डॉ. प्रदीप सिहारे पढ़ेंगे दुनिया के सामने शोध पत्र… बताएंगे..लाइलाज नहीं रहा सिकल सेल..कुछ इस तरह खत्म करेंगे.भयंकर बीमारी का आनुवंशिक ट्रेंड

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— बच्चों के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ.प्रदीप सिहारे ग्लोबल सिकल कान्फ्रेन्स 2022 में फ्रांस स्थित पेरिस में सिकल सेल पर शोध पत्र पेश करेंगे। आयोजकों ने डॉ. प्रदीप सिहारे सिकल सेल पर अध्ययन और अपने अनुभवों को दुनिया के सामने पेश करने को कहा है। डॉ प्रदीप सिहारे ने प्रेस वार्ता कर बताया कि एक मरीज को सिकल के कारण लीवर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में अपनी बातों को रखूंगा।
 
         प्रेस वार्ता में डॉ.प्रदीप सिहारे ने बताया कि सिकल सेल अत्यन्त दुर्लभ बीमारी होने के साथ ही घातक भी है। एक सिकल सेल मरीज पर किए गए अध्ययन को साझा किया। उन्होने बताया कि सिकल सेल रोगी बच्चे की पीलिया अडसठ मिलीग्राम के ऊपर पहुँच गया था। मल्टी आर्गन फेल्युर और डी आई सी हो गया ।  आईसीयू में प्रोटोकाल के अनुसार ट्रीटमेन्ट किया गया।लेकिन सफलता नहीं मिली।
 
               सिहारे ने बताया कुछ नये रिसर्च पेपर और अपने अनुभव से इलाज करने इस दौरान अवसर मिला। दो तीन बार ब्लड एक्सचेन्ज किया। इस दौरान सहयोगी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव शिवहरे और स्टाफ का प्रयास बहुत ही सराहनीय रहा। करीब पच्चीस दिन बाद बच्चे में सुधार देखने को मिला। और अन्त में हमें खुशी हुई की और बच्चा बच गया। 
 
                    पूरे अनुभव पर पेपर तैयार कर हमने कान्फ्रेन्स के लिये पेरिस भेजा। विशेषज्ञों ने इसे रेयर क्लीनिकल केस और इन्नोवेटिव ट्रीटमेन्ट बताया। डॉ.सिहारे ने बताया कि बिलासपुर जैसे छोटी जगह और कम संसाधनों में इलाज को आयोजकों ने काफी गभीरता से लिया है। सारे अनुभवों और इलाज के बारे में जानकारी साझा करने पेरिस बुलाया है।
 
               जानकारी देते चलें कि डॉ. प्रदीप सिहारे पिछले पच्चीस सालों से सिकल सोल बीमारी की ना केवल इलाज कर रहे हैं। बल्कि नए नए प्रयोग कर  पीड़ित को ठीक करने हर संभव प्रयास कर रहे है। इसके अलावा क्षेत्र के डॉक्टरों को प्रेरित ऱभी कर रहे है। डॉ. सिहारे ने वर्ष 2018 में डॉ. गौर बोस मेमोरियल सिकल सेल सेन्टर की स्थापना किया। सेन्टर में बिना किसी लाभ के सिकल  मरीजों का आधुनिक और काम्प्रीहेन्सिव ट्रीटमेन्ट किया जा रहा है। सिकल के मरीजों की क्वालिटी ऑफ लाइफ बढाया जा रहा है। ताकि मरीजों को रोग से छुटकारा दिलाया जा सके।
 
डॉ. गौर बोस मेमोरियल
 
         डॉ राजीव शिवहरे और डॉ विनोद अग्रवाल ने बताया कि गौर बोस मेमोरियल सिकल समाधान सेन्टर देश का पहला सिकल सेन्टर है। यहां एक ही छत के नीचे सिकल की हर समस्या का समाधान किया जा रहा है। पिछले तीस वर्षो में सिकल के मरीजों की देखभाल हो रही है। अनुभव के आधार पर, हम उन्नत तकनीक का सहारा लेकर सिकल का सफल इलाज कर रहे हैं।
 
                   पत्रकार वार्ता में डॉ.सिहारे ने बताया कि देर से डायग्नोसिस और समय पर सही इलाज नही होने से सिकल मरीजों को बार बार इन्फेक्शन और दर्ज का सामना करना पड़ता है। खून की कमी होने से अस्पताल में बार बार भरती होना पड़ता है। जिससे घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ती है। उन्होने बताया कि दैनिक जीवन में सिकल के मरीज थके हुए दिखाई देते हैं।परिवार वाले काफी परेशान और चिन्तित रहते हैं। इलाज का खर्च और माता पिता अतिरिक्त नाकारात्मक प्रभाव के कारण परिवार परेशानियों के जाल में फंस जाता है।
 
मरीजों की सुखद जिन्दगी
 
           डॉ सिहारे ने बताया कि अब हम काम्प्रीहेन्सिव केयर के माध्यम से लगभग एक हजार सिकल के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। अब सिकल पेशेन्ट्स बेहतरीन जिन्दगी जी रहे है। उन्हें नोत  इन्फेक्शन की शिकायत है। और मरीज को दर्द और खूनी की कमी से भी नहीं जूझना पड़ रहा है। घरवाले खुश और खुशहाल हैं। 
 
मरीजों का वार्षिक चेकअप
        इलाज के दौरान हम सबसे पहले क्रानिक आर्गेन डेमेज को रोकने का इलाज करते हैं। हर एक सिकल पेशेन्ट का वार्षिक चेकअप करना हमारा लक्ष्य है। गम्भीर मरीजों को भरती कर आयुष्मान योजना के तहत् मरीजों का  निशुल्क इलाज किया जाता है। मरीज के परिवार वालों का भी निशुल्क सिकल टेस्ट और इलेक्ट्रोफोरेसिस किया जाता है।
 
           डॉ. ने सवाल जवाब के दौरान बताया कि सिकल के मरीज पैदा न हो इसके लिये शादी के बाद प्रीनेटल और एन्टीनेटल डॉग्नोसिस की सलाह देते है। अब तो प्रीनेटल डायग्नोसिस अत्यन्त कम खर्चे में बिलासपुर में उपलब्ध है।
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