पटवारियों ने कहा-एफआईआर से पहले हो विभागीय जांच,प्रदर्शन के रखा 15 सूत्रीय मांग,वेतन विसंगतियों को लेकर जताया आक्रोश

Shri Mi
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बिलासपुर-राजस्व विभाग के पटवारियों ने आज प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन किया। पटवारियों के हड़ताल के चलते आज दिनभर तहसील कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा। पटवारियों के हड़ताल से राजस्व विभाग का कामकाज काफी प्रभावित देखने को मिला। प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन के क्रम में बिलासपुर में भी जिला पटवारी संघ ने देव कुमा की अगुवाई में 15 सूत्री मांगों को शासन के सामने पेश किया। साथ ही जिला के सभी पटवारियों ने नेहरू चौक में एकत्रित होकर अपनी मांगों के समर्थन में पुरजोर तरीके से बातों को रख धरना प्रदर्शन किया।नेहरू चौक में जिला पटवारी संघ ने प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान पटवारियों ने अपनी 15 सूत्रीय मांगों के साथ पीड़ा को जाहिर किया। पटवारियों ने बताया की राजस्व का कामकाज बहुत व्यापक होता है। इस बात से सभी लोग वाकिफ है।  इसके अलावा विभाग का छोटा कर्मचारी होने के कारण पटवारियों को अन्य कई प्रकार के काम का भी निर्वाहन करना पड़ता है। मना करने पर नौकरी पर संकट आ जाती है ।

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देव कुमार ने बताया कि पटवारियों का कामकाज बड़ा जिम्मेदारी वाला है । लेकिन सीमित वेतनमान में पटवारी परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। देव ने जानकारी दी कि आज सभी पटवारियों ने शासन के सामने धरना प्रदर्शन कर कामकाज के अलावा अन्य विभागीय समस्याओ को  रखा है। 

  धरना प्रदर्शन के दौरान सभी पटवारियों ने बताया कि कामकाज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। जिस्ज सीधा असर पटवारियों के स्वास्थ्य और मानसिकता पर पड़ रहा है। कामकाज विसतार के साथ  सुविधाएं है ही नही। यदि है तो वह ना के बराबर है।प्रदर्शन के दौरान मांगों का जिक्र करते हुए पटवारियों ने कहा कि भुईया सॉफ्टवेयर में  काफी खामिया है। खामियों को दूर करने कई बार शासन और जिम्मेदार अधिकारियों को बताया गया। लेकिन इन खामियों पर कभी ध्यान ही नही दिया गया। इन खामियों के चलते कई बार पटवारियों की नॉकारी दवा लगते हुए देखा गया है। बावजूद इसके इन खामियों आज तक दूर नही किया।जिसके चलते अवैध प्लाटिंग को रोक जाना मुश्किल हो गया है।

       शासन का जोर ऑनलाइन काम पर ज्यादा है। यह जानते हुए भी कि राजस्व विभाग में संसाधनों की भारी कमी है। ना तो नेट की सुविधा है और ना ही सिस्टम की व्यवस्था है। निजी तौर पर दोनों की पूर्ति सीमित वेतनमान में मुश्किल है। बावजूद इसके किसी तरह सीमित संसाधनों में नॉकारी बचने पटवारी ऑनलाइन काम करने को मजबूर है। 

  कौशल आलोक प्रकाश समेत अन्य पटवारियों ने बताया कि गलत नीतियों के चलते आज भी कई लोग 30 साल से पटवारी पड़ पर काम कर रहे है। इसलिए पटवारी संघ की मांग है कि वरिष्ठता के आधार पर सीनियर पटवारियों को प्रमोशन दिया जाए।  मामले में कई बार शासन का ध्यान आकृष्ट किया गया ।बावजूद इसके हर वरिष्ठता को नजरअंदाज किया गया। लेकिन इस बार हमने संकल्प लिया है कि अब और अन्याय बर्दास्त नही किया जाएगा। अपने भाषण में पटवारियों ने पीड़ा जाहिर करते हुए कहा की हर बार जनसामान्य लोगो की तरफ से पटवारियों पर भूमाफियों के साथ मिली भगत का आरोप लगाया जाता है। छोटी सी शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर दिया जाता है।  दोषमुक्त होने के बाद भी पटवारी और उसके परिवार को शर्मिंदा होना पड़ता है। शासन से हमारी मांग है कि शिकायत पर एफआईआर के पहले विभागीय जांच किया जाए। दोषी पाए जाने पर ही एफआईआर दर्ज का आदेश दिया जाए।

      पटवारियों ने बताया कि  यात्रा भत्ता स्टेशनरी भत्ता नक्सल क्षेत्र में रहने वाले पटवारियों को दिए जाने वाले भत्ते में काफी सुधार की गुंजाइश है।  वर्तमान में मिलने वाला भत्ता इतना भी नही है कि उसका उल्लेख किया जा सके। दिया जाने वाला भत्ता महीना की बात तो दूर एक दिन के लिए भी नाकाफी है। बावजूद इसके हमे अपने वेतन से ही स्टेशनरी का खर्च उठाना पड़ता है। पटवारी संघ ने बताया कि आज तक हम सबको सातवां वेतनमान का इंतजार है। ना तो एरियर्स मिला है और न ही डीए। मिलने वाला यात्रा भत्ता भी समझ से परे है। पटवारियों ने कहा की सामान्यतः देखा जाता है कि एक पटवारी को अतिरिक्त हल्का की जिम्मेदारी दी दी जाती है। जिसके चलते उस पटवारी को अतिरिक्त जिम्मेदारियों का निर्वहन करना पड़ता है। इसके साथ ही आर्थिक बोझ भी बढ़ जाता है।

  इसलिए अतिरिक्त प्रभार वाले हल्के का शासन अलग से भक्ता निर्धारित किया जाना जरूरी है।पटवारियों ने कहा  अक्सर शिकायत होती है कि  पटवारी अपने निवास स्थान में नहीं है।  लेकिन लोगों की यह जानकारी नहीं रहती है कि ग्रामीण क्षेत्र में आज भी बिजली और नेट जैसी सुविधाओं की समस्या है। जिसके चलते ऑनलाइन कामकाज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि सबको मलूमनहै की अब सारा रिकार्ड  ऑनलाइन हो चुका है । ऐसी सूरत में हल्का प्रभारी को शहर में आकर अपने कामकाज का निराकरण करना होता है। इसलिये पटवारियों का मुख्य निवास की बाध्यता को खत्म किया जाए। इस दौरान पटवारियों ने पुरजोर तरीके से अपने अन्य 10 प्रमुख मानगो को भी सामने रखा। साथ ही मांग पूरी नही होने पर  उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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