डेढ़ लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की हूंकार..कहा चाहिए..समान कार्य के लिए समान वेतन..नहीं करेंगे शोषण बर्दास्त

BHASKAR MISHRA
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IMG20180117131125 बिलासपुर— छत्तीसगढ़ आंगनबाडी कार्यकर्ता,सहायिक संघ ने हजारों की संख्या में आज कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया। जिला प्रशासन को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम 9 सूत्रीय मांग पत्र देने के बाद सौहार्दपूर्ण विचार करने को कहा। नाराज आंगनबाड़ी और सहायिकाओं ने मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी।

             
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                    9 सूत्रीय मांग को लेकर बुधवार को छत्तीसगढ़ जिला आंगनबाड़ी कार्याकर्ता और सहायिका संघ ने ग्रीन पार्क में धरना प्रदर्शन किया। संगठन के जिला संरक्षक चन्द्रशेखर पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में छत्तीसगढ़ आंगनबाडी कार्यकर्ता, सहायिका संघ ने धरना प्रदर्शन किया। धरना प्रदर्शन का आयोजन आल इण्डिया फेडरेशन ऑफ आंगनबाड़ी वर्क्स एण्ड हेल्फर्स नई दिल्ली राष्ट्रीय संगठन के मार्गदर्शन में किया गया। जिला संरक्षक चन्द्रशेखर और जिला अध्यक्ष सुनीता सिंह ने बताया कि चार सूत्रीय मांग को लेकर जिला से राजधानी तक कई बार मांग पत्र दिया गया। धरना प्रदर्शन किया गया। बावजूद इसके आंगनबाडी और सहायिकाओं की मांग को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया है।

                               चन्द्रशेखर और सुनीता ने बताया कि सरकारी की उदासीनता से प्रदेश की करीब डेढ़ लाख से अधिक आंगनबाडी कार्यकर्ता और सहायिका उपेक्षित महसूस कर रही हैं। नेताओं ने बताया कि पिछले 6 सालों से देश और प्रदेश में कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के वेतन में किसी प्रकार का इजाफा नहीं किया गया है। जबकि अन्य विभागों के कर्मचारियों की पारिश्रमिक में कई गुना इजाफा हुआ है। इससे जाहिर होता है कि सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के प्रति उदासीन है।

                      चन्द्रशेखर ने बताया कि प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सरकार 4000 रूपए मानदेय देती है। मानदेय में केन्द्र का 3000 और राज्य सरकार का 1000 का योगदान होता है। सहायिकाओं को महीने में कुल 2000 रूपए मिलते हैं। केन्द्र से 1500 और राज्य से 500 रूपए दिया जाता है। इतनी महंगाई में परिवार चलाने के लिए राशि पर्याप्त नहीं है। कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को समाज सेविका कहा जाता है। शासन ने 62 साल की उम्र में रिटायर्ड का  फरमान दिया है। ऐसे में सभी कार्यकर्ताओ और सहायिकाओं का जीवन यापन कैसे संभव होगा।

                        चन्द्रशेखर ने कहा कि सहायिकाओं और कार्यकर्ताओं की शर्ते सरकारी कर्मचारियो की ही तरह है। बावजूदIMG20180117131112 इसके इन्हें ना तो सरकारी सेवकों की सुविधाएं दी जाती है।  ना ही समान कार्य के लिए समान वेतन का प्रावधान है।

                          ग्रीन पार्क में धरना प्रदर्शन के बाद जिले की सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया। जिला प्रशासन के सामने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम 9 सूत्रीय मांग पत्र पेश किया। इस दौरान महिलाओं ने मांग करते हुए कहा कि सरकार सहायिकाओं और कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी घोषित करे। न्यूनतम मानदेय 18000 रूपए करे। कार्यकर्ता और सहायिकाओं को पेंशन, समूह बीमा का लाभ दिया जाए। सेवा समाप्त पर कार्यकर्ताओं को एक लाख और सहायिकाओं को एक मुश्त 50 हजार रूपए उपहार में दिया जाए।

                          मांग पत्र में प्रदर्शनकारी महिलाओं कहा है कि कार्यकर्ताओं के रिक्त पदों पर 70 प्रतिशत भर्ती सहायिकाओं में से किया जाए। सुपरवाइजर के खाली पदों की भर्ती सौ प्रतिशत कार्यकर्ताओं में से हो। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकों को दूसरे विभाग की जिम्मेदारियों से दूर रखा जाए।मिनी आंगनबाड़ी को खत्म कर आंगनबाड़ी केन्द्र बनाया जाए। कार्यकर्ताओ और सहायिकाओं को ईंधन व्यय राशि दी जाए।

               चन्द्रशेखर और सुनीता सिंह ने बताया कि यदि मांगों पर विचार नहीं किया गया तो छत्तीसगढ़ आंगनबाडी कार्यकर्ता,सहायिका संघ उग्र आंदोलन के लिए भी तैयार है।

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