गुरु घासीदास बाबा के उपदेश आज भी मार्गदर्शक

cgwallmanager
5 Min Read

gasi_dasबिलासपुर।सतनाम को घट में उतारने से सकारात्मक परिवर्तन को सजीव रूप से जीवन में महसूस किया जा सकता है। यह बात गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित हुए कुलोत्सव एवं गुरु घासीदास जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद माननीय डॉ. भूषण लाल जांगड़े ने कही। मनखे –मनखे एक समान को अपने संबोधन का आधार बनाते हुए राज्यसभा सांसद डॉ. जांगड़े ने कहा कि गुरु घासीदास जी ने सामाजिक समरसता, सत्य-अहिंसा और निर्गुण धारा को एक साथ जोड़कर सतनाम को जन-जन तक पहुंचाया।

             
Join Whatsapp Groupयहाँ क्लिक करे

                                         मुख्य अतिथि डॉ. जांगड़े ने कहा कि गुरु घासीदास ने सतनाम यानी आत्मा और परमात्मा के मेल को आत्मसात करने का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि गुरु घासीदास जी के उपदेश समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए वर्तमान युग में बेहद प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय देश का एक मात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जो गुरु घासीदास जी के नाम पर स्थापित है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में गुरु घासीदास जी के व्यक्तित्व-कृतित्व एवं शिक्षाओँ को समझने एवं देश-दुनिया तक पहुंचाने के लिए शोध पीठ की स्थापना की जानी चाहिए जिसके लिए वे आने वाले समय में प्रयास करेंगे।

                                      1shasidasकार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. एम एम हम्बर्डे ने गुरु घासीदास जयंती समारोह के अवसर पर सतनाम पंथ के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी शुरुआत के संदर्भ पंजाब प्रांत से मिलते हैं जो कालांतर में यूपी से होता हुआ छत्तीसगढ़ राज्य में पहुंचा। डॉ. हम्बर्डे ने कहा कि सतनाम समाज स्वावलंबन, सदाचरित और सयंम की भावना को संजोये हुए है।

                                    गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता ने गुरु घासीदास जी को सामाजिक समरसता का प्रणेता बताया। गुरु घासीदास जी को युग दृष्टा के रूप में वर्तमान युग से जोड़ते हुए कहा कि उनके उपदेश आज भी मार्गदर्शक हैं। उन्होंने कहा कि गुरु घासीदास जी ने पिछड़ी परिस्थितियों से समाज उत्थान के लिए समतामूलक समाज का निर्माण किया। इस अवसर पर प्रोफेसर गुप्ता ने गुरु घासीदास जी की लोकप्रिय सूक्तियों पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समाज के लिए गुरु जी के उपदेश आवश्यक हैं। इस पावन अवसर पर उन्होंने घोषणा की कि अगले सत्र से गुरु घासीदास जी नाम पर स्वर्णमंडित पदक प्रदान किया जावेगा। प्रोफेसर गुप्ता ने सभागार में बड़ी संख्या में मौजूद शिक्षाविद् एवं छात्र-छात्राओँ को बड़े हर्ष के साथ सूचित किया कि विद्या परिषद की बैठक मे विश्वविद्यालय में संस्कृत, समाजशास्त्र तथा दर्शन एवं धर्म विषयों में विभाग प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है तथा प्रयास किया जायेगा कि इन विषयों के पाठ्यक्रमों की विषयवस्तु में गुरु घासीदास जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का अध्ययन किया जाये

                               ghasidasविश्वविद्यालय के कुलोत्सव के अवसर पर मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद डॉ. भूषण लाल जांगड़े, विशिष्ठ अतिथि छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. एम एम हम्बर्डे एवं कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता ने निबंध, वाद-विवाद एवं प्रश्न मंच के विजेताओँ को 2500 रुपये नकद एवं उप विजेताओँ को 2000 रुपये की नदक राशि एवं प्रमाण पत्र प्रदान किये साथ ही सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर 9 अध्ययनशालाओँ के 9 छात्र-छात्राओँ को प्रोत्साहन स्वरूप 10-10 हजार रूपये का चेक छात्र कल्याण योजना के अंतर्गत प्रदान किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने पर छात्र कल्याण योजना के अंतर्गत दो छात्राओँ को 5-5 हजार रुपये की राशि का चेक भी दिया गया।

                              कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव कार्यवाहक प्रोफेसर मनीष श्रीवास्तव जी ने 1983 में विश्वविद्यालय की स्थापना के उद्देश्यों का प्रकाश डाला एवं साथ ही मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, अध्यक्ष, कार्यक्रम के संयोजक एवं बड़ी संख्या कुलोत्सव एवं जयंती समारोह में शामिल हुए शिक्षक, गणमान्य नागरिक एवं छात्र-छात्राओं का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन वानिकी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. गरिमा तिवारी ने किया।

close