किसानों ने फिर दी आंदोलन की चेतवानी..धीरेन्द्र ने बताया.एमएसपी से सेठों का भला.किसानों का नहीं ..सरकार को लाना होगा लागत भुगतान का कानून

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-भारतीय किसान संघ जिला ईकाई अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि प्रदेश के किसान लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य घोषित किए जाने की पुरजोर मांग करता है। केन्द्र सरकार खरीदी सुनिश्चित करने कानून बनाए।
 
                  किसान नेता धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि भारतीय किसान संघ ने देशव्यापी आंदोलन के तहत अभी तक 513 से अधिक जिला केंद्रो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कलेक्टर को देकर लागत के आधार पर उत्पाद मूल्य दिए जाने की मांग को रखा है। दुबे ने बताया कि अखिल भारतीय स्तर पर 8 सितम्बर को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ ने आंदोलन किया। आंदोलने के दौरान कोविड प्रोटोकाल का शिद्दत के साथ पालन किया गया। पूरे देश में एक साथ 513 जिला केंद्रो में शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया गया।
 
               इस अवसर पर किसानों ने प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को मांग पत्र भी दिया। देशव्यापी किसान आंदोलन के दौरान राजनैतिक दल को प्रवेश नहीं दिया गया। भारतीय किसान संघ ने प्रधानमंत्री को सौंपे गए मांग पत्र में देश के किसानों की लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की मांग को पुरजोर तरीके से पेश किया। 
 
               किसान नेता धीरेन्द्र ने बताया कि भारतीय किसान संघ ने फैसला किया है कि केन्द्र सरकार मांग पत्र को गंभीरता से नहीं लेती है तो किसान संघ आंदोलन के लिए मजबूर होगा।
 
लागत आधार पर किया जाए भुगतान
 
          भारतीय किसान संघ नेता ने बताया कि शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन के माध्यम से हमने केन्द्र सरकार से उपज का लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किए जाने की बात कही है।किसानों ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया है कि यूनतम समर्थन मूल्य घोषित होने के बाद भी मंडी का भाव उत्पाद मूल्य से कम होता है। जाहिर सी बात है कि किसानों इससे सीधा नुकसान है। कृषि आदान लगातार महंगे हो रहे हैं। तुलना में न्यूनतम समर्थन मूल्य बहुत ही कम है।
 
कृषि आदान व्यापार से लाभ लेकिन किसान को नुकसान
 
          किसान नेता ने बताया कि कृषि आदान पूर्तिकर्ता व्यापारी, उद्योग चलाने वाली संस्थायें सभी लाभ कमा रहे है। लेकिन अन्न उत्पादन करने वाला गरीब किसान गरीब से और गरीब होता जा रहा है। बाजार भाव और न्यूनतम समर्थन मूल्य में सैकड़ों रूपयों का अंतर है। हाल यह है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नही मिलने के कारण .. भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। उत्पादन की मूल लागत तक नहीं मिल रही है।
 
लागत के आधार पर मूल्य घोषित करें
 
             भारतीय किसान संघ ने भारत सरकार के मुखिया को सुझाव दिया कि देश में उत्पादन बढ़ाने के साथ किसान की आय बढ़ाने और कृषि लागत कम करने की नीति पर जोर दिया जाना जरूरी है। प्रधानमंत्री से निवेदन है कि देश के सभी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की बजाय लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए। मंहगाई के अनुपात में न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाया जाए। मतलब लागत के आधार पर मूल्य निर्धारित किया जाए। साथ ही किसानों की उपज का बिक्रय भी हो।उपज चाहे मंडी के बाहर हो या फिर मंडी के अंदर या फिर सरकार ही खरीदें। लेकिन घोषित मूल्य से नीचे खरीदी को अपराध माना जाए।
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