इण्डिया वाल… बीसीसीआई स्पॉन्सरशिप पॉलिसी पर विचार करने को तैयार है लेकिन चीन की कंपनी के साथ रिश्ता तोड़ने से फिलहाल इंकार कर दिया है। बोर्ड कोषाध्यक्ष अरुण धुमल ने बताया कि वर्तमान में वीवो के साथ करार खत्म करने केा बोर्ड ने फैसला नहीं लिया है।
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इस साल होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग में बोर्ड ने चीनी स्पॉन्सर को अलग नहीं करने का फैसला लिया है। बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धुमल ने बताया कि इस साल के टूर्नामेंट में चीनी मोबाइल कंपनी वीवो को प्रायोजक के तौर पर बनाए रखा जाएगा। बीसीसीआई और वीवो का करार 2022 तक है। कंपनी से भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने 440 करोड़ में 5 साल के लिए करार किया है।
बात करते चलें कि भारत और चीन के रिश्ते पिछले कुछ दिनों से काफी बिगड़ चुके हैं। भारतीय सीमा में चीनी सिपाहियों ने कायरना हरकत कर देश को गुस्से की आग में झोंक दिया है। चीन के सामान का बहिष्कार किया जा रहा है। बीसीसीआई के अनुसार फिलहाल वीवो ही आईपीएल का प्रायोजक बना रहेगा। इसके बाद प्रोयोजकों के लिए नया करार किया जाएगा।
धुमल ने बताया कि हमें चीन के उत्पाद की मदद चीन के फायदे के लिए करने और चीन की कंपनी से भारत के फायदे के लिए मिल रही मदद की बीच के अंतर को समझना होगा।” “जब आप चीन के उत्पाद को भारत में बेचने की अनुमति देते हैं तो जो भी पैसे भारतीय ग्राहकों से बनाते हैं उसका एक हिस्सा बीसीसीआई को मिलता है। ब्रांड प्रोमोशन के लिए और बोर्ड इस पर 42 प्रतिशत भारत सरकार को टैक्स चुकाती है। ताकि इससे भारत की मदद हो ना की चीन का।”