बिलासपुर—-कमिश्नर डॉ.संजय अलंग ने आनलाइन जीपीएम, कोरबा, रायगढ़ जिले के आदिवासी समाज प्रमुखों से संवाद किया। उन्होने कहा कि अधिकारी राज्य शासन के मंशानुरूप काम करें। बिना किसी देरी के आदिवासी समाज की जाति प्रमाण पत्र को जारी करें। उन्होने जोर देकर कहा कि यदि आदिवासी समाज के किसी व्यक्ति का मिसल रिकार्ड नहीं है। तो ग्राम सभा के अनुमोदन से जाति का निर्धारण किया जाए। राज्य सरकार ने स्पष्ट प्रावधान कर दिशा-निर्देश जारी भी किए है।
आनलाइन बैठक में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, कोरबा तथा रायगढ़ के आदिवासी समाज के प्रमुख लोगों ने शिरकत किया। इस दौारन डॉ.अलंग ने सभी जिलों के कलेक्टर और आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त को जरूरी दिशा निर्देश दिया। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही से पाव समाज के दयाराम पाव ने दस्तावेज में मात्रात्मक त्रुटि होने की वजह से जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाए जाने की शिकायत की। सेेमरा गांव की गजमती भानू ने बताया कि उसके पास मिसल रिकार्ड नहीं है। जिसके चलते जाति प्रमाण पत्र बनने में दिक्कत आ रही है। डॉ. अलंग ने समस्या को गंभीरता से लेते हुए निराकरण का निर्देश दिया। उन्होने कहा कि जल्द ही ग्रामसभा के माध्यम से जाति का फैसला कर लिया जाएगा।
कोरबा जिले के आदिवासी समाज के लोगों ने भी मिसल समस्या और नाम में मात्रात्मक त्रुटि की परेशानियों को सामने रखा। बिरहोर समाज के पहाड़ी कोरवा रामसिंह ने समाज के छूटे हुए सदस्यों की जाति, निवास, आधार कार्ड नही बनाए जाने को लेकर चिंता को जाहिर किया। गोड़ समाज के सेवक राम मरावी ने विस्थापन के कारण मिसल नहीं होने की जानकारी को साझा किया।
संभागायुक्त संजय अलग ने कहा कि ग्राम सभा के विशेष शिविर के माध्यम से सभी छूटे हुए सदस्यों के प्रमाण पत्र जारी किया जाए। रायगढ़ के आदिवासियों ने भी जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने को लेकर कमोबेश इन्ही कारणों को बताया। इस दौरान संभागायुक्त ने सभी आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों की समस्याओं को गंभीरता से लिया। आश्वासन दिया कि जल्द ही ग्राम सभा के माध्यम से शिविर लगाएंगे।ग्रामसभा से अनुमोदन के जाति प्रमाण पत्र का फैसला किया जाएगा।