रायपुर—-पूर्व मुख्यमंत्री शाम धरना स्थल पहुंचकर शिक्षा कर्मियों के संविलियन की मांग का समर्थन किया। अजीत जोगी ने कहा कि मुख्यमंत्री बनते ही पहला हस्ताक्षर शिक्षा कर्मियों के संविलियन पर करूँगा ।
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अजीत जोगी ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार हठधर्मिता की रक्षा के लिए शिक्षाकर्मियों के प्रदर्शन को गैरकानूनी घोषित कर दिया। 2 अक्टुबर को अपने परिवार के साथ धरना प्रदर्शन करने पहुंचे शिक्षाकर्मियों के आंदोलन को कुचल दिया गया। प्रदेश को छावनी में तब्दील कर दिया गया। राजधानी के बाहर सभी शिक्षाकर्मियों को रोका ही नहीं बल्कि पुरूष और महिला शिक्षाकर्मियों के साथ सरकार के इशारे पर पुलिस ने बर्बर व्यवहार किया है। महिला शिक्षा कर्मियों से मारपीट की गयी। साड़ी का आंचल खींचा गया। ओढ़नी को हवा में लहराया गया। पुलिस ने सरकार के इशारे पर महिला लज्जा को तार-तार किया है।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मी संविलियन के लिए आन्दोलन पर हैं। प्रदेश के 86 हजार करोड़ के बजट में शिक्षाकर्मी अपने हिस्से का 980 करोड़ की मांग कर रहे हैं। प्रदेश के नौनिहालों के भविष्य संवारने के एवज में यह मांग कुछ भी नहीं है। जोगी ने कहा कि सरकार ने प्रजातंत्र में अपने अधिकारों की मांग करने वालों को बन्दूकों के कुन्दे, जूतों की धमक, और लाठियों के सख्त प्रहार से दमन करने का प्रयास कर रही है।
निरीह शिक्षाकर्मियों को पुलिस ने रात भर घरों से गिरफ्तार कर प्रदेश भर के थानों में बंद किया। इससे भी मन नहीं भरा तब पुलिस वाले आउटर मे खड़े होकर भयादोहन करने लगे। महिला शिक्षाकर्मियों पर अपनी शारीरिक शक्ति अाजमाते हुए पाये गये। प्रदेश सरकार के बेमिसाल 14 वर्ष स्लोगन की हकीकत सरकार ने इन शिक्षाकर्मियों को दिखाई है । लोकतंत्र में कोई स्थायी राजा नहीं होता है। शिक्षाकर्मी आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने ऊपर हो रहे जुल्म, अत्याचारों का बदला लेकर रहेंगे।