NTPC में राखड़ तूफान..परेशान ग्रामीणों ने बताया..इस जिन्दगी से अच्छी मौत..बेलगाम प्रबंधन को समझाने अब करेंगे उग्र आंदोलन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर (रियाज़ अशरफी)—एनटीपीसी सीपत के राखड़ डेम तूफान से परेशान ग्रामीणों  ने प्रशासन से एक बार फिर लगाई है। उड़ने वाली जहरीली राखड़ से परेशान प्रभावित ग्राम रॉक, रलिया, हरदाडीह, भिलाई, गतौरा, सुखरीपाली, कौड़िया, समेत आसपास के कई गांवों के सैकड़ो लोगो ने गुरुवार को मस्तूरी स्थित एसडीएम कार्यालय पहुचे। ग्रामीणों ने तहसीदार अतुल वैष्णव को बताया कि हमें बचाएं। हम जिन्दा तो हैं..लेकिन जिन्दगी मौत से बदतल है। 
               एनटीपीसी की राखड़ तूफान से परेशान दर्जनों गांव के ग्रामीण एसडीएम कार्यालय पहुंचे। ग्रामीणों ने तहसीलदार अतुल वैष्णव को लिखित शिकायत कर बताया कि एनटीपीसी पावर प्लांट के राखड़ डैम से उड़ने वाली राखड़ ने जीना मुश्किल कर दिया है। आसपास के दर्जनों गांवों के हजारों लोग मौत की जिन्दगी जीने को मजबूर हैं। घरों में पका भोजन भी खाना मुश्किल हो गया है। डैम से उड़कर राखड़…बर्तन और भोजनों में मोटी परते जम जाता है।
                मस्तूरी जनपद पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि रामनारायण राठौर,जनपद सदस्य देवी कुर्रे,गतौरा सरपंच सुरेश राठौर,उप सरपंच देव सिंह पोरते, सुखरी पाली के रेवाशंकर बताया कि एनटीपीसी प्रबंधन ने नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर कर दिया है। प्रबंधन ने गांव में राखड़ डेम बनाकर लोगों को अपाहिज बना दिया है। ज्यादातर लोगों में अस्थमा, खांसी, सर्दी, बुखार के अलावा सांस का बीमार बना दिया है। ग्रामीणों ने प्रबंधन को चेतावन देते हुए कहा कि यदि समस्या का  जल्द निदान नही हुआ तो जिन्दगी  जीने के किसी भी स्तर पर जा सकते हैं। हम सड़क पर उतरकर बिलासपुर से रायपुर तक उग्र आंदोलन करेंगे।
दो सौ एकड़ के परिधि में तीन राखड़ डेम
             सीपत एनटीपीसी के आश्रित ग्राम रॉक, रलिया और सुखरीपाली के लगभग दो सौ एकड़ से अधिक जमीन पर तीन राखड़ डेम का निर्माण कराया गया है। इन्ही राखड़ से भरे डैम से उड़ने वाली जहरीली राख गांव की जिन्दगी को बीमार कर दिया है। रॉक,रलिया ,हरदाडीह, भिलाई,गतौरा,सुखरीपाली,  कौड़िया,देवरी,एरमशाही, मुड़पार सहित आसपास के दर्जनभर गांवों में के लोगो का जीना दूभर हो गया है। जरा सी हवा  चलते ही पूरे इलाके में राखड़ का धुंध छा जाता है। 10 फिट की दूरी को देखना मुश्किल हो जाता है।
जहरीली राख से बचाने बच्चों को  रिश्तेदारों के घर भेज रहे
           डेम से उड़ती जहरीली राख और बीमारी से बच्चे को बचाने को लेकर स्थानीय लोग अपने रिश्तेदार पर निर्भर हो चुके है। ज्यादातर ग्रामीण अपने बच्चों को रिश्तेदारों के घर दूसरे गांव भेज रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि हम जब घर के अंदर राखड़ के प्रकोप से सुरक्षित नही है तो बच्चे कहा से रहेंगे।
                   बारिश आने के बाद ही बच्चों को वापस बुलवाएँगे।  बच्चों के बाहर होने से 15 जून से खुलने वाली स्कूल की पढ़ाई की प्रभावित होगी।
2008 का आंदोलन दोहराना पड़ेगा* 
          जनपद अध्यक्ष परिनिधि रामनारायण राठौर ने कहा कि एनटीपीसी प्रबंधन ने हम लोगो से विकास कराने का वादा किया था। हमारी जमीन को लिया। और हमें नारकीय जिन्दगी जीने को छोड़ दिया। एनटीपीसी ने गांव में विकास तो नही किया..लेकिन गांव में तीन तीन राखड़ डेम बनाकर लोगो की जिन्दगी को नरक बना दिया।
                  रामनारायण के अलावा एक स्थानीय चिकित्सक ने बताया कि प्रभावित गांव ी ज्यादातर आबादी अस्थमा,खांसी, सर्दी,बुखार के अलावा सांस सम्बधित कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हैं। उड़ते राखड़ से निजात दिलाने कई बार क्षेत्र के ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों ने एनटीपीसी प्रबंधन और जिला प्रशासन को ध्यानाकर्षण कराया ।लेकिन प्रबंधन पर कोई असर अब तक नहीं हुआ है।
                     राठौर ने बताया  कि 2008 के आंदोलन को फिर से दुहराना पड़ेगा। इसके बाद ही हमारी पीड़ा को प्रबंधन समझेगा।
15 वर्षों से मौत से दो दो हाथ को मजबूर
        एनटीपीसी निर्माण के बाद 15 वर्ष पहले सन 2007 में प्रभावित ग्राम रॉक,रलिया और सुखरीपाली में तीन राखड़ डेम का निर्माण किया गया। विद्युत उत्पादन में इस्तेमाल किये गए कोयला के राख को पानी मिलाकर पाइप लाइन  से  राखड़ डेम में डंप किया जा रहा है तब से आज तक राखड़ से हैवी मैटल का प्रकोप ग्रामीणों झेलना पड़ रहा है।
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