भारतीय किसान संघ का एलान..8 सितम्बर को करेंगे देशव्यापी आंदोलन..जिला अध्यक्ष धीरेन्द्र ने बताया..अब किसानों का जीना हुआ दूभर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-भारतीय किसान संघ पूरे देश में 8 सितंबर को देशव्यापी आंदोलन का एलान किया है। भारतीय किसान संघ जिला इकाई प्रमुख धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लिया गया है कि छत्तीसगढ़ के सभी जिला मुख्यालयों मेे धरना प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री के नाम पर ज्ञापन दिया जाएगा। प्रदेश मे  आर रही खाद, बीजली की समस्याओं से अवगत कराया जाएगा। इसके साथ ही किसान संगठन मुख्यमंत्री के नाम भी ज्ञापन देगा। 
 
             धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि किसानों ने हाड तोड़ परिश्रम कर देश का अनाज भंडार भरा है। अब तो सरकार के पास भण्डारण की व्यवस्था नहीं है। हम देख रहे हैं कि खेती में लागत बढ़ती जा रही है खाद, बीज, कीटनाशक मजदूरी, डीजल, बीजली आदि सभी के भाव में वृद्धी हो गयू है। किसान के उपज का पर्याप्त मूल्य आज भी नहीं मिल रहा है। ऐसी पस्थिति में किसान दिन प्रतिदिन कर्जदार होते जा रहा है।
 
भारतीय किसान संघ का स्थापना काल से मानना है जब तक किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिलेगा तब तक किसानों की स्थिति नहीं सुधर सकती है। आज किसानों की माली हालत बहुत कमजोर है। परिवार बढ़ने के कारण बड़े किसान लघु और  लघु किसान सीमांत हो गए है। देश में आज 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं। जिनकी वर्ष भर की आय इतनी भी नहीं है की अपना घर ठीक से चला सके। 
 
                        इन तमाम बातों तो केन्द्र में रखते हुए भारतीय किसान संघ केंन्द्र सरकार की मांग  है की न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, बल्कि लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य कानून बनाया जाए।
 
                              भारतीय किसान संघ नये कृषि कानूनों में कुछ संशोधनों की मांग करता है। एक बार घोषित मूल्य के बाद उसके आदानों में होने वाली महंगाई का भुगतान के समय समायोजन कर महंगाई के अनुपात में वास्तविक मूल्य दिया जाए। घोषित मूल्य पर किसानों के उपज को खरीदी की व्यवस्था हो। किसान की फसल मंडी में विक्रय या फिर बाहर विक्रय हो या की सरकार खरीदे। लेकिन घोषित मूल्य से कम पर खरीदी ना हो।
 
                                       यदि घोषित मूल्य से कम पर खरीदी को आपराधिक माना जाए। एक देश एक व्यापार कानून में संशोधन कर व्यापार करने वाले सभी व्यापारियों का एक पोर्टल हो।  जिसके अंदर सभी का पंजीयन अनिवार्य किया जाए। बैंक सिक्योरिटी मनी जमा रहे ताकि असली और फर्जी की पहचान हो सके।  जिला स्तर पर कृषि न्यायलय का गठन किया जाए। किसानों को उनके जिलों के अंदर सभी प्रकार के विवादों का निपटारा जिले के अंदर और जल्द हो। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत बड़े निर्यातकों को भण्डारण में दी गई छूट को नियंत्रित किया जाए।
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