पी.दयानन्द ने कहा राजनीति करना है तो बाहर जाएं..यहां भू विस्थापितों पर चर्चा होगी…आरक्षण खत्म करने लिखुंगा पत्र

BHASKAR MISHRA
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ntpc sambandhi baithak (3) बिलासपुर— कलेक्टोरेट स्थित मंथन सभागार में एनटीपीसी भू-विस्थापित-जनप्रतिनिधि और प्रशासन की त्रिपक्षीय बैठक में कलेक्टर पी.दयानन्द पुराने अंदाज में दिखाई दिए। बैठक में कहा जिन्हें राजनीति में दिलचस्पी है बाहर जाकर करें। यह बैठक भू विस्थापितों को न्याय दिलाने के लिए बुलाई गयी है। यदि लोग राजनीति करने से बाज नहीं आते बैठक को खत्म कर दूंगा। कलेक्टर ने कहा कि एनटीपीसी को भू विस्थापित 692 लोगों को नौकरी देना ही होगा। शासन को पत्र लिखकर गुजारिश करूंगा कि एनटीपीसी में भू विस्थापितों के लिए नौकरी में आ रही आरक्षण बाधा को हटाया जाए।

             
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                          बुधवार को मंथन सभागार में प्रशासन,जनप्रतिनिधि और भूविस्थापितों की त्रिपक्षीय बैठक हुई। बैठक में पहली बार कलेक्टर पी.दयानन्द का कोरबा अंदाज देखने को मिला। उन्होने एनटीपीसी भू विस्थापितों पर जमकर तरफदारी की। दो टूक कहा कि जमीन अधिग्रहण के समय भू विस्थापित 692 लोगों को नौकरी देने का वादा हुआ था। वादे के अनुसार 692 लोगों को नौकरी देना ही होगा। कलेक्टर ने एनटीपीसी के तर्कों को नजरअंदाज करते हुए कहा कि भू विस्थापितों को नौकरी में आ रही आरक्षण बाधा को हटाने के लिए शासन को पत्र लिखुगा। जिनकी जमीन गयी है उन्हें नौकरी हर हालत में मिलनी चाहिए।

                                 त्रिपक्षीय वार्ता में बेलतरा विधायक बद्रीधर दीवान,मरवाही विधायक अमित जोगी, मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया और बिल्हा विधायक सियाराम कौशिक विशेष रूप से मौजूद थे। इसके अलावा कलेक्टर पी.दयानन्द, सीपत तहसीलदार अमित सिन्हा के अलावा जिला प्रशासन के आलाधिकारी भी बैठक में मौजूद थे।

               विधानसभा उपाध्यक्ष बद्रीधर दीवान ने एनटीपीसी अधिकारियों से पिछली बैठक में लिए निर्णयों का प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगा। उन्होने फटकार लगाते हुए कहा कि एनटीपीसी अधिकारी भू विस्थापितों के हित को लेकर गंभीर नहीं है। हर बार रिपोर्ट देने का बहाना कर मामले को टाल देते हैं। बहुत हो गया.. यदि एनटीपीसी चलाना है तो प्रबंधन को भू विस्थापितों को नौकरी देना ही होगा।

                              इस दौरान सियाराम,दिलीप लहरिया और अमित जोगी के बीच थोड़ी बहुत राजनीतिक बहस भी हुई। स्थानीय लोगों ने भी हां में हां मिलाया। बहस में बाधा होते देख कलेक्टर पी.दयानन्द ने कहा कि यहां केवल भूविस्थापितों की नौकरी पर सार्थक और निर्णायक चर्चा होगी। यदि किसी को राजनीति करने का शौक हो बाहर जाकर करे। अन्यथा बैठक को यहीं खत्म कर दूंगा। एनटीपीसी के आरक्षण के नियम को दरकिनार करते हुए कलेक्टर ने कहा कि मै कल ही शासन को पत्र लिखुंगा कि भूविस्थापितों को नौकरी दिये जाने के लिए जरूरी है कि यहां आरक्षण के क्लास को दरकिनार किया जाए। ntpc sambandhi baithak (1)

             अमित जोगी और दिलीप लहरिया ने भी आरक्षण नियम हटाने की मांग की। सियाराम ने भी यही दुहराया। नेताओं ने कहा कि यदि मामले का निराकरण नहीं किया गया तो ठीक राज्य स्थापना के दिन एनटीपीसी बंद करने उग्र आंदोलन किया जाएगा।

                                                 एनटीपीसी अधिकारियों ने बताया कि जमीन अधिग्रहण के समय मुआवजा और नौकरी देने का जिक्र किया गया था। अभी तक 380 भू विस्थापितों और 50 पायलटों की भर्ती हुई है। बची नौकरी आरक्षण नियमों के अनुसार दी जाएगी। साल 2008 की बैठक मे फैसला हुआ था कि पदों को आऱक्षण के अनुसार भरा जाएगा। कलेक्टर ने कहा कि आरक्षण नियम यहां नही चलेगा। शासन को पत्र लिखुंगा। एनटीपीसी को मुआवजा के साथ भूविस्थापितों को नौकरी देना होगा।

 692 लोगों की होनी है भर्ती

                 जमीन अधिग्रहण के समय एनटीपीसी ने कहा था कि 692 भू विस्थापितों को नौकरी पर रखा जाएगा। जिसमें 626 नौकरी भू विस्थापितों को 60 पद पायलटों के लिए होगी। लेकिन अभी तक 626 भू विस्थापितों में से केवल 380 लोगों को नौकरी पर रखा गया। 66 पायलटो में से केवल 50 लोगों को नौकरी दी गयी है। बचे लोगों को नौकरी देने के लिए लगातार मांग और बैठक हो रही है। पहली बार कलेक्टर के तेवर से एनटीपीसी प्रबंधन समेत नेताओं को बगलें झांकने के लिए मजबूर होना पड़ा है। वहीं भू विस्थापितों को पहली बार आशा की किरण दिखाई दी है कि जमीन खोने के बद नौकरी मिलकर रहेगी।

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