होरायजन वाशरी के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ताओं का फूटा गुस्सा..ग्रामीणों ने भी किया जनसुनवाई का विरोध.. .कहा..खत्म हो जाएगा एशिया का प्राकृतिक क्रोकोडायल पार्क

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—भारी विरोध और व्यवस्था के बीच भनेसर स्थित होरायजन कोलवाशरी विस्तार को लेकर जनसुनवाई हुई।  प्रशासन के आळाधिकारियों की उपस्थिति में ग्रामीणों के साथ स्थानीय आधा दर्जन से अधिक गांव के पंच सरपंचों ने कोलवाशरी लगाने का विरोध किया। किसान नेता धीरेन्द्र दुबे समेत सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा और दिलीप अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान बताया कि होरायजन कोलवाशरी प्राकृतिक क्रोकोडायल पार्क के लिए विनाशकारी साबित होगा। भनेसर जल श्रोत का स्वर्ग है। कोलवाशरी स्थापना के साथ क्षेत्र रेगिस्तान में बदल जाएगा। समृद्ध किसान भीख मांगने की स्थिति में पहुंच जाएंगे। ना केवल आर्थिक बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से होरायजन कोलवाशरी क्षेत्र की बरबादी में अहम किरदार साबित होगा। 
 
              जानकारी देते चलें कि 28 सितम्बर को भनेसर में होरायजन कोलवाशरी की जनसुनवाई हुई। जनसुनवाई में बिलासपुर और जांजगीर जिले के प्रभावित कुल 17 ग्राम पंचायतों को शामिल होने का न्योता दिया। जनसुनवाई में कमोबेश सभी लोगों ने कोलवाशरी का विरोध किया।
 
                        किसान नेता धीरेन्द्र दुबे,सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्य़म शर्मा और दिलीप यादव ने कोलवाशरी का पुरजोर विरोध किया। उपस्थित ग्रामीण और आधा दर्जन से अधिक गांवों के पंच सरपंचों  ने  वक्ताओं के सुर में सुर मिलाया। धीरेन्द्र राधेश्याम और दिलीप ने बताया कि ईआईए रिपोर्ट पेश करते समय होरायजन कोलवाशरी प्रबंधन ने घालमेल किया है। रिपोर्ट को नेताओं ने आधा हकीकत आधा अफसाना बताया।
 
                    वक्ताओं ने कहा कि ईआईए रिपोर्ट में दी गयी जानकारी पूरी तरह गुमराह करने वाला है। एक किलोमीटर के फासले में जयरामनगर स्टेशन को बताया नहीं गया है। पानी के श्रोत की जानकारी नही दी गयी है। प्रस्तावित कोलवाशरी के निकट दो पुराने स्कूल हैं। हजारों छात्र छात्राएं पढ़ती है। स्कूल के छात्र प्रदेश की मेरिट में स्थान बनाते हैं। लेकिन उसका भी जिक्र नहीं किया गया है।
 
                              हजारों एकड़ जमीन बंजर हो जाएंगे। आबादी के बीच कोलवाशरी का खुलना बरबादी के अलावा कुछ नहीं है। ताज्जुब की बात है कि ईआईए रिपोर्ट में इसका कहीं कोई जिक्र नहीं है। कोलवाशरी के खुलने से सघन आबादी का गांव बेमौत मर जाएगा। 
 
               वक्ताओं ने बताया कि चन्द किलोमीटर दूर एशिया का सबसे बड़ा और प्राकृतिक क्रोकोडायल पार्क है। इसकी चिन्ता प्रबंधन करे या ना करे..लेकिन शासन प्रशासन को जरूर होना चाहिए था। ताज्जुब की बात है कि सब कुछ जानते हुए भी शासन प्रशासन ने क्रोको़डायल पार्क की अनदेखी कर कोलवाशरी खोलने के लिए जनसुनवाई कर रहा है। ऐसा लगता है कि संवेदना ही खत्म हो गयी है। ताज्जुक की बात है कि ईआईए में इसका भी जिक्र नहीं है। 
 
                             वक्ताओं ने कहा कि भारी वाहनों के यातायात और परिवहन की चिंता बड़ी है।कोलवाशरी के अपशिस्ट जल से आस पास के कृषि भूमि को नुकसान होना निश्चित है। नीलागर नदी पाराघाट , भनेशर ,बेलटुकरी, कछार ,देवगांव ,हिर्री , के गांवों के लिए जीवन दायनी है । जल प्रदूषण का खतरा होना स्वभाविक है।
 
                                     मामले में दिलीप अग्रवाल ने बताया कि हम प्रबंधन और कोलवाशरी के अलावा शासन प्रशासन के खिलाफ हाईकोर्ट में पीआईएल दायर कर रहे हैं। क्रोकोडायल पार्क को बचाना हमारी जिम्मेदारी है। हम किसी भी सूरत में वाशरी को खुलने नहीं देंगे।
 
बिलासपुर—अपर संचालक वित्त विभाग को वेतनमान सुधार का प्रस्ताव सौपते लिपिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित तिवारी, मंत्रालय के अध्यक्ष महेन्द्र सिँह राजपूत, प्रदेश महामंत्री सुनील यादव, 
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