TS के इस्‍तीफे के बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक आज,सीएम बनने की दौड़ में ये नाम चर्चा में सबसे आगे

Shri Mi
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दिल्ली।उत्‍तराखंड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत(Tirath Singh Rawat) के इस्‍तीफे के साथ ही राज्‍य के सियासी गलियारों में उस चेहरे की चर्चाऐं तेज होने लग गई हैं जिसके सिर प्रदेश की सत्ता का ताज सजेगा. आज दोपहर तीन बजे बीजेपी विधायक मंडल दल की बैठक में राज्‍य के नए सीएम पद के दावेदार के नाम का ऐलान होना है.सियासी हलकों में जिन विधायकों के नामों की चर्चा तेजी से हा रही है , उनमें सबसे आगे कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, राज्यमंत्री डॉ.धन सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल, पुष्कर सिंह धामी के नाम चर्चाओं में हैं.

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पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी की बेटी के नाम की भी चर्चा  

महिला दावेदार के रूप में बीजेपी विधायक व पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी और राज्यमंत्री रेखा आर्य के नामों की भी चर्चा है. वहीं तीरथ से पहले सीएम रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को दोबारा सत्ता सौंपने की भी चर्चाए तेज हैं.राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रदेश की कमान संभालने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को मजबूत दावेदारों के तौर पर देखा जा रहा है.

तीरथ की विदाई, आज बीजेपी विधायक दल के नए नेता का होगा ऐलान

इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया. अब शनिवार यानी आज को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायक दल की बैठक में वर्तमान विधायकों में से ही किसी को विधायक दल का नेता चुना जाएगा. दिल्ली से लेकर देहरादून तक दिन भर चली मुलाकातों और बैठकों के दौर के बाद रावत ने रात करीब साढ़े गयारह बजे अपने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा.

इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री रावत ने संवाददाताओं को बताया कि उनके इस्तीफा देने का मुख्य कारण संवैधानिक संकट था, जिसमें निर्वाचन आयोग के लिए चुनाव कराना मुश्किल था . उन्होंने कहा, ‘संवैधानिक संकट की परिस्थितियों को देखते हुए मैंने अपना इस्तीफा देना उचित समझा.’

क्‍या थी तीरथ की मजबूरियां और चुनौती

रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अपने केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने उन्हें उच्च पदों पर सेवा करने का मौका दिया. पौड़ी से लोकसभा सदस्य रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था और संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह माह के भीतर यानी 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना था.जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के मुताबिक निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्‍यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्ति होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है, बशर्ते किसी रिक्ति से जुड़े किसी सदस्‍य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो.

यही कानूनी बाध्यता मुख्यमंत्री के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में सामने आई. क्योंकि विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है. वैसे भी कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पायीं.यह पूछे जाने पर कि संवैधानिक संकट से बचने के लिए प्रदेश में अप्रैल में हुआ सल्ट उपचुनाव उन्होंने क्यों नही लड़ा, मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय वह कोविड से पीड़ित थे और इसलिए उन्हें इसके लिए समय नहीं मिला.मुख्यमंत्री रावत के साथ मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा, ‘निर्वाचन आयोग ने कहा कि उपचुनाव नहीं करा पाएंगे. इसलिए हम लोगों ने उचित समझा कि संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न न हो.’

दोपहर तीन बजे बीजीपे विधायक दल की बैठक, नए सीएम पर लगेगी मुहर

प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के मुतातिबक नए नेता का चयन करने के लिए शनिवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है. शनिवार को अपराह्न तीन बजे बुलाई गई इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं प्रदेश अध्यक्ष कौशिक करेंगे जबकि केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और बीजेपी महासचिव व उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत गौतम मौजूद रहेंगे. उन्होंने बताया कि पार्टी की ओर से सभी विधायकों को शनिवार की बैठक में उपस्थित रहने की सूचना दे दी गयी है.

इस्‍तीफे के सवाल पर चुप्‍पी साध गए तीरथ

उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलें उसी दिन लगने लगी थीं जब रावत को केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली तलब किया था और सभी निर्धारित कार्यक्रमों को छोड़कर वह बुधवार को दिल्ली पहुंचे.अपने तीन दिन के दिल्ली दौरे पर उन्होंने बृहस्पतिवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मंत्रणा की थी. शुक्रवार को उन्होंने चौबीस घंटे के भीतर दूसरी बार नड्डा से मुलाकात की.

देहरादून लौटने के बाद मुख्यमंत्री रावत राज्य सचिवालय पहुंचे और वहां मीडिया से मुखातिब हुए लेकिन उन्होंने अपने इस्तीफे के संबंध में कोई बात न करते हुए नई घोषणाएं कर सबको हैरानी में डाल दिया. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि वह प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए परिवहन और पर्यटन आदि क्षेत्रों के लोगों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और उन्हें लगभग 2000 करोड़ रूपये की सहायता दी जाएगी .इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित युवाओं को रोजगार देने के लिए छह माह में 20,000 रिक्तियां भरने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि वह यह घोषणा पहले ही करना चाहते थे लेकिन तीन दिन दिल्ली में रहने के कारण अब कर रहे हैं.

प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं. बीजेपी विधायक गोपाल सिंह रावत का इस वर्ष अप्रैल में निधन होने से गंगोत्री जबकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश के निधन से हल्द्वानी सीट खाली हुई है.

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By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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