बिलासपुर— छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी और वन लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ ने संयुक्त होकर प्रदेश सरकार के खिलाफ भोजनावकाश के दौरान नारेबाजी की है। वन विभाग पर भी आक्रोश जाहिर किया है। इस दौरान कर्मचारियों की संयुक्त टीम ने अनिवार्य सेवा निवृत्त का विरोध किया है। हडताली कर्मचारियों ने कांकेर वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एक तरफा अनिवार्य सेवा निवृत्त आदेश को सरकार का तुगलकी फरमान बताया है। हडताली कर्मचारियों ने कहा कि इस प्रकार की कार्यवाही से अफसरशाही को बढ़ावा मिलेगा।
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दोपहर भोजनावकाश के दौरान छत्तीसगढ वन लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ और वन कर्मचारी संघ ने संयुक्त बैनर तले सरकार की अनिवार्य सेवा निवृत्त फरमान का विरोध किया है। डीएफओ कार्यालय के सामने सभी कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की। सरकार से मांग करते हुए कहा कि यदि तुगलकी फरमान को वापस नहीं लिया गया तो चरणबद्ध तरीके से उग्र आंदोलन किया जाएगा।
कर्मचारी संघ ने बताया कि सरकार की अनिवार्य सेवानिवृत्त ना केवल कर्मचारी विरोधी बल्कि जन विरोधी भी है। कर्मचारी नेताओं ने बताया कि वनमण्डल कांकेर में शासन ने 50 वर्ष की आयु और 20 साल की सेवा करने वाले कर्मचारियों को बिना किसी सूचना और कारण के सेवा से बाहर कर दिया गया। जबकि आदेश जारी होने से पहले ना केवल सूचना देना जरूरी है। बल्कि सेवा की समीक्षा भी नहीं की गयी है। कर्मचारियों ने कहा कि इस प्रकार की कार्यवाही से अफसरशाही को बढ़ावा मिलेगा। कर्मचारियों में काम के दौरान दहशत रहेगी। ऐसे कर्मचारी विरोधी आदेश का विरोध किया जाना बहुत जरूरी है।
वन कर्मचारियों ने बताया कि 3 अक्टूबर को शासन के तुलगकी आदेश के खिलाफ वृ्त्त कार्यालयों में एक घंटे का सांकेतिक प्रदर्शन किया जाएगा। इसी दौरान संघ के नेता निश्चित करेंगे कि आने वाले समय में 50 और 20 आदेश के खिलाफ किस प्रकार प्रदर्शन किया जाएगा। लेकिन सरकार के तुगलकी फरमान को किसी भी सूरत में लागू नहीं करने दिया जाएगा।