बिलासपुर—सरकार रामवन पथ गमन के सहारे सनातन धर्म और संस्कृति की जागृत आस्था का राजनीतिक उपयोग कर रही है। राम के नाम का विज्ञापनी सहारा लेने वाली सरकार की भगवान राम के बहाने रामायण में कितनी आस्था रखती है इसकी जानकारी सबको है। फुल पेज की कलरफुल समाचार और होर्डिंग्स में देखा जा सकता है। प्रेस नोट जारी कर यह बातें पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने कही। अमर ने बताया कि राम वन पथ गमन मान्यताओ के अनुसार धार्मिक आस्था के महत्व में वह इलाके आते हैं। जहां से भगवान राम सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान यात्रा किया और पड़ाव डाला। रामायण के मुताबिक भगवान राम ने वनवास का वक्त दंडकारण्य में बिताया। जिले से सुकमा तक राम वन गमन पथ के कुल लम्बाई लगभग 2260 किलोमीटर है।
छत्तीसगढ़ में राम वनवास काल से संबंधित 75 स्थानों को चिन्हित कर उन्हें नये पर्यटन सर्किट के रुप में आपस में जोड़ा जा रहा है। पहले चरण में उत्तर छत्तीसगढ़ में स्थित कोरिया जिले के हर चौका से लेकर दक्षिण के सुकमा जिले तक 9 स्थानों का सौंदर्यीकरण और विकास किया जाना है। राम वन गमन पथ के प्रथम चरण के लिए नौ स्थान चिह्नित किए गए हैं। सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरी नारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी) राजिम, सिहावा-साऋषि आश्रम, जगदलपुर शामिल है। सीतामढ़ी के बाद जांजगीर जिले में शिवरीनारायण के महामात्य से सभी जानते हैं। जांजगीर चांपा जिले के इस स्थान पर रुककर भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे। यहां जोक, महानदी और शिवनाथ नदी का संगम है। यहां नर-नारायण और शबरी का मंदिर भी है।
अमर ने बताया कि हिंदुत्व के जरिए वैतरणी पार करने के चक्कर में प्रदेश सरकार जमकर प्रचार प्रसार कर रही है। विज्ञापन और होर्डिंग्स में शिवरीनारायण के महामात्य की अवहेलना कर रही है। वरिष्ठ कांग्रेसी जन भी राज्य इकाई की कार्यशैली से दुखी है। वास्तव में रामवनपथ गमन के सहारे प्रदेश की सरकार राजनीतिक लाभ के लिए श्री राम को आत्मसात करने का दिखावा कर रही है। अमर ने कहा जो लोग भगवान राम को काल्पनिक मानते थे। आज वही लोग सनातन धर्म और संस्कृति की जागृत आस्था का उपयोग राम वन गमन के सहारे सत्ता की चाबी ढूंढने के लिए कर रहे हैं।