Bilaspur-रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड मे संविधान का उल्लंघन,हाईकोर्ट ने केंद्र-राज्य सरकार से मांगा जवाब

Shri Mi
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बिलासपुर-हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस पी.आर. रामचन्द्र मेनन और जस्टिस पी.पी साहू की खण्डपीठ में अधिवक्ता विनय दुबे की याचिकाकर्ता के रूप लगाई गई जनहित याचिका की सुनवाई हुई, जिसमें संवैधानिक प्रावधानों और नगर निगम अधिनियम 1956 के प्रावधानों के विरोध में नगर निगम की निर्वाचित संस्थाओं सामान्य सभा, मेयर इन काॅन्सिल, सभापति और महापौर के अधिकारों पर अनाधिकृत रूप से कब्जा करने और स्मार्ट सिटी क्षेत्र में सभी कार्य बिना स्थानीय शासन व्यवस्था के अन्तर्गत करने को चुनौती दी गई है। यह जनहित याचिका अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और गुंजन तिवारी के द्वारा दाखिल की गई है।

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गौरतलब है कि 2016 में केन्द्र सरकार के द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन एवं गाईड लाईन जारी की गई थी हालांकि इन गाईड लाईन के पीछे कोई कानूनी शक्ति या अधिनियम केन्द्र सरकार के पास नहीं था। इन गाईड लाईन के बाद तब की छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर और रायपुर नगर निगम के लिये स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंम्पनियों का गठन किया और इसके निदेशक मण्डल (बोर्ड आॅफ डायरेक्टर) में नगर निगम की किसी निर्वाचित व्यक्ति को स्थान न देते हुये इसमें जिले और राज्य स्तर के अधिकारियों का समावेश कर दिया गया।

दोनों ही नगर निगम क्षेत्र के कुछ हिस्से को स्मार्ट सिटी घोषित कर उस क्षेत्र में किये जाने वाले हर प्रकार के विकास कार्य का पूरी तरह संचालन और क्रियान्वयन स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंम्पनी के अन्दर कर दिया गया है। इस स्मार्ट सिटी क्षेत्र से संबंधित किसी भी विकास कार्य का कोई अनुमोदन या संशोधन निर्वाचित पार्षद, सामान्य सभा, मेयर इन काॅन्सिल के अधिकार क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है।

याचिका में कहा गया है कि उक्त सम्पूर्ण व्यवस्था संविधान के 74वें संशोधन और विशेष कर अनुच्छेद 243-डब्ल्यू के प्रावधानों का खुला उल्लघन है। यही नही नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 के प्रावधानों के तहत् जो शक्तियां नगर निगम की निर्वाचित संस्थाओं को प्राप्त है उनपर भी स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों ने भी कब्जा कर लिया है। यह अधिनियम के प्रावधानों का खुला उल्लधन है। केन्द्र सरकार की गाईड लाईन जिसका की कोई कानूनी आधार उक्त संवैधानिक व्यवस्था में नहीं है, के अनुसार भी कम्पनी के निदेशक मण्डल में स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि लिये जाने का परामर्श है परन्तु इस मामले में निगम आयुक्त को स्थानीय निकाय का प्रतिनिधि मान लिया गया है।

याचिका के अनुसार गत 4 वर्षो में रायपुर एवं बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों द्वारा किये गये सारे कार्य अनाधिकृत है और इन सभी की विधिवत् अनुमति नगर निगम की निर्वाचित संस्थाओं से ली जानी चाहिये। भविष्य के लिये इन कम्पनियों को समाप्त कर सारे अधिकार निर्वाचित संस्थाओं को वापस दिये जाने चाहिये।आज सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर राज्य व केन्द्र सरकार समेत बिलासपुर और रायपुर की स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिये कहा है उसके बाद मामले की आगे सुनवाई की जायेगी।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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