रूद्र अवस्थीःशब्दों में जान डालने वाला अलहदा पत्रकार..60 वें जन्मदिन पर लिखा देहदान का स्क्रिप्ट..कहा..चलो..बच्चों के काम आएगा शरीर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—(भास्करमिश्र,संपादक,सीजीवॉल) -रूद्र अवस्थी मतलब प्रदेश पत्रकारिता जगत का ऐसा नाम जिसे  शायद ही कोई नहीं जानता या सुना हो। चमत्कृत करने वाला लेखन, सौम्य और गंभीरता रूद्र अवस्थी की  पहचान में शामिल है। सीजी वाल के प्रधान संपादक रूद्र अवस्थी  का राजनीतिक गलियारे में बहुत चर्चित नाम है। उन्होने जब जब कलम चलाया…क्या आम और क्या खास..सभी ने  हाथों हाथ लिया..और उन्हें जमकर पढ़ा। सटीक और सत्यता के ईर्द गीर्द उनका लेखन विश्वनीयता का दूसरा नाम है। जब भी कुछ किया..चर्चा का विषय जरूर बना है। और फिर जब उन्होने सिम्स पहुंचकर देहदान का फैसला किया..तो फिर चर्चा ना हो.. कैसे संभव है।
             रूद्र अवस्थी पत्रकारिता जगत का बहुत बड़ा नाम है। नदियों की तरह तंग और मैदानी घाटियों के बीच से रास्ते नापते हुए हाइवे मतलब पत्रकारिता जगत के शिखर तक पहुंचकर भी कुछ नया करने की भूख आज भी उनमें जिन्दा है। पिछले दिनों एक जुलाई को उन्होने षष्ठी पर्व मनाया। पर्व को ऐसा मनाया कि लोग सालों साल नहीं भूल पाएंगे। अपने साढ़वे जन्म दिन पर शुभकामनाएं लेने के साथ..अपने शरीर को मेडिकल कालेज के बच्चों को समर्पित करने का फैसला किया।  मतलब अपने शरीर को सिम्स को दान करने का एलान किया।
          हमेशा कुछ नया और सकारात्मक सोच के शिकार रूद्र अवस्थी ने सिम्स पहुंचकर देहदान की सारी प्रक्रिया को पूरा किया। इस दौरान आफ्थैल्मिक विभाग प्रमुख और प्राध्यापक डॉ. उमेश चन्द्र तिवारी, नाक गला और कान विभाग प्रमुख और  प्राध्यापक डॉ.आरती पाण्डेय, एनाटोमी विभागाध्यक्ष शिक्षा जांगड़े को हस्ताक्षर के साथ देहदान की प्रक्रिया को रूद्र अवस्थी ना केवल पूरा किया। बल्कि सारी औपचारिकताओं को पूरी करने के साथ फार्म के साथ शरीर को मेडिकल कालेज के नाम मतलब दान किया।
           बातचीत के दौरान रूद्र अवस्थी ने डॉक्टरों से निवेदन किया कि..उन्हें इस बात की बहुत खुशी है कि इस दुनिया से जाने के बाद उनका शऱीर मेडिकल जगत के बच्चों के काम आएगा। यदि सिम्स ने निवेदन स्वीकार किया तो..उन्हें उनके परिवार और शुभचिन्तकों को जो खुशी मिलेगी..उस खुशी को जाहिर करने के लिए उनके पास शब्द नहीं है।  डॉ.उमेश तिवारी, डॉ.शिक्षा जांगड़े और डॉ.आरती पाण्डेय ने रूद्र अवस्थी के इस विनम्र अंदाज को को ना केवल पसंद किया..बल्कि महसूस भी किया कि बड़ा नाम..बड़ा क्यों होता है। और ऐसा हो भी क्यों ना..क्योंकि शब्दों के जादूगर ने जो फैसला किया..वह विरले नहीं..तो बहुत कम लोग ही करते हैं

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