मित्र का दुख दूर करने हर संभव कोशिश करनी चाहिए – संतोष सिंह ठाकुर, गुड़ी में तीन दिवसीय रामकथा प्रारंभ

Chief Editor
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सीपत ( रियाज़ असरफ़ी ) । भगवान श्रीराम के जीवन से हमें कई संदेश मिलते हैं। जिन्हें अपनाने से हमारा जीवन सफल हो सकता है। मित्रता के संबंध में हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ये श्रीराम और सुग्रीव से सीखनी चाहिए। रामायण में रावण ने सीता का हरण कर लिया था। श्रीराम और लक्ष्मण सीता की खोज कर रहे थे, तब उनकी भेंट हनुमानजी से हुई। हनुमानजी ने श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता करवाई। दोनों मित्रों ने एक-दूसरे को अपनी-अपनी परेशानियां बताईं।
यह कथन संतोष सिंह ठाकुर सेलर वाले का है । उन्होंने ग्राम गुड़ी में आयोजित तीन दिवसीय लगातार 13 वें वर्ष के रामकथा के प्रथम दिन कथा वाचन करते हुए कही । इससे पूर्व सांय 6 बजे स्थापना और पूजा-अर्चना की गई । इसके बाद शारदा शक्ति पीठ मैहर (म.प्र.) की साध्वी अन्नपूर्णा माता जी एवं मऊ ( उप्र) श्री रितेश राय जी ने भी कथा का रसपान कराया। कथा में आगे श्री संतोष सिंह ने कहा गुरु के माध्यम से ही भगवान के दर्शन होते सुग्रीव जी ने जैसे बजरंगबली के माध्यम से भगवान श्री राम के बारे में जाना गुरु की महिमा बताते हुए कहा गुरु के बिना व्यक्ति दिशा हीन हो जाता है । गुरु के ज्ञान और संस्कार से लोग आगे बढ़ते है , उसी प्रकार हम सभी रामकथा सुनने के लिए आते है तो बहुत कुछ सीखकर जाते है। श्रीराम ने बालि का वध किया और मित्र सुग्रीव को पत्नी और राजपाठ वापस दिलवाया, लेकिन सुग्रीव सीता की खोज में मदद करने का वचन ही भूल गए। कथा वाचक संतोष सिंह ने आगे बताया कि श्रीराम को बालि वध की वजह से कई बुराइयां भी झेलनी पड़ी, लेकिन उन्होंने मित्र की भलाई के लिए उन बुराइयों को भी स्वीकार किया। सुग्रीव को जब राजपाठ और पत्नी फिर से मिल गए तो वह श्रीराम को दिया गया वचन भूल गया। सुग्रीव राजसी सुख-सुविधाओं का आनंद उठाने में व्यस्त हो गया। काफी समय बीतने के बाद जब सुग्रीव वापस नहीं आया तो श्रीराम ने लक्ष्मण को भेजा। लक्ष्मण ने जब गुस्सा किया तो सुग्रीव को अपनी गलती का अहसास हुआ। सुग्रीव ने श्रीराम से क्षमा मांगी और फिर इसके बाद वानर सेना की मदद से सीता की खोज शुरू हो सकी। हमे श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता से हमें ये सीख मिलती है कि मित्र के दुख दूर करने के लिए हर संभव मदद करनी चाहिए। कभी भी मित्र को दिए वचन को भूलना नहीं चाहिए।
इस अवसर पर समिति के संस्थापक सदस्य सतीश गुप्ता,राज कुमार साहू ,सनत साहू,ठंडा यादव,मीठा यादव,जगमोहन साहू,बासदेव साहू,मनमोहन साहू,बलराम साहू ,सरपंच प्राधिनिधि दुर्गा साहू,सुखसागर साहू,देव कुमार साहू,विद्या प्रसाद गुप्ता ,पवन साहू,पुनिराम साहू,दिलहरण साहू,गोवेर्धन ठाकुर,आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे

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