छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर से शुरू हो रहा है पिछले ढाई साल बाद विधानसभा सत्र में एलबी संवर्ग के शिक्षक जो पूर्व में शिक्षाकर्मी थे उनका मुद्दा इस बार सड़क से विधानसभा तक गरमाने के आसार हैं। शिक्षकों का कहना है कि इस सरकार को तीन साल होने को है। सरकार अब वादाखिलाफी कर रही है प्रदेश के तीन बड़े शिक्षक संगठन 11 , 14 और 17 दिसंबर से आंदोलन का मूड बना चुके हैं और आंदोलन की मुख्य वजह पुरानी सेवा की गणना और वेतन विसंगति बताई जा रही है जबकि सरकार ने शिक्षक व सहायक शिक्षक के पदोन्नति के लिए वन टाइम रिलैक्सेशन की घोषणा पहले ही कर दी है जिसमें शिक्षक फायदा कम नुकसान अधिक बता रहे हैं। छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय महासचिव कमलेश्वर सिंह राजपूत ने वेतन विसंगति को समझते हुए इस गतिरोध को तोड़ने का एक फार्मूला बताया है जो अन्य शासकीय कर्मचारियों को मिल रहा है।यह आम शिक्षकों को उनका पूर्ण अधिकार है इसके बाद एलबी संवर्ग की अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से चली आ रही विसंगति सदा सदा के लिए अंतरिक्ष में उड़ जाएगी।
छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय महासचिव कमलेश्वर सिंह ने बताया कि
वर्तमान में कार्यरत शासकीय शिक्षकों को भी 1963 में राज्य शासन ने स्थानीय निकाय से स्कूल शिक्षा विभाग में सविलियन किया गया था तथा उनकी पंचायत विभाग में की गई 9 वर्ष की सेवा को निरन्तर सेवा मान ली गई।जिसके बाद से उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग की समस्त सुविधाएं प्राप्त हो रही है।
शासकीय शिक्षकों को प्रथम नियुक्ति तिथि से 10 वर्ष सेवा पूर्ण तिथि में प्रथम क्रमोन्नति 20 वर्ष में द्वितीय और 30 वर्ष में तृतीय क्रमोन्नत वेतनमान में उच्चतर वेतनमान का वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे दिया जा रहा है ।
एक सूत्रीय फार्मूला
शिक्षक (एल बी) संवर्ग की 1998 से या जब से नियुक्ति हुई है इस सेवा को निरन्तर सेवा में गणना करते हुए 10 वर्ष में प्रथम 20 वर्ष में द्वितीय एवम् 30 वर्ष में तृतीय उच्चतर वेतनमान का लाभ दिया जाना चाहिए । बाकी संविलियन तक के एरियर्स को काल्पनिक गणना कर सेवा के हिसाब से नियमानुसार वेतन बैड , ग्रेड पे पुनरीक्षित वेतनमान की श्रेणी बना देनी चाहिए ताकि वेतन विसंगति सदा के लिए दूर हो जाए ।
मालूम हो कि कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में 1998 से नियुक्ति एवम् सभी को क्रमोन्नति वेतनमान देने का वचन पत्र जारी किया था और न्यायालय का भी यही मानना है प्रत्येक कर्मचारी को उनकी सेवा में आगे बढ़ने का अवसर देने के लिये क्रमोन्नति एवं पदोन्नति की पात्रता है जिसके प्रमाण भी मौजूद है जो स्कूल शिक्षा विभाग में अभ्यावेदन प्रस्तुत है जो अधिकारियों की जानकारी में है।
1998 के 2021 तक की वेतन विसंगति
कमलेश्वर सिंह बताते है कि इस फार्मूला के मुताबिक 1998 से जो सहायक शिक्षक पंचायत विभाग के अधीन रहकर कार्य कर रहे थे 2008 में 10 वर्ष पूर्ण होने के बाद उनका वेतन बैंड 9300 + ग्रेड पे 4200 + पुनरीक्षित वेतनमान 13500 बनता जिसमे डीए एचआर गतिरोध भत्ता जुड़ता।
वर्ग दो के शिक्षक को भी एक ही पद 2008 में 10 वर्ष पूर्ण होने के बाद उनका वेतन बैंड 12090 + ग्रेड पे 4400 + पुनरीक्षित वेतनमान 16490 बनता जिसमे प्रचलित डीए, एचआर, गतिरोध भत्ता जुड़ कर कुल वेतनमान बनाता
व्याख्याता वर्ग को भी एक ही पद में सेवा के 2008 में 10 वर्ष पूर्ण होने के बाद उनका वेतन बैंड 13950 + ग्रेड पे 4800 +18750 पुनरीक्षित वेतनमान बनता जिसमे प्रचलित डीए, एचआर, गतिरोध आदि जुड़ कर कुल वेतन मिलता ।
ठीक ऐसा ही और बढ़े हुए स्लैब में 2018 में 20 वर्ष में द्वितीय में पदोन्नति व क्रमोन्नत उच्चतर वेतनमान सातवे वेतन मान के अनुसार मिलता जिसके हकदार शिक्षाकर्मी शिक्षक पंचायत हुआ करते थे। पर ऐसा हो न हो सका आज कितना वेतन और किस स्तर पर संघर्ष से मिला है सब जानते है।
2008 से 2021 तक की वेतन विसंगति
सीजीवाल ने कमलेश्वर सिंह के बताए हुए सरकारी फार्मूले पर एक काल्पनिक उदाहरण 2008 में पंचायत कर्मी की सेवा शुरू किए सहायक शिक्षक, शिक्षक व व्याख्याता पर करते हुए यह बताने का प्रयास किया है कि 2008 में सेवा में आया शिक्षाकर्मी 10 वर्ष बाद 2018 में एक ही पद में रहते कितना और क्या लाभ पा सकता है।
सहायक शिक्षक 2008 से 2021 तक
सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ वेतन बैड , ग्रेड पे पुनरीक्षित वेतनमान व प्रचलित 17 प्रतिशत डीए, एचआर, गतिरोध आदि जोड़ कर 2008 में जो एलबी संवर्ग के 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हैं एक ही पद में रहते हैं सहायक शिक्षक वर्ग तीन को 2018 में सातवें वेतनमान के साथ 2018 में कुल 35400, 2019 में 36500, 2020 में 37600 बनाता जिसमे 17 प्रतिशत डीए, एचआर, गतिरोध भक्ता जुड़ता है जैसे कि 2021 में सेवा के 14वे साल में 38700 +17 प्रतिशत डीए 6579+ एचआर 945+ गरीरोध भत्ता 600 जो कुल वेतन 46824 होता ।
शिक्षक 2008 से 2021 तक
शिक्षक वर्ग दो को 2018 में सातवें वेतनमान के साथ 2018 में कुल 43200, 2019 में 44500, 2020 में 45800 बनाता जिसमे 17 प्रतिशत डीए, एचआर, गतिरोध भत्ता जुड़ता है जैसे कि 2021 में सेवा के 14वे साल में 47200 +17 प्रतिशत डीए 8024 + एचआर 1154+ गरीरोध भत्ता 600 जो कुल वेतन 56978 रुपये बनता है।
व्याख्याता 2008 से 2021 तक
चालीस हजार से अधिक शिक्षक संवर्ग के सबसे उच्च वर्ग का यह समूह का व्याख्याता है यदि वह 2008 में प्रथम नियुक्ति होता है और 10 वर्ष की सेवा एक ही पद में रहते हुए 2018 में सातवें वेतनमान के साथ 2018 में 49100, 2019 में 50600, 2020 में 52100 बनाता जिसमे 17 प्रतिशत डीए, एचआर, गतिरोध भक्ता जुड़ता है जैसे कि 2021 में सेवा के 14वे साल में वेतन 53700 +17 प्रतिशत डीए 9129 + एचआर 1321+ गरीरोध भत्ता 600 जो कुल वेतन 64741 का कुल वेतन मिलना चाहिए था ।
2008 में शिक्षको का वेतन चार अंको में सिमट जाता था। आज हालत यह है एक ही पद में रहते हुए 14 सालों में पचास हजार नही पार कर पाए है तो 1998 के शिक्षक की स्थिति क्या है ।अंदाज लगा सकते है। कमलेश्वर सिंह ने सभी शिक्षक संघ हो से अपील की है की इस दौर में हक के आंदोलन अलग अलग ना होकर एक ही छत के नीचे किया जाए। इससे शिक्षको की ताकत मजबूत होगी।इस बात को नजर अंदाज नही किया जाना चाहिये कि सरकारे कभी भी किसी एक संगठन की बात सुनती नहीं है। उसे सभी को साथ लेकर चलना पड़ता है। इस सूत्र को आम शिक्षकों और शिक्षक संघों को समझना होगा । इस लिये एकजुटता से हक की लडाई लड़नी चाहिए । और विसंगति को स्पष्टता से साफ नियत से सरकार और शिक्षकों के समक्ष रखना जरूरी है।