सूरजपुर ABEO को व्याख्याता के विरुद्ध दर्ज याचिका में उच्च न्यायालय से स्थगन

Shri Mi
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सूरजपुर।जिले के भैयाथान पदस्थ प्रभारी विकास खंड शिक्षा अधिकारी (जिनका मूल पद एबीओ) फुल सिंह मरावी को हालिया तबादले के विरुद्ध उच्च न्यायालय बिलासपुर में दर्ज याचिका क्रमांक 7279 के अंतर्गत दिए गए फैसले में स्थगन मिल गया मिल गया है।फूल सिंह मरावी प्रभारी विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर भैयाथान विकासखंड में पदस्थ रहे। पिछले दिनों शासन से जारी तबादला आदेश में उन्हें हटाते हुए व्याख्याता एलबी निर्झर मंडलवार को प्रभारी बीइओ भैयाथान का बनाया गया एवं फुल सिंह मरावी को भैयाथान में ही मूल पद एबीईओ का दायित्व दे दिया गया था।शासन की तबादला नीति को चुनौती देते हुए अधिवक्ता ए एन पांडे के माध्यम से फूल सिंह की ओर से रिट याचिका क्रमांक 7279 में शासन के फैसले को चुनौती दी गई।

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जिस पर उच्च न्यायालय बिलासपुर के न्यायधीश पार्थ साहू द्वारा जारी आदेश में मामले को निराकृत करते हुए शासन के आदेश को तबादला नीति के 2.9 के विरुद्ध माना गया है। जिसमें यह बताया गया कि वरिष्ठ शासकीय सेवक के रहते हुए कनिष्ठ कर्मचारी को प्रभार नहीं दिया जा सकता।

आपको बताते चलें कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर हाई कोर्ट बिलासपुर के समक्ष स्कूल शिक्षा सेवा भर्ती पदोन्नति नियम 2019 को चुनौती देते हुए दलील पेश की गई कि बीईओ के पद पर व्याख्याता की नियुक्ति शासन के द्वारा जारी नियमावली में प्रावधान नहीं है ।बीईओ के पद पर शिक्षा सेवा भर्ती नियम के अनुसार निर्धारित अनुपात में प्राचार्य वर्ग 2 जिन्हें (5 वर्ष का अनुभव) या
सहायक विकास खंड शिक्षा अधिकारी को पात्र माना गया है।प्रस्तुत वाद तथ्यों के आधार पर याचिकाकर्ता को स्थगन आर्डर हुआ है।

आपको बताते चलें पूर्व में प्रभारवाद के आधार पर प्रधान पाठक से लेकर व्याख्याता, शिक्षक, सहायक शिक्षक अन्य को स्कूल शिक्षा विभाग के बीइओ,एबीईओ एवं अन्य प्रशासनिक पदों पर प्रभार दे दिया जाता रहा है उक्त याचिका में यह स्पष्ट हो गया है कि सहायक विकास खंड शिक्षा अधिकारी का प्रशासनिक पद है एवं व्याख्याता एकेडमिक केडर है जिनका मूल दायित्व शाला में अध्यापन कराना है ।

प्रदेश के विभिन्न शासकीय स्कूल हाई स्कूलों और हायर सेकेंडरी शाला में पिछले विधानसभा सत्र के दौरान छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार से 6000 से व्याख्याताओं एवं 5000 के करीब प्राचार्य के पदों की कमी है बावजूद इसके प्रभारवाद के नाम पर एकेडमिक संवर्ग से बीईओ व अन्य प्रशासनिक दायित्व पर शिक्षकों को अध्यापन कार्य के लिए भर्ती किए गए शिक्षक ,व्याख्याताओं को धड़ल्ले से पदस्थ कर काम लिया जा रहा है बताया जाता है कि प्रभार वाद के इसी सिलसिले के कारण छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता चरमराई हुई है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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