मोदी सरनेम विवाद पर राहुल गांधी को 2 साल की सजा…किस जज ने सुनाया फैसला..पढ़ें..नेताओं और वकीलों का बयान

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—–राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में दो साल की सजा का फरमान सुनाया है। मामला चार साल पुराना है। हालांकि राहुल गांधी को कोर्ट से तुरंत जमानत भी मिल गयी है। कांग्रेस नेताओं के अनुसा्र सज़ा के ख़िलाफ़ ऊपरी अदालत जाएंगे। जानकारी देते चलें कि याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी के लिए कोर्ट से अधिक से अधिक सज़ा दिए जाने की मांग की थी। राहुल गांधी सुनवाई के समय सूरत कोर्ट में ही मौजूद थे। राहुल गांधी के वकीलों के अनुसार राहुल गांधी किसी समुदाय को अपने बयान से ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे।

आखिर क्या है पूरा मा्मला

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वायनाड सांसद और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी ने 2019 में लोकसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक के कोलार में भाषण के दौरान कहा कि सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है। मामले में सूरत के एक भाजपा नेता पुर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ आईपीसी की  धारा 499 और 500 के तहत अपराध दर्ज कराया। 

लम्बी सुनवाई के बाद 23 मार्च को सूरत कोर्ट ने दो साल की सजा का फरमान जारी किया। बताते चलें मामले में आईपीसी की धारा 499 के तहत सात साल की सज़ा का प्रावधान है। याचिकाकर्ता पुर्णेश मोदी ने सजा सुनाए जाने के बाद खुशी जाहिर किया है। बताता यि किसी भी समाज, जाति के ख़िलाफ़ बयान नहीं दिया जाना चाहिए। मामले में हम अब समाज के बीच चर्चा करेंगे।

राहुल गांधी ने फैसला के बाद कहा…

सज़ा के एलान के बाद राहुल गांधी ने महात्मा गांधी के एक कथन को ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है. सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन. “

क्या खतरे में सदस्यता पड़ी

मौजूदा सांसद होने की वजह से राहुल गांधी की सांसदी फिलहाल ख़तरे में नहीं है। उनके पास फ़ैसले को चुनौती देने के लिए 30 दिन का समय है। बहरहाल राहुल गांधी के  वकीलों की टीम के अनुसार सुनवाई के दौरान कोर्ट से कहा कि वह किसी समुदाय को अपने बयान से ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे। वह राजनीति से हैं। इसलिए इस प्रकार के मुद्दे सामने आते रहते हैं। बावजूद इसके उन्होने कभी भी किसी समाज को निशाना बनाकर बयान नहीं दिया है।

कानूनविदों के अनुसार सिर्फ़ दोषी साबित होने से सदन की सदस्यता खत्म नहीं होती है। राहुल को हाईकोर्ट में अपील करनी होगी। कोर्ट से स्टे मिल जाएगा। 1951 के जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत सदन से अयोग्य साबित करने के कई मानदंड हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया ट्विट

कांग्रेस चीफ़ ने बीजेपी सरकार को तानाशाह बताया।  दावा किया कि राहुल गांधी सरकार के काले कारनामों को उजागर कर रहे हैं। इसलिए सरकार उनसे तिलमिलाई है।

प्रियंका ने किया ट्विट

प्रियंका गांधी ने ट्विट किया कि सरकार की मशीनरी साम, दाम दंड, भेद से राहुल गांधी की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है। उनके भाई कभी न डरे हैं और न कभी डरेंगे।

क्या बोले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह.

दिग्विजय सिंह ने कहा कि “अब मोदी नाम लेने पर ही सज़ा हो जाती है। राहुल गांधी पीछे हटने वाले व्यक्ति नहीं हैं। उन्होंने किस संदर्भ में कहा वो भी तो देखिए.। जो लोग देश का पैसा लेकर भाग गए, उनके बारे में बात कही है।

भाजपा नेता ने क्या कहा पढ़े

गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल ने कहा, “राहुल गांधी को अपनी भाषा पर कंट्रोल नहीं है। किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं। इसका परिणाम है कि उन्हे सज़ा मिली।

केन्द्रीय मंत्री का आया बयान

केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि  “राहुल गांधी जो भी बोलते हैं उनकी पार्टी  को नुकसान होता है।  देश के लिए भी अच्छा नहीं होता है। कांग्रेस के  कुछ नेताओं ने मुझे बताया कि राहुल गांधी का जो रवैया है उसकी वजह से सब खराब हो गया है।

केजरीवाल ने बताया गलत

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़  कार्रवाई को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि ग़ैर बीजेपी नेताओं और पार्टियों पर मुक़दमे करके उन्हें ख़त्म करने की साज़िश हो रही है।

पूर्व कानून मंत्री का बयान

भाजपा सांसद और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने  प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर राहुल पर हमला किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी पर केस हुआ. कोर्ट उनकी दलील से संतुष्ट नहीं हुआ उन्हें सज़ा मिली.। देश को बदनाम करना, नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ भद्दी टिप्पणी करना राहुल की आदत हो गई है। राहुल गांधी किसी की आलोचना करें तो ठीक है। लेकिन गालियां देंगे तो कानून तो काम करेगा ही। रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ कितने मानहानि केस चल रहे हैं..पता लगाए।

कोर्ट से राहुल गांधी ने क्या कहा

राहुल गांधी से जज ने पूछा कि क्या अपनी गलती मानते हैं। राहुल ने कहा कि उन्होंने कुछ भी जानबूझकर नहीं कहा। उनके बयान से याचिकाकर्ता को कोई नुक़सान नहीं हुआ है। बताते चलें कि चीफ़ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की अदालत ने पिछले सप्ताह मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। 23 मार्च को फ़ैसला सुनाया।

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