नईदिल्ली।गोरक्षा के नाम पर बने संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने की भी जरूरत है। सभी राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे गोरक्षा के नाम पर हुई हिंसा के पीड़ितों को मुआवाजा दें।इससे पहले कोर्ट ने गुजरात, राजस्थान, झारखंड, कर्नाटक और यूपी को आदेश दिया था कि वे अपनी कंप्लायंस रिपोर्ट दाखिल करें जिस पर महाराष्ट्र सरकार को छोड़कर बाकी राज्यों ने अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है। महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह आज शाम तक अपनी रिपोर्ट दायर कर देगें।इससे पहले गोरक्षा के नाम पर बने संगठनों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त होते हुये कहा था कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा रुकनी चाहिए। कोर्ट ने कहा घटना के बाद ही नहीं पहले भी रोकथाम के उपाय जरूरी हैं।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए। पीड़ितों को मुआवजा देना राज्यों के लिए अनिवार्य है।’पीठ ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत राज्य पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना बनाने के लिए बाध्य है और अगर उन्होंने ऐसी कोई योजना नहीं बनाई है तो जरूर बनाएं।कोर्ट ने कहा, ‘हर राज्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए हर जिले में नोडल अफसर तैनात हों, जो ये सुनिश्चित करें कि कोई भी विजिलेंटिज्म ग्रुप कानून को अपने हाथों में न ले। अगर कोई घटना होती है तो नोडल अफसर कानून के हिसाब से कार्रवाई करे।’इस मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।