VIDEO:जब Central University कुलपति ने कहा-सभी लोग अवांछित तत्व..बिलासपुर वालों ने किया माहौल खराब..जिला कांग्रेस अध्यक्ष से हॉट टाक..विजय ने कहा-नहीं बनने देंगे RSS का गढ़

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— केन्द्रीय विश्वविद्यालय में आज जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी और कुलपति अंजिला गुप्ता के बीच बिलासपुरवासियों और पत्रकारों को लेकर अवांछित तत्व कहे जाने पर जमकर गरमा गरम बहस हुई। विजय केशरवानी ने बन्द कमरे में गरमा गरम बहस के दौरान कहा कि हमने केन्द्रीय विश्वविद्यालय के लिए संघर्ष यह सुनने के लिए नहीं किया कि कोई हमारे शहर और पत्रकारों को अवांछित तत्व कहे। हम विश्वविद्यालय को आरएसएस ही नहीं बल्कि किसी भी दल की राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनने देंगे। इसके पहले कुलपति अंजीला गुप्ता ने पत्रकारों और विजय केशरवानी के साथ अन्य तीन चार कांग्रेसियों को देखकर नाराज हो गयी। उन्होने दो टूक कहा कि बिलासपुर वालों और यहां के नेताओं में सामाजिकता का अभाव है।मुझे अवांछित शहर के अवांछित तत्वों से नहीं मिलना है। यद्यपि मान मनौव्वल के बाद अंजीला गुप्ता तीन चार कांग्रेसियों से बन्द कमरे में बातचीत तो शुरी की। लेकिन इस दौरान बन्द कमरे में ऊंची आवाज में हो रही एक एक बात बाहर छनकर आती रही। और पत्रकार रिकार्ड करते रहे।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

                 केन्द्रीय विश्वविद्यालय में आज कांग्रेस नेता विजय केशरवानी और कुलपति के बीच करीब एक घंटे तक बन्द कमरे में जमकर गरमा गरम बहस हुई। इस  दौरान कुलपति पूरे समय बिलासपुर की जनता और पत्रकारों के खिलाफ ऊंची आवाज में कांग्रेस नेता विजय केशरवानी, महेन्द्र गंगोत्री और बेलतरा के छाया विधायक को झाड़ती रही। वहीं कांग्रेस नेता समझाने का प्रयास करते रहे कि हम बहस नहीं बल्कि अपनी बातों को रखने आए है। बावजूद इसके कुलपति रूकने का नाम नहीं ले रही थी।

इसके कुछ देर बाद कांग्रेस नेताओं ने भी आपा खो दिया।  सभी लोग ऊंचे आवाज में बोलने लगे। विजय केशरवानी, महेन्द्र गंगोत्री और राजेन्द्र साहू ने बताने का बराबर प्रयास किया कि हम कुलपति की मर्यादा का सम्मान करना जानते हैं। यदि राजनीति ही करनी है तो इसके लिए तैयार है। लेकिन विश्वविद्यालय को किसी भी सूरत में आरएसएस का अखाड़ा नहीं बनने देंगे।

और झल्लाकर बाहर निकल गयी कुलपति

  कुलपति से मिलने के पहले जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी ने जिला प्रशासन को बताया कि हम कुलपति से मुलाकात कर विश्वविद्यालय को लेकर बातचीत करना चाहते हैं। पुलिस अधीक्षक को मामले से अवगत कराया। इसके बाद पुलिस के आलाधिकारी भी विश्वविद्यालय पहुंच गए। कुलपति ने कांग्रेस प्रनिधिमंडल को शाम चार बजे मिलने के लिए बुलाया। इस दौरान कुलपति अपने चैम्बर में ही रहीं। लेकिन कांग्रेसियों को करीब ढाई घंटे का इंतजार करवाया। करीब सवा चार बजे दुबारा जिला प्रशासन को याद दिलाने के बाद कुलपति ने कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को अपने चैम्बर में बुलाया। इस दौरान कुछ पत्रकारों को देखते ही अंजीला गुप्ता चैम्बर छोड़कर रजिस्ट्रार चैम्बर में जाकर दरवाजा बन्द कर दिया। इस दौरान उन्होने कहा कि हमे केवल एक आदमी से मिलने के लिए कहा गया। इसके बाद मामला बिगड़ गया। बाहर गोपाल दुबे,रंजीत सिंह और नाजिम खान ने शोर शराबा शुरू कर दिया।

बाद में मिलने पहुंची कुलपति..बन्द कमरे हुई गरमा गरम बहस

  एक बार फिर जिला प्रशासन की मध्यस्थता के बाद कुलपति अपने चैम्बर में प्रतिनिधी मंडल से मिलने पहुंची। उन्होने अपने रजिस्टार से कहलाया कि वह केवल तीन लोगों से ही बातचीत करेंगी। जब विजय केशरवानी, महेन्द्र गंगात्री और छाया विधायक राजेन्द्र साहू कमरे के अन्दर दाखिल हुए। तीनों को देख अंजीला गुप्ता भड़क गयी। छूटते ही कहा कि बिलासपुर के लोग अवांछित तत्व है। पत्रकार भी अवांछित तत्व है। इन्ही लोगों ने विश्वविद्यालय का माहौल बिगाडा है। ऐसे लोगों से बातचीत नहीं करनी है। इतना सुनते ही कांग्रेसी भी अपना आपा खो दिया। कांग्रेसियों ने कहा कि ना तो हमारा शहर अवांछित है और ना ही यहां के पत्रकार ही अवांछित है। हम कुलपति की पद की मर्यादा को जानते हैं। इसलिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल ना किया जाए। इतना सुनते ही कुलपति अंजीला ने आपा खो दिया। और कांग्रेसियों पर जमकर बरसी। 

मुद्दा क्या और क्या और बहस में क्या

              काफी देर की गरमा गरम बहस के बाद कांग्रेसियों के उग्र होने पर अंजीला गुप्ता कुछ देर के लिए शांत हुई। विजय केशरवानी, महैन्द्र गंगोत्री ने बताया कि विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने तक हमने छात्र जीवन काल में बिलासपुर से दिल्ली तक संघर्ष किया। तब कहीं जाकर बिलासपुर में केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। हम पिछले कुछ महीनों से देख रहे हैं कि विश्वविद्यालय राजनीति का अखाड़ा बन गया है। इसके पहले भी कई तरह के विवाद सामने आ चुके हैं। बावजूद इसके ध्यान नहीं दिया गया। अब ऐसा लग रहा है कि विश्वविद्यालय को जेएनयू की तर्ज पर आरएसएस का अखाड़ा बनाया जा रहा है। आरएसएस के नेता यहां आकर राजनीति करते हैं। उन्हें व्हीआईपी ट्रीटमेन्ट दिया जाता है। सरकारी मशीनरी का प्रयोग होता है। एबीव्हीपी के लोगों को बुलाकर छात्रों के साथ मारपीट होती है। अभी हाल में ओपी चौधरी को व्याख्यान के लिए बुलाया गया। ऐसा विश्वविद्यालय में हरगिज नही होना चाहिए। 

कुलपति स्टाफ ने कहा..हम भाजपा नेता के बेटे हैं

बहस के दौरान कुलपति स्टाफ ने कहा कि हम भी देश के नामचीन नेता जगदीश मेहर के लड़के हैं। हमें भी राजनीति करना आता है। कुलपति से बात करने के दौरान संयम रखें। हम भी कमजोर नहीं है। इतना सुनते ही बातचीत के दौरान कांग्रेसी नाराज हो गए। और चिल्लाने लगे..प्रतिनिधिमण्डल से क्या इसी तरह से बातचीत की जाती है। इससे जाहिर होता है कि विश्वविद्यालय को आरएसएस और भाजपा ने अपनी जागिर समझ लिया है।

 सुनते ही कुलपति आग बबूला हुई

               इतना सुनते ही अंजीला गुप्ता ने कहा कि यहां के लोग अवांछित तत्व है। मुझे किसी से बातचीत नहीं करना है। विश्वविद्यालय में कुछ भी गड़बड़ नहीं है। माहौल को पत्रकारों ने बरबाद किया है। उन्हें नहीं मालूम कि कौन एवीव्हीपी का नेता यहां आता है। लेकिन उन्होने आरएसएस के आरोप पर चुप्पी साधे रखा। यह भी कहा कि मुझे नहीं मालूम ओपी चौधरी यहां आकर व्याख्यान दिया है। बातों ही बातों में कुलपति चिल्लाने लगी। आवाज सुनते ही महिला पुलिस कुलपति के चैम्बर के अन्दर पहुंच गयी। लेकिन दोनों पक्षों में जमकर गरमा गरम बहस होती रही। बहस के दौरान विजय और कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हम विश्वविद्यालय को राजनीति का अखाड़ा हरगिज नहीं बनने देंगे। जरूरत पड़ी तो उग्र आंदोलन करेंगे।

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