क्या बिलासपुर संभाग से एनटीपीसी की गद्दारी का नतीजा है भिलाई आईआईटी?

Chief Editor
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जब सारे सयंत्र बिलासपुर कोरबा व रायगढ जिले मेंं तो आईआईटी शुरू करने, भिलाई को क्यो देगा करोडों?
किसी भी जनप्रतिनिधी ने क्यों नही किया विरोध?
और क्यों नहीं कहा कि इसेे भिलाई की बजाय बिलासपुर रायगढ या कोरबा जिले में खोला जाना चाहिये?

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IMG-20160204-WA0035(शशि कोन्हेर)। इस बात को लगभग एक माह होने जा रहा है, जब प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय के अथक प्रयासों से केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी ने भिलाई में आईआईटी खोलने की मंजूरी दे दी। प्रदेश के लिये यह अच्छी खुशखबरी थी कि छत्तीसगढ में देश का लब्ध प्रतिष्ठित संस्थान, आइ्र्रआईटी खोलने का निर्णय लिया गया था। लेकिन इसे शुरू करने के लिये ,भिलाई, का चयन कर एक बार फिर बिलासपुर और सरगुजा संभाग की घोर उपेक्षा कर दी गई। वह भी तब, जब भिलाई में आईआईटी खोलने में एनटीपीसी द्वारा करोड़ों रूपये काआर्थिक सहयोग दिये जाने की बात कही जा रही है ।और बिलासपुर, रायगढ व कोरबा जिले के साथ ही पूरे संभाग को इस बात का गुस्सा है कि जब एनटीपीसी के सारे सयंत्र बिलासपुर कोरबा और रायगढ जिले में हैं तो उसकी आर्थिक मदद से खुलने वाले इस प्रस्तावित आईआईटी के लिये भिलाई की बजाय बिलासपुर अथवा सरगुजा संभाग में ही किसी जगह को क्यों तय नहीं किया गया। इससे एक बार फिर बिलासपुर व सरगुजा संभाग खुद को छला हुआ महसूस कर रहा है।

                               ntpcकायदे से एनटीपीसी को अपने बिलासपुर, कोरबा और रायगढ सयंत्र के एसओआर फण्ड की राशि उसी क्षेत्र अथवा वहां निवासरत लोगों के कल्याण और विकास के लिये खर्च करनी चाहिये। लिहाजा, एनटीपीसी प्रबंधन को सरकार के सामने यह पेशकश करनी थी कि प्रदेश का पहला प्रस्तावित आईआईटी भिलाई की बजाय बिलासपुर अथवा सरगुजा संभाग में किसी स्थान पर शुरू किया जायेगा तो ही वह इसके लिये सहर्ष आर्थिक मदद करे पायेगी। वहीं बिलासपुर और सरगुजा संभाग के नेताओं को भी इसके लिये एनटीपीसी प्रबंधन और प्रदेश सरकार पर दबाव डालना था। लेकिन ऐसा न कर भिलाई में आईआईटी के प्रस्ताव को इस संभाग के जनप्रतिनिधियों ने सर झुकाकर जिस तरह मान लिया वह शर्मनाक है। पूछा जा सकता है कि क्या भिलाई स्टील प्लांट, बिलासपुर अथवा रायगढ या कोरबा में किसी बडे कार्य के लिये आथ्रिक मदद करेगा ? जाहिर है कि यह संभव ही नहीं है। तब बिलासपुर कोरबा और रायगढ में सयंत्र चलाने वाले एनटीपीसी प्रबंधन ने भिलाई में आईटीआई संस्थान खडे करने के लिये करोडों रूपये खर्च करने की बात कैसे मान ली? प्रबंधन का यह फैसला बिलासपुर, कोरबा और रायगढ जिले समेत समस्त बिलासपुर व सरगुजा संभाग के लोगों के साथ सरासर नाईंसाफी और गढ्दारी है।और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिये।

                              लेकिन इस क्षेत्र के अडतीस विधायकों और पांच सांसदों में से किसी ने आज तक इसके खिलाफ कोई आवाज भी नहीं उठाई। वहीं भाजपा तो छोडिये कांग्रेस और बसपा सरीखे प्रमुख राजनीतिक दलों के अलावा तमाम छात्र और युवा संगठनों के स्थानीय नेताओं ने भी इस मुद्दे पर शर्मनाम आपराधिक चुप्पी ओढ रखी है। ध्यान रहे, सेन्ट्रल युनिवर्सिटी के मामले में भी बिलासपुर के जनप्रतिनिधियों ने तब ऐसा ही मौन साध लिया था। इसी मौन के चलते सेन्ट्रल युनिवर्सिटी रायपुर में खोलने का निर्णय प्रदेश विधानसभा में सर्वसम्मति से कर दिया गया था। बिलासपुर और सरगुजा संभाग के एक भी तत्कालीन विधायक ने सदन में इस प्रस्ताव का न तो विरोध किया और न सेन्ट्रल युनिवर्सिटी बिलासपुर में खोलने की कोई बात कही।बाद में बिलासपुर के छात्रों, युवाओं और आम जनों ने मुखालफत की और इसके खिलाफ सर्वदलीय आवाज उठाई।

                            इसका ही परिणाम है कि गुरू घासीदास विश्वविद्यालय को सेन्ट्रल युनिवर्सिटी का सम्मान और बिलासपुर को एक और नई ,बिलासपुर युनिवर्सिटी मिल पाई। कायदे से ऐसा ही कुछ भिलाई आईआईटी वाले मामले में भी किया जाना चाहिये। सभी को इस आइ्र्रआईटी को बिलासपुर कोरबा या रायगढ अथवा सरगुजा संभाग के किसी भी स्थान पर खोलने के लिये आवाज उठानी चाहिये। वहीं बिलासपुर संभाग के साथ एनटीपीसी प्रबंधन की गद्दारी के खिलाफ भी रेलवे जोन आंदोलन सरीखा ही कोई जंगी अंांदोलन किया जाना जाना जिससे भविष्य में कोई और शासकीय या गैर शासकीय संस्थान, ऐसा करने की हिमाकत न कर सके।

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