पांच साल में 20 लाख रोजगार देने के लिए हर विभाग का लक्ष्य निर्धारित

Shri Mi
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नयी दिल्ली- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के ‘रोजगार बजट’ में हमने अगले पाँच साल में 20 लाख रोज़गार तैयार करने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए सभी विभागों के लक्ष्य और समय सीमा निर्धारित किए गए।सरकार ने ‘रोजगार बजट’ को धरातल पर उतारने के लिए शुक्रवार को यहाँ मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार हमने ‘रोजगार बजट’ में अगले पांच साल में 20 लाख नई नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य रखा है। इस संबंध में इतना विशिष्ट विवरण प्रस्तुत किया गया है कि यह अपने आप में बजट बनाने के अभ्यास में पूरी तरह से एक नया प्रयोग है। अभी तक किसी भी सरकार ने बजट बनाने में इस तरह का प्रयास नहीं किया है। हमारा यह ‘रोजगार बजट’ नया है और चुनौती पूर्ण भी है। अगर हम सभी लोग मिलकर इसको करेंगे, तो लक्ष्य को हासिल कर लेंगे। आज देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार का ही है। लोगों के पास रोजगार नहीं है।

श्री केजरीवाल ने समीक्षा बैठक के उपरांत ट्वीट कर कहा, ‘‘दिल्ली के ‘रोजगार बजट’ में हमने अगले पाँच साल में 20 लाख रोज़गार तैयार करने का लक्ष्य रखा है। ऐसा काम देश में पहली बार हो रहा है। आज सभी विभागों की बैठक ली। हर विभाग के लक्ष्य और समय सीमा निर्धारित किए गए। सभी खूब उत्साहित हैं। मुझे विश्वास है कि हम अपना लक्ष्य ज़रूर पूरा करेंगे।’’

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सभी विभागों से कहा कि उनके लिए एक समय सीमा निर्धारित की गई है। उस समय सीमा का सभी विभाग पालन अवश्य करें। किसी भी विभाग को तय समय सीमा को पार नहीं करना है। सभी विभागों के प्रमुख यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके विभाग में फाइल प्रोसेसिंग और निर्णय सही और तेजी से लिए जाएं। अगली समीक्षा बैठक में कोई पुराना बहाना नहीं चलेगा। अगर कोई काम नहीं हो पा रहा है, तो उसके लिए विभागों प्रमुखों की जिम्मेदारी है कि उसे कराएं और आगे बढ़ाएं। सभी विभागों को अपनी भूमिका और समय सीमा स्पष्ट तौर पर समझाने के लिए आज यह बैठक की गई है। सरकार के पास राजस्व और नौकरी सृजन करने के लिए जमीन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए जमीन को लेकर सभी को थोड़ा खुले दिमाग से सोचना पड़ेगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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