WTO के दबाव में बनाया गया कानून …किसानों को होगा नुकसान..कांग्रेस नेता ने कहा..पूंजीपति चलाएंगे बाजार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—– प्रदेश कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के नेता संदीप ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि केन्द्र सरकार की फार्मिंग बिल किसान विरोधी हैं। नए कृषि कानून से किसानों को बहुत बड़ी क्षति का सामना करना पड़ेगा। पार्टी प्रवक्ता सुशोभित सिंह ने भी वर्तमान स्वरूप में लाए गए किसान बिल को किसानों के हित खिलाफ बताया है।
 
              कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष संदीप ने बताया कि तीन नए कानून किसानों के लिए लाए गए हैं। तीनो के तीनो बिल किसानों के अस्तित्व को खत्म कर देने वाले हैं। राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। तीनों बिल भारत के करोड़ों किसान परिवारों के भविष्य से जुड़े हुए हैं। एक तरफ सरकार और अर्थशास्त्री इस बात को मानते हैं कि कोरोना काल में किसानों की मेहनत से अर्थव्यवस्था का पहिया घूम रहा है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार एमएसपी बन्द कर के किसानों का शोषण करने की तैयारी में है। 
 
          दुबे ने कहा कि आज भी किसानों को C2+50% के अनुसार फसलों का MSP नहीं मिल रहा है।  लेकिन किसान किसी तरह अपना जीवनयापन कर रहे हैं। यदि सरकार ने MSP पर खरीद को बंद कर दिया तो खेती किसानी के साथ-साथ देश की खाद्यान सुरक्षा भी बड़े संकट में फंस जाएगी। 
 
केंद्र सरकार की मंशा ठीक नहीं
 
            संदीप और सुशोभित ने बताया कि केंद्र सरकार किसानों को मिलने वाले MSP को खत्म करने जा रही है। लेकिन सरकार का दावा है कि इन अध्यादेशों के किसानों को फायदा होगा। सच तो यह है कि इससे बड़ी कम्पनियों को फायदा होगा। सबको मालूम है कि केंद्र सरकार के पर WTO का दबाव है। किसानों को मिलने वाला MSP और सब्सिडी को समाप्त करे।
 
                 केंद्र सरकार कोरोनावायरस के कारण लगे लॉकडाउन का अनैतिक तरीके से फायदा उठाकर तीनों अध्यादेश को सामने लायी है। सरकार को लगता है कि कोरोनावायरस के कारण किसान बड़े पैमाने पर इकठ्ठे हो कर प्रदर्शन नहीं कर सकते। इसलिये सरकार ने कदम उठाया। किसानों के विरोध को भांपने के लिए अब की बार मक्के और मूंग का एक भी दाना MSP पर नहीं खरीदा गया। आने वाले समय में केंद्र सरकार गेहूं और धान की MSP पर खरीद भी बन्द करने की दिशा में बढ़ रही है। 
 
क्या है कानून
 
          संदीप ने जानकारी दी कि कानून के माध्यम से पैन कार्ड धारक कोई भी व्यक्ति, कम्पनी, सुपर मार्केट किसी भी किसान का माल किसी भी जगह पर खरीद सकते हैं। कृषि माल की बिक्री APMC यार्ड में होने की शर्त केंद्र सरकार ने हटा लिया है। कृषि माल की खरीद APMC मार्किट से बाहर होगी। किसी भी तरह का टैक्स या शुल्क नहीं लगेगा। APMC मार्किट व्यवस्था धीरे धीरे खत्म हो जाएगी।  क्योंकि APMC व्यवस्था में टैक्स और अन्य शुल्क लगते रहेंगे। किसानों का माल खरीदने वाले पैन कार्ड धारक व्यक्ति, कम्पनी या सुपर मार्केट को 3 दिन के अंदर किसानों के माल की पेमेंट करनी होगी। 
 
दबाव में रहेंगे कर्मचारी
 
               समान खरीदने वाले व्यक्ति या कम्पनी और किसान के बीच विवाद होने पर SDM इसका समाधान करेंगे। SDM द्वारा सम्बन्धित किसान एवम माल खरीदने वाली कम्पनी के अधिकारी की एक कमेटी बनाकर बातचीत के जरिये समाधान के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा।  समाधान नहीं होने पर मामला जिला अधिकारी के पास जाएगा। SDM और जिला अधिकारी को 30 दिन में समाधान करना होगा।  किसान और कम्पनी के बीच विवाद होने की स्थिति में कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकता। 
 
     संदीप ने बताया कि चूंकि अधिकारी हमेशा सरकार के दबाव में रहते हैं।  सरकार हमेशा व्यापारियों और कम्पनियों के पक्ष में रहती है। चुनावों के समय व्यापारी न्यायालय सरकार के अधीन नहीं होते । न्याय के लिए कोर्ट में जाने का हक हर भारतीय को संविधान में है।  नए अध्यादेश की वजह से किसानों को न्याय मिलना बहुत मुश्किल हो जाएगा। 
 
दाम पर पूंजीपतियों का रहेगा नियंत्रण
 
      संदीप ने बताया कि इस कानून से सबसे बड़ा खतरा यह है कि जब फसलें तैयार होंगी, उस समय बड़ी-बड़ी कम्पनियां जानबूझकर दाम गिरा देंगी। बड़ी मात्रा में स्टोर कर ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगी। मंडियों में किसानों की फसलों की MSP पर खरीद सुनिश्चित करने के लिए और  व्यापारियों पर लगाम लगाने के लिए APMC एक्ट अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा बनाया गया है. PMC मंडियों का कंट्रोल किसानों के पास होना चाहिए। लेकिन वहां भी व्यापारियों ने गिरोह बना के किसानों को लूटना शुरू कर दिया है। 
 
 जिम्मेदारी से बचना चाहती सरकार
 
            नए कानून के जरिये सरकार किसानों के माल की MSP पर खरीद की अपनी ज़िम्मेदारी और जवाबदेही से बचना चाहती है। जब किसानों के समान की खरीद निश्चित स्थानों पर नहीं होगी तो सरकार इस बात को रेगुलेट नहीं कर पायेगी कि किसानों के माल की खरीद MSP पर हो रही है या नहीं। APMC Act में सुधार की आवश्यकता है।  लेकिन उसे खारिज़ कर के किसानों के माल खरीदने की इस नई व्यवस्था से किसानों का शोषण बढ़ेगा।वेदन करते हैं कि अपने वापस के विरोधाभास भूला कर देश के किसानों के अस्तित्व व भविष्य को बचाने की इस लड़ाई के लिए एकजुट होना ही पडेगा।ब्लकि इन निजीकरण की नीतियो के खिलाफ खडा होना होगा ।नही तो आने वाली पीढिया हमे माफ नही करेगी।
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