चुनावी साल के करीब शिक्षकों में एक और बड़ी नाराज़गी , एक मई का हिसाब- किताब गड़बड़ाया और प्लान हो गया कैंसिल.. पंखे, कूलर, एसी और फ्रिज की मांग को बताया -सब व्यवहारिक है

Chief Editor
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बिलासपुर: (मनीष जायसवाल) कोरोना काल की वजह से स्कूल शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसकी भरपाई के लिए संभवतः छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने एक और नया प्रयोग करते हुए शिक्षको और विद्यार्थियों की गर्मी की छूट्टी में कटौती कर दी है।इस वर्ष का शैक्षणिक सत्र 31 मार्च 2022 के स्थान पर 30 अप्रैल 2022 तक बढ़ा दिया गया है। इससे अब 15 दिन अधिक स्कूल लगेगा। जिससे शिक्षक और पालक दोनों की मई महीने की गई प्लानिंग का हिसाब किताब गड़बड़ा गया है। जिससे ठीक चुनावी साल के करीब शिक्षक, पालक और विद्यार्थी वर्गों में रोष है …।
छुट्टियों की ये कटौतियां सवाल भी खड़े कर रही हैं कि परीक्षा के बाद इन 15 दिनों में बीते सत्र के पढ़ाई की भरपाई कैसे होगी। स्कूल शिक्षा विभाग अपने स्कूल के कर्मचारियों के इस 15 दिन के अतिरिक्त कार्य को अर्जित अवकाश में जोड़ कर अर्जित लाभ में शामिल करेगा या नहीं …?

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प्रदेश के सरकारी स्कूल के शिक्षकों से हुई चर्चा में यह बात उभर कर आती है कि जनतांत्रिक व्यवस्था में शिक्षा राज्य की आत्मा होती है। सरकार योग्य परामर्श और विद्वानों की मदद से शिक्षा की योजना तैयार करती है। जिसे सामाजिक भौगोलिक और सांस्कृतिक स्थिति के हिसाब से तैयार किया जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ का इतिहास रहा है कि यहां का शैक्षणिक सत्र बीच-बीच में अपडेट होता रहा है। शिक्षकों पर गैर शिक्षकिय कार्यों का इतना बोझ डाल दिया गया है कि शिक्षक अब धीरे-धीरे बाबू बनता जा रहा है…! यह एक धीमा जहर है … जो राष्ट्र की नीव को खोखला करने की ओर धीरे धीरे अपना दायरा बढ़ाते जा रहा है।

शिक्षको का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग जमीनी सच्चाई से हमेशा दूर रहा है। जिसका प्रमाण मौसम को देखते हुए बनाये हुए शैक्षणिक सत्र से अंदाज लगाया जा सकता है। योजना कर्ता मौसम के मिजाज को ठीक से नही समझ नहीं रहे है। यहाँ पर अप्रैल से तेज गर्मियां बढ़ना शुरू हो जाती है और मई महीने में गर्मियां बहुत तेज रहती है। इस समय प्रदेश का तापमान न्युनतम 29℃ और अधिकतम 41℃ से 44℃ तक होता है।
प्रशासन एहतियातन गर्मी को ध्यान में रखते हुए स्कूलों का टाइमटेबल बदल कर सुबह कर देता है । पढ़ाई के घंटों में भी कटौती की जाती है। दिसंबर आखरी और जनवरी के पहले हफ्ते में बहुत ठंड पड़ती है।वनांचल क्षेत्र में ठंड और कहर ढाती है। जब दबाव पड़ता है तो इस समय भी टाइम टेबल बदलाव होता है।

शिक्षकों बताते है राज्य के अन्य कर्मचारियों के लिए अब 52 हफ्ते का सीधा सा गणित सबके सामने है। सरकारी कार्यालय अब हफ्ते के पांच दिन खुल रहे है। फिर शिक्षा विभाग शिक्षकों की छुट्टियों पर ग्रहण क्यो लगा रहा है ?
छत्तीसगढ़ सिविल सेवा अवकाश नियम 1977 के नियम 27 में शिक्षकों को पहले दशहरा दीपावाली, शीतकालीन तथा ग्रीष्मकालीन अवकाश जो कुल 90 दिन का मिलता था इसलिये शिक्षको को विश्रामा अवकाश विभाग का कर्मचारी घोषित किया गया तथा शेष अन्य कर्मचारियों एवं अधिकारियों को नान वोकेशनल कर्मचारी मानते हुए उन्हें वर्ष में 30 दिन का अर्जित अवकाश दिया गया है । मौजूदा दौर में हफ्ते में पांच दिन सरकारी कार्यालय खुलने के कारण कम छुट्टीयो वाले कर्मचारी के सार्वजनिक अवकाश को छोड़कर वर्ष में कुल 87 दिन की छुट्टी मिल रही है ।वहीं ज्यादा छुट्टी पाने वाले शिक्षक को सार्वजनिक अवकाश को छोड़कर दशहरा दीवाली, शीत कालीन एवं ग्रीष्म कालीन की कुल छुट्टी 53 दिन की हो गयी है ।

सोशल मीडिया में पंखे, कूलर, एसी और फ्रिज की स्कूलों में लगाये जाने की मांग वाले कथित मेसेज पर शिक्षकों हुई चर्चा में यह बात सामने आती है कि सब मौजूदा दौर की बुनियादी और व्यवहारिक सुविधाएं हैं। सरकारी कार्यालयों में यह सब जब उपयोग हो सकता है तो स्कूलों में क्यों नहीं हो सकता है। स्टाफ रूम में क्यों नहीं लग सकता है। कक्षाओं में क्यों नहीं उपयोग हो सकता है। छात्रों और शिक्षकों को गर्मी के मौसम में ठंडा पानी पीने का अधिकार नहीं है क्या ..? निजी स्कूलों में तो यह सुविधाएं आम बात है।मौसम का मिजाज देखते हुए स्कूलों में सुविधाओं का विस्तर किया जाना चाहिए।

मई के हिसाब किताब गड़बड़ाने पर शिक्षकों का कहना है। प्रदेश के अधिकांश शिक्षक अपने मूल निवास दूर रहते हैं।इसलिए गर्मी की छुट्टियों का इंतजार शिक्षक का पूरा परिवार और नातेदार करते रहते है। कोई मांगलिक प्रसंग हो या फिर कहीं घूमने जाने का प्लान इसी गर्मी के मौसम में विशेष रुप से आयोजित किया जाता है। लॉकडाउन और कोरोना की वजह से बीते दो सालों से कोई कहीं घूमने फिरने नहीं गया है। मौजूदा समय को देखते हुए कई लोगों ने मई में ही अपना रिजर्वेशन करवा लिया है। सरकार के इस निर्णय से ऐसे प्रसंगों के लिए फिर से परिवर्तन करना होगा।शिक्षक इसके लिए फिलहाल मानसिक रूप से तैयार नही है।

शिक्षकों ने बताया कि कुछ एक अपवाद को छोड़ दिया जाए तो बच्चों को पढ़ाने में हमारे समर्पण में कोई कमी नहीं है। शिक्षक जाति-पाति, रंग-रूप, लिंग एवं आर्थिक स्थिति देख कर अपने छात्रों को शिक्षा नही देता है।शिक्षक के लिए सब एक समान है।हम निरन्तर सीखते रहते है। इस कोरोना काल मे हमने आन लाईन पढ़ाना सीखा है।स्मार्ट फोन और कम्प्यूटर ऑपरेट करना सीखा है। कोरोनाकाल मे छात्रों से सतत सम्पर्क में रहे है।असहज होते हुए भी बहुत ही विषम परिस्थियों में गली मोहल्ले में बैठकर पढ़ाए हैं।फिर भी सरकार इस समर्पण को समझ नही पाई । इस काल खंड में नेताओं और अफसरों के तकलीफ देय बयानों से शिक्षक समाज आहत भी हुआ है।

शिक्षकों ने अपनी दास्तान बताते हुए यह भी कहा कि वैक्सिंनेशन ड्यूटी और जागरूकता अभियान, जिले के नाको में ड्यूटी, छात्रों के जाति प्रमाण-पत्र, आधार कार्ड संधारण ,घर घर जाकर राशन वितरण, गरीबी रेखा सर्वे कार्य, छात्रवृत्ति के डाटा को कंप्यूटर में फीडिंग, रेल्वे स्टेशन और बस स्टैंड , कोरोना कंट्रोल सेंटर में डियूटी,मध्यानह भोजन की जवाबदारी, कृमिनाशक दवाओं वितरण, पोषण आहार सोया मिल्क बटाना , घर घर सर्वे और न जाने कितने अनगिनत … गैर शिक्षकिय कार्य को शिक्षक कर चुका है और कर रहा है।उसके बाद भी शिक्षको की छूट्टीयां शिक्षा विभाग को खटक रही है।

बताते चले कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र के लिए पूर्व में 46 दिन का ग्रीष्मकालीन अवकाश 1 मई 2022 से 15 जून 2022 तक निर्धारित किया गया था। जिसे बदल दिया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग से हाल ही में एक जारी आदेश में कहा गया है कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र 31 मार्च 2022 के स्थान पर 30 अप्रैल 2022 तक बढ़ा दिया गया है। आगामी शैक्षणिक सत्र 1 मई 2022 से 15 दिन के अतिरिक्त शैक्षणिक कार्य के लिए प्रारंभ किया जाएगा।

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