्गीय सत्यप्रकाश कुर्रे के रूप में किया गया है। अभिषेक कुर्रे के ही मकान में शहनवाज रहता था। अभिषेक कुर्रे का घर वसुंधरा नगर थाना सिविल लाइन में है। अभिषेक के जीजा नीलेश कुमार ने कंकाल को पहचाना है।
इसके अलावा अभिषेक के बगल से बायी सीट की पहचान विक्टोरिया आदित्य की है। विक्टोरिया के पिता ने कंकाल में पायी जैन के आधार पर किया है। विक्टोरिया का कंगाल अभिषेक के कंकाल से चिपका हुआ था। इसके चलते बुरी तरह से जल गए दोनो कंकाल की पहचान में काफी परेशानी हुई। विक्टोरिया आदित्य भिलाई की रहने वाली है। बिलासपुर में रहकर पढ़ाई कर रही थी।
क्या कार में शराब रखा था..
हादसे के बाद कई प्रकार की बातें सामने आ रही है। कुछ एक्सपर्ट ने नाम नहीं लिखने की सूरत में बताया कि कार में ज्वलनशील पदार्थ जरूर रहा होगा। जिसके कारण किसी को बचने का मौका नही मिला। अन्यथा अब तक इस प्रकार के हादसे में देखने को मिला है कि कोई ना कोई गंभीर रूप में ही सही जिन्दा मिला है। संभव है कि वह इलाज के दौरान दम तोड़ दे। इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कार के अन्दर शराब रखा हुआ हो। और हादसे के समय शराब में आग लगने से कार में सवार किसी को बचने का मौका नहीं मिला।
एफएसल टीम करेगी खुलासा
एक्पपर्ट ने बताया कि एफएसएल टीम को जांच पड़ताल के दौरान सारी जानकारी मिल जाएगी। कार हादसे में शराब या अन्य किसी प्रकार का ज्वलनशील पदार्थ रखा हो। मामले में एडिश्नल एसपी राहुल देव शर्मा ने बताया कि फिलहाल मामला जांच में है..कार में आग लगने की सारी जानकारी एक दिन…सबके सामने रखा जाएगा। इसलिए अभी कुछ भी बता पाना मुमकिन नहीं है।
पीने के बाद पचरा रिसार्ट ही क्यों
बताते चलें कि चारो को पचरा रिसार्ट रवाना होने से पहले श्रीकांत वर्मा मार्ग स्थित एक बार में देखा गया। करीब 11 बजकर 45 मिनट पर चारो यानि दो लड़के और दो लड़कियां शहनवाज के वैन्यू कार नम्बर सीजी10-BD-7861 से पचरा रिसार्ट के लिए रवाना हुए। गाड़ी खुद शहनवाज खान ऊर्फ समीर चला रहा था। शायद शराब के नशे में कार नियंत्रित नहीं हुई। और सड़क से करीब दस फिट किनारे पेंड़ से टकरा गयी।
जानकारी देते चलें कि चांपी जलाशय स्थित पचरा रिसार्ट में हमेशा से बड़े और आराम पसंद लोगों की पहली पसंद है। यहां जिले के बड़े बड़े  अधिकारियों और सेठ साहूकारों का गुपचुप आना जाना होता रहता है। मनमर्जी के बाद सभी लोग गुपचुप तरीके से रवाना भी हो जाते हैं। किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगती कि अधिकारी क्यों और किसलिए आए थे। इसलिए कार हादसे के मद्देनजर जांच को व्यापक बनाया जाना बहुत जरूरी है।

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