सीएम के दौरे का “परमानेंट साइड इफ़ेक्ट”…ऐसा बिलासपुर में ही क्यूं होता है..?

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(रुद्र अवस्थी)सीएम भूपेश बघेल का यह दौरा एक विवाद की वजह से भी यादगार बन गया। जब सीएम की मौजूदगी में शहर के कांग्रेस के ही दो नेताओं के बीच कहासुनी हो गई। दोनों के बीच तंजकशी की वजह से कहासुनी हुई। लेकिन मामला वहीं पर खत्म नहीं हुआ । इसकी शिकायत भी पीसीसी तक पहुंच गई। पीसीसी ने मामले की जांच कराने के लिए कमेटी भेज दी। कमेटी ने जांच -पड़ताल -पूछताछ भी कर ली। अब कमेटी की रिपोर्ट पर प्रदेश संगठन की ओर से क्या कार्रवाई होती है….. ? यह आने वाले समय में ही पता लग सकेगा। लेकिन पार्टी के बड़े नेता गिरीश देवांगन की मौजूदगी में ब्लाक कांग्रेस अध्यक्षों के शपथ ग्रहण समारोह में जिस तरह “कहा -सुनी” वाले दोनों नेताओं को सम्मान के साथ मिलने का मौका दिया गया, उससे यह साफ समझा जा सकता है कि प्रदेश संगठन की दिलचस्पी इस विवाद को आगे बढ़ाने की बजाय जहां के तहां समाप्त करने में अधिक है। आगे जो भी हो । वैसे इस तरह का मामला दीवानी का माना जाए या फौजदारी का … ? यह तो ज़ानकार लोग ही सही-सही बता सकेंगे । लेकिन सीएम की मौजूदगी में सर्किट हाउस के अहाते में हुई इस घटना के असर पर नज़र रखने वाले लोग बहुत सी बातों की और गौर कर रहे हैं। वैसे कांग्रेस संगठन की ओर से ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद प्रदेश में कई जगह उठापटक की खबरें आ रही हैं ।CGWALL News के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने यहाँ क्लिक कीजिये

लेकिन बिलासपुर में रिएक्शन कुछ अलग अंदाज का है। जहां प्रदेश में सरकार चलाने वाली पार्टी के भीतर अपनी लकीर लंबी करने की बजाय दूसरों की लकीर मिटाने की कवायद अधिक नजर आ रही है। इस खेल में हेड लाइन मैनेजमेंट कुछ इस तरह हुआ कि सीएम भूपेश बघेल के दौरे ….उनकी ओर से दी गई सौगातें और आम सभा में पेश की गई सरकार की उपलब्धियों की बजाए पार्टी के ही दो लोगों के बीच इस झगड़े की न सिर्फ सुर्खियां बनी बल्कि चर्चा भी यही हो रही है। दिलचस्प बात यह भी है कि पिछले 2 साल से सरकार बनने के बाद न्यायधानी में मुख्यमंत्री के करीब हर एक दौरे के बाद इस तरह की सुर्खियां बनती हैं। जिसमें कोई जनप्रतिनिधि निरीह नजर आता है और वही पार्टी के ही दूसरे लोग हावी दिखाई देते हैं। कहीं मंच पर किसी का हाथ पकड़ते हुए फ़ोटो वायरल हो जाती है, तो कहीं मान – अपमान, इज्जत – बेइज्जती , अनुशासनहीनता को उज़ागर करने वाली तस्वीर मोबाइल – दर – मोबाइल सफ़र करती रहती है। ऐसे मौकों पर एक दूसरे के आमने-सामने दिखाई देने वाले पात्र वहीं रहते हैं और विवाद का मुद्दा बदल जाता है। इसके बाद कई दिनों तक लोग चटख़ारे लेकर हिसाब लगाते रहते हैं कि जनता के वोट से जीतकर आए नुमाइंदे का वज़न अब कितने किलो कम हो गया है । सहानुभूति की लहर चलती है और हेडलाइन मेनेज़मेंट के ज़रिए एक और उपलब्धि उनके नाम दर्ज़ हो जाती है। भाजपाई यह देखकर खुश रहते हैं कि उनका काम खुद कांग्रेस के लोग ही कर रहे हैं। लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि बिलासपुर में ही ऐसा क्यूं होता है ……. ? बिलासपुर की पॉलिटिकल मूव्ही के “ दी एंड” में दुखांत वाला वही सीन क्यूं आ जाता है और सीएम के दौरे की उपलब्धियों के ऊपर वही परमानेंट तस्वीर कॉपी – पेस्ट होने के बाद आख़िर किसका नंबर बढ़ जाता है….? पिछले कुछ अर्से से सीएम के बिलासपुर दौरे का यह एक तरह से परमानेंट साइड इफेक्ट बन गया है। जिस पर पार्टी का भला चाहने वाले लोगों की चिंता स्वभाविक है।

सीएम के दौरे का परमानेंट साइड इफ़ेक्ट

सीएम भूपेश बघेल का यह दौरा एक विवाद की वजह से भी यादगार बन गया। जब सीएम की मौजूदगी में शहर के  कांग्रेस के ही दो नेताओं के बीच कहासुनी हो गई। दोनों के बीच तंजकशी की वजह से कहासुनी हुई। लेकिन मामला वहीं पर खत्म नहीं हुआ ।  इसकी शिकायत भी पीसीसी तक पहुंच गई। पीसीसी ने मामले की जांच कराने के लिए कमेटी भेज दी। कमेटी ने जांच -पड़ताल -पूछताछ भी कर ली। अब कमेटी की रिपोर्ट पर प्रदेश संगठन की ओर से क्या कार्रवाई होती है….. ? यह आने वाले समय में ही पता लग सकेगा। इस तरह का मामला दीवानी का माना जाए या फौजदारी का … ? यह तो ज़ानकार लोग  ही सही-सही बता सकेंगे । लेकिन सीएम की मौजूदगी में सर्किट हाउस के अहाते में हुई इस घटना के असर पर नज़र रखने वाले लोग बहुत सी बातों की और गौर कर रहे हैं। वैसे कांग्रेस संगठन की ओर से ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद प्रदेश में कई जगह उठापटक की खबरें आ रही हैं ।  लेकिन बिलासपुर में रिएक्शन कुछ अलग अंदाज का है। जहां प्रदेश में सरकार चलाने वाली पार्टी के भीतर अपनी लकीर लंबी करने की बजाय दूसरों की लकीर मिटाने की कवायद अधिक नजर आ रही है। इस खेल में हेड लाइन मैनेजमेंट कुछ इस तरह हुआ कि सीएम भूपेश बघेल के दौरे ….उनकी ओर से दी गई सौगातें और आम सभा में पेश की गई सरकार की उपलब्धियों की बजाए  पार्टी के ही दो लोगों के बीच इस झगड़े  की न सिर्फ सुर्खियां बनी बल्कि चर्चा भी यही हो रही है।

दिलचस्प बात यह भी है कि पिछले 2 साल से सरकार बनने के बाद  न्यायधानी में मुख्यमंत्री के करीब हर एक दौरे के बाद इस तरह की सुर्खियां बनती हैं। जिसमें कोई जनप्रतिनिधि निरीह नजर आता है और वही पार्टी के ही दूसरे लोग हावी दिखाई देते हैं। कहीं मंच पर किसी का हाथ पकड़ते हुए फ़ोटो वायरल हो जाती है, तो कहीं मान – अपमान, इज्जत – बेइज्जती , अनुशासनहीनता को उज़ागर करने वाली तस्वीर मोबाइल – दर – मोबाइल सफ़र करती रहती है। ऐसे मौकों पर एक दूसरे के आमने-सामने दिखाई देने वाले पात्र  वहीं रहते हैं और विवाद का मुद्दा बदल जाता है। इसके बाद कई दिनों तक लोग चटख़ारे लेकर हिसाब लगाते रहते हैं कि जनता के वोट से जीतकर आए नुमाइंदे का वज़न अब कितने किलो कम हो गया है । सहानुभूति की लहर चलती है और हेडलाइन मेनेज़मेंट के ज़रिए एक और उपलब्धि उनके नाम दर्ज़ हो जाती है। भाजपाई यह देखकर खुश रहते हैं कि उनका काम खुद कांग्रेस के लोग ही कर रहे हैं। लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि बिलासपुर में ही ऐसा क्यूं होता है ……. ? बिलासपुर की पॉलिटिकल मूव्ही के “ दी एंड” में दुखांत वाला वही सीन क्यूं आ जाता है और सीएम के दौरे की उपलब्धियों के ऊपर  वही परमानेंट तस्वीर कॉपी – पेस्ट होने के बाद आख़िर किसका नंबर बढ़ जाता है….? पिछले कुछ अर्से से सीएम के बिलासपुर दौरे का यह एक तरह से परमानेंट साइड इफेक्ट बन गया है। जिस पर पार्टी का भला चाहने वाले लोगों की चिंता स्वभाविक है।

किसानों की असली चिंता

चिंता तो किसानों को लेकर भी खूब हो रही है। राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली  के आसपास इलाके में विरोध प्रदर्शन पिछले कई दिनों से लगातार जारी है। कई दौर की बातचीत के बाद भी इसका हल नहीं निकल सका है। लेकिन देश के साथ ही अपने छत्तीसगढ़ में भी किसानों को लेकर चिंता करने वालों की संख्या बढ़ गई है। जाहिर सी बात है कि केंद्र की एनडीए सरकार के खिलाफ खड़े हुए किसान संगठनों की मांगों का समर्थन करने के लिए कांग्रेस के लोग आगे आ रहे हैं। काग्रेस के लोगों ने इस आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि भी दी और तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग भी की। उधर भारतीय जनता पार्टी भी किसानों की चिंता करते हुए धान खरीदी के मुद्दे पर प्रदेश की सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है। पार्टी संगठन की बैठक हो रही है। पार्टी के नेता संवाददाता सम्मेलन कर बताने की कोशिश कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ की सरकार किस तरह किसानों के साथ वादाखिलाफी कर रही है। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के साथ ही  किसानों से जुड़े दूसरे मुद्दों पर प्रदेश सरकार को घेरने के लिए हर एक विधानसभा में धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। भाजपा का कहना है कि छत्तीसगढ़ की सरकार  किसानों के साथ छल – कपट कर रही है। जवाब में कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ किया अपना वादा पूरा नहीं किया। इतना ही नहीं भूपेश सरकार जब समर्थन मूल्य पर धान खरीदी कर रही है तो केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ को  चावल का कोटा कम कर रही है। बरहाल तर्क वितर्क दोनों ओर से किए जा रहे हैं । दोनों तरफ से पेश की जा रही दलीलों को लोग समझने की कोशिश कर रहे हैं । हालांकि खेतों पर डाले गए बीज को लहलहाती  फसल के रूप में बदलते हुए देखने के लिए कई महीनों तक सब्र करने वाले किसान ही बेहतर समझ सकते हैं कि किसकी दलील सही है और वही बता सकते हैं कि सही में किसान को लेकर असली चिंता किसे है  । लेकिन सरल गणित समझने वाला कोई भी आदमी इस सवाल का जवाब तो जरूर ढूंढ रहा होगा कि सत्ता में आते ही कोई पार्टी कैसे किसान विरोधी और विपक्ष में आते ही कोई पार्टी किसानों की हितवा कैसे हो जाती है……..?

आपके मुंह में घी –शक्कर

जवाब की तलाश तो इस सवाल को भी है कि बिलासपुर से नियमित हवाई सेवा कब शुरू होगी …… ? इस मांग को लेकर पिछले काफी समय से धरना आंदोलन चल रहा है। जब अखंड धरना शुरू हुआ था तब लोगों के घरों में साल 2019 का कैलेंडर टंगा हुआ था। अब तो 2020 का कैलेंडर भी बदल गया और 2021 का नया कैलेंडर खीले पर टांग दिया गया है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि शायद इस नए कैलेंडर में ही कोई तारीख ऐसी होगी, जब लोग अपने बिलासपुर के हवाई अड्डे से बड़े शहरों तक हवाई जहाज को उड़ान भरते देख सकेंगे। अब तक सिर्फ़ तारीख़ – पर – तारीख़ ही सुनते आ रहे लोगों की उम्मीद राज्यसभा सांसद विवेक तनखा और बिग फ्लाई एयरलाइंस के डायरेक्टर के बिलासपुर दौरे के बाद और मजबूत हुई है। जिसमें यह भरोसा दिलाया गया है कि आने वाले 30 दिनों में बिलासपुर से हवाई सेवा शुरू हो जाएगी। उम्मीदों के आसमान पर हवाई जहाज देख रहे लोग अब सिर्फ इतना कह सकते हैं कि इस बार सही में यह खबर सच निकले तो “आपके मुंह में घी शक्कर…” ।

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