रामकथाः अधर्म का नाश करने आते हैं भगवान…मानस मर्मज्ञ ने बताया..तीर्थस्थल को आध्यात्मिक कार्यशाला..अहंकार ही दुख का कारण

BHASKAR MISHRA
7 Min Read
बिलासपुर— जो मनुष्य अपना सुख,दुख और सारे काम हरि पर छोड़ देता है उस पर भगवान की हमेशा कृपा होती है। इंसान लालची होता है। सुख को अपना कर्म और दुख को हरि इच्छा कहता है। यह सोच बहुत गलत है। यदि आपने अपना हर काम इश्वर पर छोड़ दिया है। आपके सभी मनोरथ सिद्ध होंगे। लेकिन इसके लिए विश्वास रखना होगा। यह बातें स्थानीय लाल बहादुर शास्त्री शाल मैदान में प्रभु श्री राम की कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से मानस मर्मज्ञ विजय कौशल महाराज ने  कही। विजय कौशल महाराज ने कहा भगवान का अवतार हमेशा उद्देश्य को लेकर होता है।
विजय कौशल महराज ने रामकथा के दूसरे दिन भगवान शिव  पार्वती के संवाद के साथ प्रस्तुत किया। मानस मर्मज्ञ विजय कौशल ने बताया कि भगवान  ना तो निर्गुण है ना ही सगुण है। भगवान शिव ने माता पार्वती से बताया कि जब भी पृथ्वी अधर्म का बोलबाला होता है साधु-संतों, सज्जनों के लिए भगवान असहाय की पीड़ा हरने दुष्टों का नाश करने अवतार लेते हैं। उन्होने कहा जब बुद्धि से सामन्जय बैठ जाए वही समाधि है। भक्ति की समाधि का सिद्धांत में तन की महत्ता गौण होती है। मन  से  ईश्वर की साधना में व्यक्ति जितना समर्पित होगा ईश्वर की कृपा कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेंगी। शरीर हमारा कहीं भी हो, लेकिन चित्त में भगवान होना चाहिए। भगवान की भक्ति में मन को लगाने के लिए ध्यान प्रमुख साधन है।
 सब कुछ भगवान पर छोड़ें
 विजय कौशल ने कहा भगवान की इच्छा को स्वीकार करने पर कृपा ही बरसती है। मनोनुकूल कार्य का होना भगवान की कृपा है। मन के विपरीत दशा होने पर इसे भगवान की इच्छा मानकर सहज भाव से स्वीकारना हमारा कर्तव्य होनो चाहिए। साधना में लीन रहने से दुखों का नाश होता है। मानस पुत्र ने बताया कि गुरुकृपा संकटों से मुक्ति का मार्ग है। गुरु के दिखाए  मार्गों पर चलकर ही भगवान की कृपा और मोक्ष का द्वार खुलता है।
सेवकों का अपराध भगवान पर ज्यादा भारी
विजय कौशल महराज ने भगवान शिव-पार्वत्ती संवाद को बहुत ही जीवंत पेश किया। माता पार्वती को भगवान शंकर ने बताया कि किन परिस्थितियों में भगवान को लौकिक स्वरूप लेना पड़ा। ने बैकुंठ धाम में जय विजय द्वारपालों के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि सेवकों के अपराध का भुगतान भगवान को भी करना पड़ता है। सनकादिक ऋषि के श्राप से मुक्ति के लिए ईश्वर को भी चार जन्म लेना पड़ा। अहंकारी जय और विजय सतयुग में हिरण्याक्ष और हिरण कश्यप, त्रेता युग में रावण कुंभकरण द्वापर युग में शिशुपाल और दंत वक्र के रूप में जन्म लेकर के अपराध से छुटकारा पाए। भगवान ने कश्यप ऋषि एवम उनकी पत्नी अदिति के भक्ति भाव से प्रसन्न होकर उनके घर जन्म लिया। जालंधर की सती वृंदा के पतिव्रत को भंग करने के कारण भगवान को शालिग्राम के रूप में आना पड़ा।
तीर्थ स्थल अध्यात्म की कार्य़शाला
विजय कौशल कौशल ने बताया बेटा बेटी ब्याने के बाद परिवार के मुखिया और पारिवारिक सदस्यों को  जंगल में तीर्थो में रहने की आवश्यकता नहीं है। घर को ही तीर्थ बनाए, सहयोगी बने संयमी रहे, ईश्वर की भक्ति में लीन रहे,कथा का श्रवण करें। तीर्थो सत्संग का लाभ से पारिवारिक एवं सामाजिक व्यवस्था में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि तीर्थ अध्यात्म के वर्कशॉप होते हैं। तीर्थ में कभी भी स्थायी निवास नहीं करना चाहिए। तीर्थ पर भ्रमण कर हासिल ऊर्जा को घर को तीर्थस्थल बनाने में लगाना चाहिए। उन्होंने कहा भगवान परीक्षा से नहीं प्रतीक्षा से मिलते है ।आज के युग में माता-पिता से संवाद नहीं करने वालों पर भगवत कृपा नहीं होती। लोग डॉक्टर वकील इंजीनियर नेता के लिए घंटों बैठे रहते हैं। लेकिन मां-बाप से बात करने का समय नही है।  कल्याण के लिए संवेदनशीलता का होना एवं भक्ति भावना से साधना में लीन होना बहुत जरूरी है।
प्रभु श्री राम जन्म पर बिलासपुर वासियों को बधायी
विजय कौशल जी ने व्यासपीठ से कहा महाराज मनु और उनकी पत्नी महारानी शतरूपा से मनुष्य जाति की इस अनुपम सृष्टि की रचना हुई। श्रीहरि ने वरदान से ही मनु और शतरूपा अयोध्या के राजा दशरथ और महारानी कौशल्या के रूप में जन्म लिए।  महाराज ने बताया धर्म और  मर्यादा की रक्षा के लिए चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मधुमास में मंगलवार के दिन दोपहर 12 बजे भगवान श्री राम ने माता कौशल्या के दिव्य देह से अलौकिक पुरुष के रूप में जन्म लिया। उसी समय रानी कैकयी  एवं रानी सुमित्रा के गर्भ से भी भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न के जन्म का शुभ समाचार अयोध्या को मिला। बधाई का संदेश समूचे अयोध्या राज्य के साथ तीनों लोकों में देवी देवताओं में, गुंजित होता है।
दो कुल तारती है बेटी
आचार्य विजय कौशल जी ने कहा बेटा और बेटी दोनों समान होते हैं। बेटी के जन्म  पर भी खुशी का वातावरण होना चाहिए । जिस घर में बेटी का जन्म नहीं होता वह घर अभागा होता है।इसीलिए बेटी के नाम के आगे सौभाग्यवती जुड़ा रहता है। विजय कौशल जी ने कहा कौशल ने बेटी अपने परिवार के साथ दूसरे परिवार में  सौभाग्य शाली बनाती है।
अतिथियों की विशेष उपस्थिति
व्यासपीठ से विजय कौशल महाराज ने कहा  कि पूर्व मंत्री श्री अमर अग्रवाल के निवास पर प्रतिदिन प्रातः 7:30 से 8:00 तक हवन का आयोजन किया जाता है। सभी हवन में पहुंचकर शामिल हो सकते है। कथा के अंत में समिति के संरक्षक एवं पदाधिकारियों ने सपरिवार आरती कर प्रसाद वितरण किया। आयोजन में पूर्व मंत्री श्री अमर अग्रवाल ,रायपुर से सीताराम अग्रवाल, श्रीनिवास केडिया भिलाई संजय शुक्ला बेटी बचाओ आंदोलन के प्रदेश संयोजक कैलाश अग्रवाल, गुलशन ऋषि ,गोपाल शर्मा, श्री प्रवीण शुक्ला हरिभूमि संपादक श्री प्रदीप शर्मा श्री गुलशन ऋषि कुसुम बृजमोहन अग्रवाल बृजमोहन अग्रवाल, आशुतोष साव , बेनी गुप्ता, सुनील संथालिया शामिल हुए।
Share This Article
close