Amla Navami 2023 : कब है आंवला नवमी, जानिए पूजा का मुहूर्त और महत्व

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Amla Navami 2023 : कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी होती है. आंवला नवमी के दिन व्रत रखकर आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. Amla Navami 2023 के दिन व्रत और पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, इसलिए यह अक्षय नवमी कहलाती है/

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी से आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है और कार्तिक पूर्णिमा तक उसमें श्रीहरि का वास रहता है. Amla Navami 2023 को अक्षय नवमी और कूष्मांड नवमी भी कहते हैं. 

कब है आंवला नवमी 2023?Amla Navami 2023
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 21 नवंबर दिन मंगलवार को तड़के 03 बजकर 16 एएम पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 22 नवंबर दिन बुधवार को 01 बजकर 09 एएम पर होगा. उदयातिथि के आधार पर इस साल आंवला नवमी 21 नवंबर को मनाई जाएगी.Amla Navami 2023

आंवला नवमी 2023 पूजा मुहूर्त
21 नवंबर को Amla Navami 2023 की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक है. इस दिन पूजा के लिए आपको 05 घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा. उस दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक है.Amla Navami 2023

आंवला नवमी के दिन रवि योग और पंचक
इस बार आंवला नवमी वाले दिन रवि योग बन रहा है. ​रवि योग रात में 08 बजकर 01 मिनट से बन रहा है, जो अगले दिन सुबह 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. वहीं पूरे दिन पंचक लगा है.

आंवला नवमी के 4 महत्व/Amla Navami 2023

  1. Amla Navami 2023 से आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है, इस वजह से आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं और आंवले का भोग लगाते हैं. आंवले को ही प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं. विष्णु कृपा से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है.
  2. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदें टपकती हैं, इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने की परंपरा है. ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है.
  3. आंवला नवमी को भगवान विष्णु ने कूष्मांड राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे कूष्मांड नवमी कहते हैं. आंवला नवमी पर कूष्मांड यानि कद्दू का दान करते हैं.
  4. धार्मिक मान्यता के अनुसार, आंवला नवमी से ही द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था.

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