CG-शिक्षक भर्ती को लेकर लोकवाणी मे मुख्यमंत्री भूपेश ने कही यह बात…

Shri Mi
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रायपुर।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज ‘‘लोकवाणी‘‘ की 20वीं कड़ी में ‘‘आदिवासी अंचलों की अपेक्षाएं और विकास‘‘ विषय पर प्रदेशवासियों से बात-चीत करते हुए सबसे पहले छत्तीसगढ़ी में प्रदेशवासियों को पारंपरिक हरेली तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुसार हरेली साल का पहला त्यौहार है। इस दिन अपने गांव-घर, गौठान को लीप-पोत कर तैयार किया जाता है। गौमाता की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़िया भावना को ध्यान में रखते हुए हरेली सहित पांच त्यौहारों में सरकारी छुट्टी घोषित की गई है। उन्होने विश्व आदिवासी दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हमारी सरकार बनने के बाद प्रदेश में पहली बार विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। इससे सभी लोगों को आदिवासी समाज की परंपराओं, संस्कृतियों और उनके उच्च जीवन मूल्यों को समझने का अवसर मिला है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रदेशवासियों को अगस्त माह में आने वाले त्यौहार हरेली, नागपंचमी, राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस, ओणम, राखी, कमरछठ और कृष्ण जन्माष्टमी की भी बधाई दी।

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भूपेश बघेल ने बताया कि शिक्षा के लिए हमने संकटग्रस्त क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया। जिसके कारण सुकमा जिले के जगरगुंडा में 13 वर्षों से बंद स्कूल बीते साल खुल चुका है। कुन्ना में स्कूल भवन का पुनर्निर्माण तथा दंतेवाड़ा जिले के मासापारा-भांसी में भी 6 सालों से बंद स्कूल अब खुल गया है। कोरोना काल में पढ़ाई तुंहर पारा अभियान के तहत लाखों बच्चों को उनके गांव-घर-मोहल्लों में खुले स्थानों पर भी पढ़ाया गया। प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को मातृभाषा में समझाना अधिक आसान होता है इसलिए हमने 20 स्थानीय बोली-भाषाओं में पुस्तकें छपवाईं, जिसका लाभ आदिवासी अंचलों में मिला। बीस साल बाद प्रदेश में 14 हजार 580 शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति आदेश दे दिए गए हैं। इससे आदिवासी अंचलों में भी शिक्षकों की कमी स्थायी रूप से दूर हो जाएगी।

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मुख्यमंत्री ने कोरोना की ‘तीसरी लहर’ को लेकर सभी से बहुत सावधान रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि पर्व-त्यौहार मनाते समय फिजिकल डेस्टिेंसिंग का पालन करें, मास्क का उपयोग करें, हाथ को साबुन-पानी से धोते रहें तथा टीका जरूर लगवाएं। खुद को बचाए रखना ही सबसे जरूरी उपाय है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राम-वन-गमन पथ पर बात करते हुए कहा कि यह बहुत गर्व का विषय है कि भगवान राम का अवतार जिस काम के लिए हुआ था, उन प्रसंगों की रचना छत्तीसगढ़ में हुई। वास्तव में भगवान राम छत्तीसगढ़ में कौशल्या के राम और ‘वनवासी राम’ के रूप में प्रकट होते हैं।  यह अद्भुत संयोग है कि भगवान राम का छत्तीसगढ़ में प्रवेश, संचरण और प्रस्थान सघन आदिवासी अंचल में ही हुआ। कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका में प्रवेश और सुकमा जिले के अंतिम स्थान कोंटा तक उनकी पदयात्रा। एक बार फिर राम के रास्ते पर चलते हुए अगर हम 2 हजार 260 किलोमीटर सड़कों का निर्माण करते हैं तो इससे पूरे रास्ते में विकास के दीये जल उठेंगे। आस्था के साथ जुड़ी सड़कें, सुविधाओं के साथ आजीविका के नए-नए साधन भी आएंगे। यह समरसता और सौहार्द्र के साथ वनवासी राम के प्रति आस्था का परिपथ बनेगा, जो नदियों, नालों, झरनों, जलप्रपातों, खूबसूरत जंगलों से गुजरते हुए सैकड़ों पर्यटन स्थलों का उद्धार करेगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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