(रुद्र अवस्थी)छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की अगुवाई में बनी कांग्रेस सरकार आने वाले दिनों में अपनी दूसरी सालगिरह मनाने वाली है । लेकिन इस तारीख से ठीक पहले एक बात का बतंगड़ बन गया और इस सवाल को लेकर चर्चा छिड़ गई कि क्या कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी के भीतर ढाई – ढाई साल मुख्यमंत्री बनाने का कोई फॉर्मूला तय किया है..?दिलचस्प बात यह है कि यह सवाल न्यायधानी बिलासपुर में उठा । जब प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री टी एस सिंहदेव से मीडिया से बातचीत के दौरान इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर यह तो नहीं कहा कि मुख्यमंत्री का नाम तय करते समय ढाई – ढाई साल का कोई फार्मूला तय हुआ था।लेकिन डिप्लोमेटिक जवाब में कहा कि …. परिवर्तन स्वाभाविक प्रक्रिया है….हमने 2 दिन के मुख्यमंत्री भी देखें और कोई 15 साल तक मुख्यमंत्री रहा । अब इस बारे में फैसला हाईकमान को करना है।टीएस बाबा के इस बयान के बाद रायपुर से लेकर दिल्ली तक चर्चा शुरू हो गई । बीजेपी ने भी इस मुद्दे को लपक लिया और पार्टी के बड़े नेताओं ने भी अपनी ओर से बयान दे डाला कि कांग्रेस हाईकमान ने अगर ऐसा कोई फैसला किया है तो उसे साफ-साफ करना चाहिए । लोगों को लग रहा था कि यह मुद्दा अभी और गरमा सकता है।
लेकिन सीएम भूपेश बघेल ने कुछ घंटे के भीतर ही इसकी हवा निकाल दी । उन्होंने साफ कर दिया कि वे 5 साल के मुख्यमंत्री हैं 2 या 3 साल के नहीं हैं और ढाई साल की बात करने वाले प्रदेश में अस्थिरता लाना चाहते हैं । उनका तो यहां तक कहना था कि आलाकमान का निर्देश मिलने पर वे तुरंत इस्तीफा दे देंगे। इस दौरान सूत्रों के जरिए यह खबर भी सुर्खियों में रही कि कांग्रेस हाईकमान ने भी स्पष्ट कर दिया है कि छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन की कोई बात नहीं है । सियासी हलकों में इस बात की चर्चा हो रही है कि बात का बतंगड़ बनने के बाद जिस तरह सब कुछ तड़ – फ़ड़ सामने हो गया । उसके बाद माना जा रहा है कि अब इस मुद्दे का पूरी तरह से पटाक्षेप हो चुका है । लेकिन सियासी दांव पेंच पर नजर रखने वालों की दिलचस्पी अब इस सवाल पर है कि क्या न्यायधानी में कद्दावर मंत्री के सामने उठाए गए इस सवाल का पूरी तरह से जवाब मिल चुका है …..या आने वाले वक्त में इसमें और कुछ जोड़ घटाव की गुंजाइश बाकी रहेगी…।
जब बाजे की धुन पर थिरके सीएम…
लोगों की भावनाओं को समझना और उनके साथ जुड़कर हिस्सेदारी निभाना यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सियासत का एक अहम हिस्सा है । जिसके चलते उन्होंने लोक परंपराओं और उत्सवधर्मिता को हमेशा अहमियत दी है और कई आयोजनों में लोगों ने उन्हें अपने बीच पाया है । यही वजह है कि भूपेश बघेल कभी गेंड़ी पर चढ़कर कदम बढ़ाते हुए दिखाई देते हैं तो कहीं हाथ में भंवरा चलाते दिखाई दे जाते हैं । हाल ही में जब वे रावत नाच महोत्सव में हिस्सा लेने बिलासपुर पहुंचे तो वह अपने कदमों को रोक नहीं पाए और पारंपरिक वेशभूषा में रावत नाच दल के बीच पहुंचकर गुरदुम बाजे की धुन पर थिरकते दिखाई दिए । उन्होंने रावत नर्तक दलों की तरह परंपरागत दोहे भी कहे और आसपास की भीड़ को भी इस बात का एहसास कराया कि उनका मुख्यमंत्री आम लोगों के कितने करीब है ….। सीएम भूपेश बघेल ने बिलासपुर के राउत नाच महोत्सव की जमकर तारीफ की । उन्होंने इसे बिलासपुर की पहचान बताया और इस विरासत को सहेज कर रखने के लिए सरकार की ओर से मदद का पूरा भरोसा भी दिलाया ।
अगले चुनाव की तैयारी में बीजेपी
पिछले हफ्ते भारतीय जनता पार्टी में बड़ी सक्रियता दिखाई दी । जब पार्टी की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी का बिलासपुर दौरा हुआ । उनका यह पहला दौरा परिचयात्मक अधिक नजर आया । जिसमें पार्टी के कई बड़े नेता सक्रिय दिखे । उन्होंने पहली बार दौरे पर आई प्रदेश प्रभारी से मिलकर हाल-चाल बताया । हमेशा चुनावी मोड में रहने वाली बीजेपी में एक बार फिर इस बात की झलक देखी गई कि छत्तीसगढ़ पिछले विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार गंवाने के बाद पार्टी नए सिरे से तैयारी में जुट गई है । पार्टी की ओर से अगले 3 साल के लिए रोडमैप तैयार किया गया है । जिसमें पार्टी एक प्रभावी विपक्ष की भूमिका में नजर आएगी और अगले चुनाव की तैयारी भी इसके साथ ही शुरू हो रही है। बीजेपी की ओर से प्रदेश की मौजूदा कांग्रेस सरकार पर हमले तेज करने की भी रणनीति बनी है और निचले स्तर पर संगठन को सक्रिय और मजबूत बनाने की तरफ भी कदम उठाएं जाएंगे । बीजेपी की प्रदेश प्रभारी के पहले दौरे से यह संकेत भी मिल रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी को की जिम्मेदारी अब नए चेहरों को सौंपने की भी तैयारी कहीं ना कहीं चल रही है । जिससे आने वाले समय में पार्टी में बदलाव भी नजर आ सकता है ।
जमीन की अफरा –तफरी के पीछे कौन…?
राजधानी और राजधानी को जोड़ने वाले बिलासपुर रायपुर नेशनल हाईवे से लगे एक गांव पेंड्रीडीह की जमीन की अफरा-तफरी को लेकर खबरें सुर्खियों में रही । मीडिया के जरिए यह खबर सामने आई कि इस गांव की कई एकड़ जमीन वहां के तहसीलदार ने नियमों को ताक पर रखकर दूसरों के नाम कर दी है । मामला सामने आने के बाद प्रदेश के रेवेन्यू मिनिस्टर जयसिंह अग्रवाल ने अधिकारियों से पूछताछ की । पहली नजर में गड़बड़ी पाए जाने पर इस मामले में जिम्मेदार नजर आ रहे तहसीलदार को सस्पेंड कर दिया गया और मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी गई । ऊपर के लेबल पर भी यह बात कही जा रही है कि सरकारी जमीन की इस तरह की अफरा-तफरी के पीछे कुछ बड़े लोगों का भी हाथ हो सकता है। शायद जांच में इसका भी खुलासा हो सके । जिसके लिए आने वाले वक्त का इंतजार करना बेहतर होगा।
नशा कारोबारियों के ठिकाने आबाद,क्यों..
पिछले कुछ समय से ड्रग्स और नशाखोरी की चर्चा भी जोरों पर है । राजधानी रायपुर में लगातार धरपकड़ से कई मामले सामने आए हैं । कुछ समय पहले ड्रग्स सप्लाई में शामिल बिलासपुर के भी कुछ लोग पकड़े गए हैं । इधर बार-बार शिकायतों के बावजूद न्यायधानी में हुक्का बार जैसे ठिकाने फल फूल रहे हैं । जिन पर रोक लगाने को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों की ओर से भी शिकायतें की गई है । फिर भी कहीं ना कहीं ढिलाई के चलते इस तरह के ठिकाने आब़ाद होते रहे हैं । हाल के दिनों में पुलिस ने एक अभियान चलाकर हुक्का बार के कई ठिकानों पर छापेमारी की और नशाखोरी में लगे कई लोगों को पकड़ा । इसी बीच खुले तौर पर शराब खोरी करने वाले लोगों को भी निशाना बनाया गया । समाज का हर एक तबका पुलिस की ऐसी कार्रवाई को जायज और जरूरी मानता है । साथ ही यह भी उम्मीद की जाती है कि ऐसी मुहिम केवल रस्म अदायगी के लिए ना हो और यह सिलसिला आने वाले समय में लगातार जारी रखने की जरूरत भी महसूस की जाती है । जिससे इस तरह के ठिकाने कभी खुले ही ना जिससे वहां छापा मारने या बंद कराने की जरूरत पड़े।