बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खासतौर से सीनियर सिटीजन की सेहत को लेकर प्रयासरत है। इसके लिए सियान जतन योजना नाम से एक अच्छी योजना भी लोगों के बीच प्रचारित हो रही है। इस सिलसिले में ही बिलासपुर के जिला अस्पताल में एक बोर्ड लगाया गया है जिसमें लिखा है कि – “चिकित्सालय में वृद्ध जनों को सभी प्रकार की दवाइयां निशुल्क प्रदान की जाती हैं….” । लेकिन हकीकत की जमीन पर सीनियर सिटीजन को आसानी से दवाइयां नहीं मिल पा रही है। इसका उदाहरण बिलासपुर के जिला अस्पताल में किसी को भी देखने को मिल सकता है। जहां मुफ्त में दवाई हासिल करने के लिए सीनियर सिटीजन भटकते हुए मिल जाएंगे। कई बार चक्कर काटने के बाद भी उन्हें दवाइयां मिलती है तो उनकी पर्ची में फेरबदल कर दिया जाता है। जिससे एक तो उन्हें सरकार की ओर से दी जा रही मदद नहीं मिल पाती और वे संतुष्ट भी नहीं हो पाते।
ऐसा उदाहरण हाल ही में जिला अस्पताल में सामने आया। इस मामले में एक वरिष्ठ पत्रकार को नियमित रूप से लगने वाली कुछ दवाइयां दी जानी थी। डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारी के लिए नियमित रूप से दी जाने वाली इन दवाइयों को निशुल्क प्राप्त करने के लिए प्रक्रिया के तहत उनकी पर्ची तैयार की गई थी । उन्हें मुफ्त में दवाइयां मिलने में कई दिन लग गए। वजह बताई गई की सिविल सर्जन के दस्तखत नहीं होने की वजह से उन्हें दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं। कई दिन चक्कर काटने के बाद जब सिविल सर्जन अपने चेंबर में बैठे और उनसे मुलाकात हुई तो उन्होंने दवा की पर्ची में काट पीट कर अपने दस्तखत किए। जिससे उन्हें नियमित रूप से इलाज करने वाले चिकित्सक जो दवाइयां लिखते हैं ,वे दवाइयां नहीं मिल सकी। जाहिर सी बात है कि इससे छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सीनियर सिटीजन को मुफ्त में दवाइयां मुहैया कराने के लिए चलाई जा रही योजना पर भी सवाल सवालिया निशान लगता है। और ऐसे उदाहरणों से जमीनी हकीकत का पता चलता है कि जरूरतमंद लोगों को मदद नहीं मिल पा रही है। अस्पताल में बोर्ड तो लगा दिया गया है। जिसमें वृद्ध जनों को सभी प्रकार की दवाइयां निशुल्क दिए जाने का प्रदर्शन किया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से शुरू की गई सियान जतन योजना जैसी महत्वपूर्ण स्कीम का लाभ सही तरीके से लोगों को मिल पा रहा है या नहीं इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जब एक सीनियर पत्रकार के साथ इस तरह का रवैया अपनाया ज़ा रहा है तो आम लोगों की स्थिति समझ़ी जा सकती है।
जानकारी दी गई है कि इसी तरह सीनियर सिटीजन को आमतौर पर ब्लड प्रेशर- डायबिटीज – थायराइड जैसी बीमारियों के लिए नियमित दवाओं की जरूरत पड़ती है। ये दवाइयां उन्हें समय पर नहीं मिलने की स्थिति में स्वाभाविक रूप से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । मुमकिन यह भी है कि वे चक्कर लगाकर थक जाते हैं तो बाजार से भी दवाई खरीदने की मजबूरी सामने आती है। आम तौर पर शिक़ायत करने की बज़ाय लोग किसी तरह विकल्प का सहारा लेते हैं। लेकिन उम्मीद तो यही की जा रही है कि जिला प्रशासन को इस पर निगरानी रखनी चाहिए । जिससे सीनियर सिटिजन को समय पर जरूरत की दवाइयां मिल सकें।