इण्डिया वाल—–साल 2020 का पहला सूर्यग्रहण आज यानि 21 जून को 9 बजकर 56 मिनट से शुरू हो गया है। ग्रहण काल 2 बजकर28 तक रहेगा। इस दौरान सूर्य फायर रिंग की तरह नजर आएगा। ज्योतिष और खगोल में विश्वास करने वालों के अनुसार ग्रहण को 26 दिसंबर 2019 के ग्रहण के बाद फैले कोरोना महामारी के प्रभाव से मुक्ति दिलाने वाला साबित होगा।ग्रहण के दौरान कुछ स्थानों पर सूर्य 94 प्रतिशत छिप जाएगा।
कहां दिखेगा सूर्यग्रहण
21 जून को सुबह 9 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर सूर्य दोपहर 2 बजकर 28 मिनिट तक सूर्य ग्रमण रहेगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण होगाषचंद्रमा की छाया सूर्य के 99 प्रतिशत भाग को ढक लेगा। वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्यग्रहण खगोलीय घटना है। सूर्य का जब कुछ हिस्सा ग्रहण के दौरान ढक जाता है तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैंओ। जब सूर्य पूरी तरह ढक जाता है और रोशनी चारों ओर से अंगूठी की तरह दिखायी देता है तो तो उसे कंकण सूर्यग्रहण या खग्रास कहते हैं। यह घटना हमेशा अमावस्या को होती है। चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा को होता है।
सूर्यग्रहण का समय
दिल्ली सूर्यग्रहण समय सुबह 10 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा। मुंबई में सुबह 10 बजकर 43 सेकंड से चालू होगा। चेन्नई में सुबह 10 बजकर 22 मिनट से और वखनऊ में सूर्यग्रहण का समय सुबह 10 बजकर 26 मिनट से शुरू होगा। कानपुर में सूर्यग्रहण समय सुबह 10 बजकर 24 मिनट से शुरू होगा। महाकाल नगरी उज्जैन में सूर्यग्रहण समय का समय सुबह 10 बजकर 11 मिनट से प्रारम्भ होगा।
क्या है कंकण सूर्यग्रहण
साल 2020 में भारत में दिखने वाला एक मात्र सूर्यग्रहण कंकण सूर्यग्रहण होगा। भारत में मसूरी, टोहान, चमोली, कुरुक्षेत्र, देहरादून में यह ग्रहण कंकण रूप में नजर आएगा। जबकि कई नगरों में ग्रहण का प्रतिशत अलग-अलग होगा और खंडग्रास के रूप में दिखेगा।
ज्यातिष शास्त्र में आस्था रखने वालों के अनुसार सूर्यग्रहण से नक्षत्रों में होने वाले बदलावों के चलते कोरोना महामारी की अंत होना शुरू हो जाएगा। इस बार सूर्य ग्रहण रविवार को होने की वजह से वर्षा की कमी, गेहूं, धान और अन्य अनाज के उत्पादन में कमी आ सकती है। गाय के दूध का उत्पादन भी घट सकता है। प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच भी तनाव बढ़ेगा। लेकिन व्यापारियों के लिए ग्रहण फलदायी होगा।
क्या है मान्यताएं
सूर्यग्रहण को लेकर लोगों के बीच अलग-अलग मान्यताएं हैं। इस समय लोग घर पर रहना पसंद करते हैं। कुछ भी खाने से बचते हैं। तुलसी के पत्तों को जल में और दूध, दही व घी में डालकर रखा जाता है। ताकि ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सके। ग्रहण के दौरान पूजापाठ नहीं होता है। ग्रहण खत्म होने के बाद लोग स्नान भी करते हैं।