होराइजन कोलवाशरी प्लांट विरोध के बीच..बन्दरबांट का खेल शुरू..फर्जी ईआईए रिपोर्ट पर 28 को होगी सुनवाई.. क्रोकोडाल पार्क,स्कूल,नदी,तालाबों पर गहराया संकट..?

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— एक बार फिर कोलवाशरी प्लांट के खिलाफ जनता की आवाज उठने लगी है। हमेशा की तरह आवाज को दबाने बंदरबांट का खेल भी शुरू हो गया है। लेकिन किसी को इस बात की चिन्ता नहीं है कि कोलवाशरी प्लांट की स्थापना नियम विरूद्ध किया जा रहा है। समझा जा सकता है कि प्लांट संचालक का फर्जी रिपोर्ट अधिकारियों को क्यों नहीं दिखाई दे रहा है। और मात्र चन्द स्वार्थ के चलतेे जमीनी प्रतिनिधि क्रोकाडायल पार्क,स्कूल,नदी और तालाब को छोड़ने के लिए तैयार हैं। बावजूद इसके कुछ जिन्दा लोगों ने 28 सितम्बर को भनेसर में होने वाले होराइजन कोलवाशरी प्लांट की सूुनवाई के खिलाफ आवाज बुलन्द करने का फैसला किया है।

                      जानकारी देते चलें कि बिलासपुर- जांजगीर चांपा सीमा स्थित मस्तूरी ब्लाक के भनेसर गांव में होराइजन कोल वाशरी प्लान्ट स्थापना को लेकर जनसुनवाई होगी। 28 सितम्बर को ग्रामीणों के बीच अधिकारी उपस्थित होकर जनसुवाई करेंगे। खबर के बाद ग्रामीणों में कोलवाशरी के खिलाफ आवाज उठने लगी। लगातार लिखा पढ़ी के बाद भी  शासन ने 28 को जनसुनवाई को कराने का एलान किया है।

                     जानकारी देते चलें कि हमेशा की तरह पहले ग्रामीणों ने प्लान्ट का विरोध किया है। धीरे धीरे पंच सरपंच और सचिवों ने सभी ग्रामीणों को मना लिया है। बताया जा रहा है कि शुरूआत में कोल प्लान्ट का विरोध करने वाले जमीनी और हवावाज नेताओं ने भी कोलवाशरी प्लान्ट के विरोध में मुंह बन्द करने का फैसला कर लिया है। 

 फर्जी ईआईए रिपोर्ट पेश

           जानकारी देते चलें कि प्लान्ट स्थापना के पहले प्रारूप तैयार करते समय संचालक की तरफ से नफा नुकसान और जमीनी स्तर की वास्तविक रिपोर्ट पेश किया है। प्लान्ट संचालक कन्सल्टेन्ट के माध्यम से क्षेत्र की वस्तु स्थिति को पेश करता है। बताया जा रहा है कि होराइजन कोल वाशरी प्लान्ट संचालक की तरफ से पर्यावरण और उद्योग विभाग में पेश किया गया ईआईए रिपोर्ट हकीकत से काफी दूर है।

क्रोकोडायल पार्क रिपोर्ट से गायब

                   मामले में एक्टिवस्ट दीलिप ने बताया कि ईआईए रिपोर्ट में भनेसर समेत कोलवासरी से प्रभावित होने वाले संभावित 10 ग्रामों की वस्तुस्थिति को लेकर गलत जानकारी दी गयी है। भनेसर से मात्र 5 किलोमीटर के दायरे में प्रदेश का एक मात्र क्रोकोडायल पार्क है। ईआईए रिपो्र्ट में इसका जिक्र ही नहीं किया गया है। यह जानते हुए भी कि क्रोकोडायल पार्क का जिक्र होते ही प्लान्ट को हरी झण्डी मिलना मुश्किल है। रही बात पर्यावरण विभाग की..तो उसे जमीनी हकीकत से कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि विभाग पहले से ही फाइलों की बोझ से दबा हुआ है।

 संक्ट में तालाब नहीं और स्कूल

                        दिलीप ने बताया कि प्रस्तावित प्लान्ट से चन्द किलोमीटर दूर  खारून नदी है। लेकिन इसका ईआईए में कही जिक्र नहीं है। जिस स्थान पर प्लान्ट की बुनियाद रखा जाना है। ठीक 100 मीटर की दूरी पर सालों से संचालित दो बड़े हायर सेकेन्डरी स्कूल संचालित है। प्लान्ट संचालक को अच्छी तरह से जानकारी है कि स्कूल के पास प्लान्ट स्थापित करने की अनुमति मुश्किल है। यही कारण है कि रिपोर्ट तैयार करते समय स्कूलों का जिक्र नहीं किया गया है। 

                             दिलीप ने कहा कि जिस स्थाान पर होराइजन प्लान्ट का संचालन किया जाएगा। उसके ठीक सामने बहुत बड़ा तालाब है। एक नहीं बल्कि कई ताराब है। लेकिन रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं है। मजेदार बात है कि रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र  नहीं है कि मात्र एक किलोमीटर दूर जयरामनगर रेलवे स्टेशन भी है।

नियम कानून की अन्देखी

                    मामले में सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम ने बताया कि भनेसर से जांजगीर जिला चन्द किलोमीटर की दूरी से शुरू हो जाता है। यह दूरी 10 किलोमीटर के बीच है। नियमानुसार होरायजन कोल वाशरी प्लान्ट संचालक को दो अलग अलग जनसुनवाई का आयोजन करना चाहिए। एक आयोजन जांजगीर जिले मे तो दूसरा बिलासपुर में होना चाहिए।

                     राधेश्याम और दिलीप के अनुसार नियमानुसार जनसुनवाई की अनुमति के बाद 45 दिनों के अन्दर प्रभावित क्षेत्र में जनसुनवाई कराना अनिवार्य है। लेकिन अधिकारियों को इससे कोई लेना देना नहीं। उन्हें वजन और आदेश की चिन्ता होती है। होरायजन की जनसुनवाई 66 दिनों के बाद किया जा रहा है। मामले में हम हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

 कहां से लाएंगे जमीन..क्या तालाब पाटेंगे

                              राधेश्याम और दिलीप कहते हैं कि हम सभी जानते हैं कि कोलवाशरी प्लान्ट के लिए जमीन कितनी लगती है। प्रस्तावित होरायजन कोल वाशरी प्लान्ट बहुत बड़ा है। लेकिन जमीन मात्र 8 एकड़ के आस पास है। इतने में तोसिर्फ कोयला ही डम्प रहेगा। सवाल उठता है कि प्लान्ट कहां स्थापित होगा। मजेदार बात तो यह है कि आसपास जमीन भी नहीं है। क्या तालाब या नदी को पाटा जाएगा। या फिर आस पास के लोगों को भगाया जाएगा।

        दिलीप ने बताया कि जिस जमीन पर प्लान्ट स्थापना की बात हो रही है। वह जमीन कृषि कार्य में उपयोग होता है। धान बेचा जाता है। बावजूद इसके यहा भी प्लान्ट संचालक ने झूठ बोला और ईआईए रिपोर्ट में जमीन को गैर सिंचित बताया है।

यहां भी हो रही अनदेखी

                      दिलीप ने यह भी बताया कि चन्द कदम दूर ही एक और प्लान्ट कान्हा मिनरल की सुनवाई 30 सितम्बर होगी। यही समस्या यहा भी है। पर्यावरण विभाग से लेकर उद्योग विभाग को यहां ना तो तालाब दिखाई दे रहा है। ना ही क्रोकोडायल पार्क की उन्हें कोई चिन्ता है। खारून नदी पर भी संकट है।

                                  ईआईए रिपोर्ट मे ंइस बात का भी जिक्र नहीं है कि कोल  वास करने के लिए पानी कहां से लाया जाएगा। मतलब साफ है कि आज नहीं तो कल तालाब को सूखना है। सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन होना है।

मैदान में कूदे सरपंच, सचिव और पंच

                 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि इश्तेहार के बाद ग्रामीणों में कोल वाशरी प्लान्ट को लेकर विरोध देखने को मिला। लोगों ने बुलाया और जन जंगल जमीन पानी और क्रोकोडायल को लेकर चिंता जाहिर किया। दो दिन पहले ही गांव का वातावरण बदला हुआ दिखाई देने लगा है। अब सभी लोग मामलें दबाव की बात कहने लगे है। बताया तो यह भी जा रहा है कि प्लान्ट संचालक के कर्मचारी सक्रिय हो गए है। इसके साथ ही ग्रामीणों की जन जंगल और पानी, क्रोकोडायल पार्क चिन्ता भी खत्म हो गयी है।

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