बिलासपुर।अगर स्वदेशी वस्तुओँ को अपनाने का संकल्प लें तो हम भी चीन से मिल रही चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। इसके लिए जनजागरण की जरूरत है। इस सिलसिले में दिल्ली के रामलीला मैदान पर 29 अक्टूबर को देश भर के विद्वानों का समागम आयोजित किया जा रहा है। जिसमें अधिक- से-अधिक लोगों को शामिल होना चाहिए। ये बातें स्वदेशी मंच के कश्मीरी लाल ने बिलासपुर युनिवर्सिटी के सभागार में आयोजित एख कार्यक्रम में कहीं।
बीयू के साभागार में शाम 5 बजे से राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ के सरसंघचालक सुदर्शन के जन्मदिवस पर सुदर्शन प्रेरणा मंच ने ‘चीन की चुनौती और हमारा कर्तव्य’ विषय पर व्याख्यानमाला आयोजित की थी । कार्यक्रम पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. बंशगोपाल सिंह के मुख्यआतिथ्य व कैरियर पाइंट के संचालक किरण चावला की अध्यक्षता में संपंन हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चीन की नीतियों के कारण भारत प्रभावित हो रहा है। भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक पार्टनर है। भारत का कुल विदेशी घाटे का 44 प्रतिशत चीन से है। भारतीय बाजार चीनी समानों से पटे पड़े है। जो की भारतीय समानों के तुलना में काफी सस्ते मिलते है। लेकिन पिछले दिवाली भारत के लोगों ने चीनी समानों का बहिष्कार कर चीन के प्रति अपना विरोध दर्ज कराया। भारतीय लोगों की चेतना जग रही है आज भारत के लोग स्वदेशी समानों का उपयोग कर रहे है। भारत में भी चीन से सस्ता समान बन रहा है। मेक इन इंडिया मुहिम इसको बढ़ावा दे रहा है। उन्होने अनेक उदाहरणों के माध्यम से अपनी बात समझाई। उन्होने चीनी समान को नकली और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया। उन्होने कहा की उस समय की भारतीय सरकार के उपेक्षाओं के कारण चीन ने तिब्बत के उपर कब्जा कर लिया। चीन भारत को घेरने के लिए भारत के सभी पड़ोसी देशों में अपना अड्डा बनाकर पकड़ मजबूत कर रहा है। वर्तमान में भारत ही नहीं विश्व के अन्य देश भी चीन की नीतियों के कारण चिंतित है। भारत में विश्व के सबसे ज्यादा युवा रहते है। उन्होने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश होने के बाद भी अन्य क्षेत्रों में चीन से आगे निकल रहा है। भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। वे स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर जोर दिए। उन्होने ‘नो चाइना= नो चाइना’ नीति को अपनाने की अपील की जहां एक नो ( know) का अर्थ जानना व दूसरे नो (no) का अर्थ नहीं से है। साथ ही सुदर्शन की जीवनी पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो बंशगोपाल सिहं ने भारत को चीन से मिल रही आर्थिक, सीमा और सांस्कृतिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की चीनी समाग्रीयों के बहिष्कार के साथ ही स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चीन ने अपनी शिक्षा नीति के उपर काफी काम किया है स्वदेशी भाषा में अपने शिक्षा नीति को बढ़ाया। भारत की शिक्षा नीति उन्नति को ओर नहीं है। हमारे यहां भाषा की बड़ी समस्या है छात्रों पर जबरदस्ती अंग्रेजी थोपा जा रहा है। कार्यक्रम के अध्यक्ष किरण चावला ने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर जोर दिया। उन्होने ‘थिंक ग्लोबल बाई लोकल’ की भावना पर चलने को कहा। सभा का संचालन कार्यक्रम के संयोजक प्रफुल्ल शर्मा ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।