परसा कोल ब्लॉक भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाने याचिकाओं पर बहस पूरी,आदेश सुरक्षित

Chief Editor
4 Min Read

बिलासपुर ।- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दो दिन से चल रही परसा कोल प्रभावित व्यक्तियों की याचिकाओं के अंदर स्टे आवेदन पर हो रही सुनवाई आज पूरी हो गई। चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस राजेन्द्र चन्द्र सिंग सामंत की खण्डपीठ ने स्टे आवेदन पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। इसके पहले दो दिनों में लगभग 7 घंटे चली सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ताओं राजीव श्रीवास्तव, नमन नागरथ, निर्मल शुक्ला के साथ-साथ अन्य अधिवक्ताओं ने पैरवी की।
सन् 2020 में लगी प्रथम याचिका जो मंगल साय एवं अन्य के द्वारा दाखिल की गई है …पर बहस करते हुये अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने खण्डपीठ को बताया कि कोल बेयरिंग एक्ट के तहत अधिग्रहित की गई भूमि पर निजी कंपनी खनन नहीं कर सकती। जबकि इस मामले में राजस्थान राज्य विद्युत निगम ने खनन के सारे अधिकार अडानी समूह की स्वामित्व वाली कंपनी राजस्थान कोलयरी को पूरी खदान आयु के लिये सौप दिये है। राजस्थान की कंपनी स्वयं अपने कोल ब्लॉक का कोयला बाजार दर पर अडानी कंपनी से खरीदेगी साथ ही 29 प्रतिशत तक कोयला उत्पादन रिजेक्ट के नाम पर निजी कंपनी लेजा रही है। इसके अलावा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में दावा आपत्ति और निराकरण जैसे विषयों पर एकतरफा कार्यवाही की गई है तथा कोल बेयरिंग एक्ट और नियम के प्रावधानों के विपरित भूमि अधिग्रहण कर दिया गया है। प्रभावित व्यक्तियों की चार अन्य याचिकाओं पर बहस करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव ने खण्डपीठ को बताया कि वन अधिकार कानून, पेसा कानून और भू राजस्व संहिता के प्रावधान कोल बेयरिंग एक्ट के बाद आये है और इस कारण वर्तमान स्थिति में कोल बेयरिंग एक्ट मूल रूप में लागू होने पर असंवैधानिक माना जायेगा। साथ ही परसा ब्लॉक का पूरा वन क्षेत्र सामुदायिक वनअधिकार के तहत सभी प्रभावित व्यक्तियों के लिये समान रूप से सम्पत्ति माना जायेगा जिसका अधिग्रहण नहीं किया जा सकता। ग्राम सभाओं ने अधिग्रहण का विरोध किया है और कंपनी के द्वारा ग्राम सभा के फर्जी प्रस्ताव तैयार कराये गये है।
प्रतिवादियों की ओर से बहस करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला ने कहा कि कोल बेयरिंग एक्ट की संवैधानिकता पर पहले ही फैसला हो चुका है और भूमि अधिग्रहण 2018 में किया गया है, अतः इतने देरी से उससे चुनौती नही दी जा सकती। राजस्थान कोलयरी (अडानी) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि इन कॉल ब्लॉक से संबंधित दो मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसके कारण यहा सुनवाई नहीं की जा सकती। साथ ही कोल ब्लॉक पर रोक लगने पर राजस्थान में कोयले का संकट खड़ा होगा। केन्द्र और राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने अधिग्रहण और प्रक्रिया को सही ठहराया। प्रतिवादियों की बहस के सभी बिंदुओं का याचिकाकर्ताओं की ओर से यथोचित उत्तर दिया गया। इस सब के बाद खण्डपीठ ने मामले को आदेश के लिये सुरक्षित रखते हुये स्टे आवेदन पर सुनवाई समाप्त की।

Join Our WhatsApp Group Join Now
close