CG Teacher Promotion: शिक्षकों के प्रमोशन/पोस्टिंग में खेला तो हुआ है..!

Shri Mi
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बिलासपुर। शिक्षा विभाग में प्रमोशन के बाद प्रधान पाठक और शिक्षकों की पोस्टिंग में खेला तो हुआ है। हालांकि इस मामले में लेनदन को लेकर कोई सबूत अब तक सामने नहीं आया है।

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लेकिन बिलासपुर के संयुक्त संचालक शिक्षा दफ्तर के रिकॉर्ड बताते हैं कि इस संभाग में प्रमोशन के बाद 3200 से अधिक शिक्षकों की पोस्टिंग की गई। उनमें से करीब एक चौथाई यानी साढ़े सात सौ से अधिक शिक्षकों की पोस्टिंग में संशोधन यानी फेरबदल किया गया ।

अब तक की ख़बरों में बताया जा रहा है कि चार सौ तबादला आदेश में संशोधन किए गए हैं। लेकिन जो जानकारी CGWALL तक पहुंची है, उसके मुताबिक यह आंकड़ा साढ़े सात सौ के करीब़ है ।

यह आंकड़ा ख़ुद गवाही दे रहा है कि या तो कौंसिलिंग गलत तरीके से हुई है या फ़िर संशोधन में मनमानी की गई है।बहरहाल इस मामले में जांच के आदेश हो चुके हैं और संभागीय कमिश्नर की ओर से की जा रही जांच में पूरी तस्वीर सामने भी आ जाएगी।

हाल ही में कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष नरेंद्र राय की ओर से सीएम भूपेश बघेल को इस बारे में शिकायत की गई थी।

सीएम भूपेश बघेल की हिदायत पर शिक्षा विभाग ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया है और इससे जुड़े कई सवाल भी तैर रहे हैं।

जांच के आदेश के साथ ही ज्वाइन डायरेक्टर दफ्तर में पदस्थ एक क्लर्क के तबादले का आदेश भी जारी हुआ है। विभाग के कामकाज की जानकारी रखने वाले वालों की माने तो शिक्षा विभाग में पूर्व माध्यमिक शाला प्रधान पाठक पद पर शिक्षक और शिक्षक के पद पर सहायक शिक्षकों की पदोन्नति की गई है।

जिसमें इसके लिए नियम भी जारी किए गए थे । मसलन प्रधान पाठक और शिक्षक के कितने खाली पदों में से कितने पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे और कितने पदों पर प्रमोशन किया जाएगा।इस बारे में पैमाना तय किया गया था। बिलासपुर संभाग में इस पैमाने का तो पूरी तरह से पालन किया गया ।

विभाग के जानकार बताते हैं कि पूरा खेल प्रमोशन के बाद स्कूलों में प्रधान पाठक और शिक्षकों की पोस्टिंग में किया गया ।प्रमोशन के बाद पोस्टिंग को लेकर ओपन काउंसलिंग किए जाने के निर्देश दिए गए थे।

लेकिन ओपन काउंसलिंग के नाम पर खाली पदों की जानकारी छिपाकर शिक्षकों की पोस्टिंग की गई। जिससे शिक्षकों को अपनी सुविधा के हिसाब से स्कूल का चयन करने का मौका नहीं मिल सका। पोस्टिंग के लिए काउंसलिंग के समय बहुत कम समय के लिए डिस्प्ले पर खाली पदों की जगह का नाम दिखाया गया ।

जिससे शिक्षकों को अपनी सुविधाजनक ज़गह का नाम तय करने के लिए बहुत कम समय मिल सका। जानकारों की माने तो इस काम में लगी टीम को इस बात का अंदाजा था कि प्रमोशन के बाद किस टीचर के लिए कौन सा स्कूल सुविधाजनक हो सकता है।

लिहाजा जानबूझकर ऐसे स्कूलों के नाम छिपा लिए गए। जाहिर सी बात है कि पोस्टिंग की लिस्ट जारी होने के बाद प्रमोशन पाने वाले शिक्षकों में हलचल मची और बड़ी तादाद में लोगों ने लिस्ट में फेरबदल यानी संशोधन के लिए अपनी अर्जी लगाई। लोग बताते हैं कि दरअसल पूरा खेल इस दौरान ही हुआ और मनचाही रकम लेकर मनचाही जगह पर पोस्टिंग दी गई।

हालांकि पोस्टिंग को लेकर लेनदन के बारे में कोई तथ्य सामने नहीं आए हैं। लेकिन अगर संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर के रिकॉर्ड पर कोई नजर डाले तो काफी हद तक इस गणित को समझा जा सकता है।

पता चला है कि बिलासपुर संभाग में 32 सौ से अधिक पदों पर पदोन्नति दी गई थी। जिसमें से 770 से अधिक पोस्टिंग आदेश में संशोधन किए गए। गणित के शिक्षक हिसाब लगाकर बता सकते हैं कि यह आंकड़ा 25 फ़ीसदी के करीब पहुंचता है।

यानी कुल पोस्टिंग में से करीब एक चौथाई पोस्टिंग में संशोधन किया गया। बिलासपुर संभाग में शिक्षा विभाग के 8 जिले आते हैं। जिनमें बिलासपुर, जांजगीर- चांपा, मुंगेली, सक्ती, रायगढ़, कोरबा, गौरेला- पेंड्रा -मरवाही और सारंगढ़- बिलाईगढ़ शामिल है।

इन जिलों में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान विषय के शिक्षक पद के साथ ही मिडिल स्कूल प्रधान पाठक के कुल पांच हज़ार नौ सौ से अधिक पद ख़ाली थे ।

तय पैमाने के हिसाब़ से तीन हज़ार आठ सौ से अधिक पदों के लिए प्रमोशन किया जाना था।अंग्रेज़ी,गणित,विज्ञान विषय के शिक्षकों के ख़ाली पदों में से कुछ पद सीधी भर्ती के लिए छोड़े गए थे ।

ज़बकि मिडिल स्कूल हेडमास्टर के 1400 से अधिक पदों पर प्रमोशन दिया गया । प्रमोशन की पोस्टिंग लिस्ट जारी होने के बाद आदेश में संशोधन के लिए करीब साढ़े आठ सौ अर्जियां लगाई गई थी ।

जिनमें से 770 से अधिक आवेदनों पर पोस्टिंग में संशोधन किया गया। प्रधान पाठक की पोस्टिंग लिस्ट में 130 से अधिक संशोधन किए गए। जबकि यह आंकड़ा अंग्रेजी विषय शिक्षक के मामले में 160 से अधिक ,गणित विषय में 190 से अधिक और विज्ञान विषय में 270 से अधिक बताई गई है।

जानकारों के हिसाब से इतने बड़े पैमाने पर पोस्टिंग आदेश में संशोधन से यह साफ है कि काउंसलिंग के दौरान शिक्षकों को सही ढंग से चयन का अवसर नहीं मिल सका था।यह सवाल भी लाज़िमी है कि क्या कौंसिलिंग के समय ही संशोधन की भी ज़मीन तैयार कर ली गई थी ?

जिसके हिसाब़ से पोस्टिंग के दौरान ही पूरा खाका तैयार कर शिक्षकों के सामने ऐसी सूरत पैदा की गई ,जिससे कि वे पोस्टिंग में संशोधन के लिए ज्वाइन डायरेक्टर दफ्तर के चक्कर लगाए और अपने मनमर्जी के स्कूल में पोस्टिंग पाने के लिए टेबल के सामने वाली कुर्सी पर बैठे लोगों की मर्जी पूरी कर सकें।इस टीम ने ओपन कौंसिलिंग के सिस्टम को ही अपना “टूलकिट” बना लिया ।

लोगों के बीच यह बात भी छनकर पहुंची है कि जेडी ऑफ़िस में ब़ाक़ायदा इसके लिए एक पूरी टीम ही बन गई थी। जिसमें बाबू के साथ ही कुछ कम्प्यूटर के जानकार भी शामिल थे। गिरोह की शक्ल में यह टीम काम कर रही थी ।

कौंसिलिंग के समय शहर के आसपास के खाली पदों को छिपा लिया गया । शिक्षकों को जब दूर के स्कूलों में मज़बूरन जाना पड़ा तो इस टीम के लोगों ने इन्ही शिक्षकों से ब़ाकायदा “चलभाष” के ज़रिए बात कर डेढ़-दो लाख़ में सौदा किया ।पहले जानबूझकर दूर भेजो …. फ़िर ख़ुद फोन कर अपने पास बुलाओ…. और पास बुलाने की कीमत भी वसूल लो….। छिपा-छिपाई और खो – खो को मिलाकर एक ऐसा नया खेल बनाया गया।

जिसमें मज़ा भी आया और पैसा भी आ गया । जिस तरह साढ़े सात सौ से अधिक तबादलों में संशोधन किया गया है, इस आंकड़े को सामने रखकर देखें तो कहानी की कई कड़ियां आपस में अपने आप ही जुड़ती चली जाती हैं। हालांकि इससे घपलेबाजी को तस्दीक करना मुश्किल है।

लेकिन घपले बाजी की तरफ इशारे को समझना शायद मुश्किल नहीं है। अब इस मामले की जांच के बाद ही पूरी तस्वीर सामने आ सकेगी। तभी तो लोग बड़ी दिलचस्पी के साथ जाँच के नतीज़े का इंतज़ार कर रहे हैं।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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