..फिर कहां पढ़ेंगे गरीबों के बच्चे…अमित ने कहा..सरकार हठधर्मिता छोड़े…अन्यथा खाली हो जांएगे स्कूल

BHASKAR MISHRA
3 Min Read

AMIT NAMDEVIMG-20171223-WA0009बिलासपुर—प्रदेश शिक्षाकर्मियों ने स्कूलों में शिक्षकों की कमी की जानकारी मिलने के बाद सरकार पर कटाक्ष किया है। सरकार पर सवाल दागा है कि शासकीय स्कूलों में जब एक तिहाई पद रिक्त रहेंगे तो बच्चो का भविष्य कैसे सुधरेगा। शिक्षक मोर्चा पदाधिकारी अमित ने बताया कि रिक्त पदों की भर्ती के लिए शासन स्तर पर जो भी कदम उठाए जा रहे है…ना काफी है। अमित नामदेव की प्रतिक्रिया विधानसभा में मरवाही विधायक अमित जोगी के सवाल और स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप के जबाव में आयी है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                        अमित नामदेव ने बताया कि शिक्षा मंत्री के अधिकृत जवाब के बाद समझा जा सकता है कि प्रदेश के नौनिहाल किन हालातो में शिक्षा ले रहे हैं। प्रदेश में कमोबेश शिक्षकों का टोंटा है। आदिवासी बाहुल्य जिलों में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था ना तो जिला और ना ही जनपद पंचायत के बस में है। नाम मात्र के वेतन पर नियुक्त शिक्षाकर्मियों को कोल्हू का बैल बना दिया गया है। हालत बद से बदतर हो रही है। क्योंकि प्रदेश में हर महीने सैकड़ो की संख्या में नियमित शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

                        नवीन शिक्षाकर्मी संघ प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमित कुमार नामदेव ने बताया कि प्रदेश में शिक्षा का स्तर बद से बदतर स्थिति में पहुंच गयी है। शासन की हटधर्मिता ही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।  प्रदेश में सैकड़ों स्कूल एकल शिक्षकीय हैं। ऐसे स्कूलों का शिक्षक जब विभागीय या व्यक्तिगत काम से बाहर जाता है तो विद्यालय को बंद करना पड़चा है।

           अमित ने बताया कि प्रदेश मे सुदूर ग्रामीण या आदिवासी अँचलों में विषय शिक्षकों का भी टोंटा है। यदि सरकार शिक्षाकमियो की संविलियन मांग पर मुहर लगा दे तो शिक्षकों की कमी से  बहुत कुछ छुटकारा मिल जाएगा। नई भर्तियों से शिक्षा की गुडवत्ता को सुधारा जा सकती है। प्रदेश में इस समय लगभग 2 लाख शिक्षित बेरोजगार युवक शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर भटक रहे हैं। पता नही क्यों..सरकार इन्हें नियुक्ति नही करना चाहती है।

 नामदेव ने बताया कि प्रदेश में 2021 तक नियमित शिक्षको की बहुत बड़ी संख्या रिटायर्ड हो जाएगी। इसके बाद प्रदेश में शिक्षा विभाग का अस्तित्व खतरे में होगा। प्रदेश के स्कूल शिक्षाकमियो के भरोसे रखना सरकार की मजबूरी होगी। सरकार को इससे कोई फर्क पड़े या नहीं लेकिन लेकिन नीति नियम बनाने वाले अधिकारियों  और जनप्रतिनिधियों के बच्चे शायद ही सरकारी स्कूलों मे पढ़ें। क्योंकि उनके पास रूपयों की कमी तो  है नहीं..शहर के महंगे निजी स्कूलों के दरवाजे उनके लिए खुले रहेंगे। लेकिन दो जून की रोटी को तरसने वाले गरीबों के बच्चों का क्या होगा।

close