बिलासपुर–लुतरा शरीफ स्थित सूफी-संत हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह दरगाह के सज्जादानशीन यानि मुख्य खादिम हाजी मान खान की 74 वर्ष आयु में शनिवार को निधन हो गया। सज्जादानशीन हाजी खान ने शनिवार की सुबह 4 बजे दुनिया को अलविदा किया। दोपहर 2 बजे उनके पुत्र उस्मान खान के इजाजत के बाद दरगाह परिसर में ही डॉ कारी सैय्यद शब्बीर अहमद साहब ने जनाजा की नमाज पढ़ाई। सज्जादानशीन को अंतिम बिदाई देने जन सैलाब उमड़ गया। प्रदेश भर के सभी धर्म के लोगों ने लुतरा शरीफ पहुचकर अंतिम संस्कार में शिरकत किया। नमाज के बाद जनाजा को दरगाह में ले जाकर सलामी दिलाई गई। गुलशने मदीना कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्देखाक किया गया।
बाबा इंसान अली के रिश्तेदार थे सज्जादानशीन
हाजी मान खान हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह के भांजे मरहुम सदरुद्दीन के बेटे थे। जानकारी देते चलें कि हजरत बाबा इंसान अली शाह की बहन मरहुमा इज्जत बी के बेटे सदरुद्दीन के बेटे थे। हाजी मान खान रिश्ते से बाबा इंसान अली शाह के नवासा यानि नाती थे। हाजी मांन खान बाबा सरकार के उत्तराधिकारी भी थे।
दरगाह की चाबी छीनी तो लगा सदमा लगा
हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह के पोते और दरगाह के सज्जादानशीन हाजी मान खान का तीन साल पहले अपमान किया गया। बाबा के करीबियों ने बताया कि तीन साल पहले सितंबर बड़ी पार्टी के कुछ समर्थकों ने 2019 में छत्तीसगढ़ राज्य वक़्फ़ बोर्ड ने एक जम्बो कमेटी बनाई। लुतरा शरीफ दरगाह के निजाम और व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी। तत्कालीन समय कमेटी ने दरगाह की चाबी को सजजादानशींन के हाथों से छीन लिया। चाबी के छिनने जाने का सदमा इतना लगा कि बाबा बीमार रहने लगे। उन्होंने दो अन्य लोगो के साथ मिलकर वर्तमान कमेटी के नियुक्ति को ट्रिब्यूनल कोर्ट रायपुर में चैलेंज भी किया। तीन वर्ष गुजरने के बाद भी फैसला कोर्ट से नही आया। दरगाह की चाबी छीने जाने का सदमा बर्दास्त नहीं कर सके। और उन्होने फैसला आने से पहले ही दम तोड़ दिया।
सिर पर हाथ फेरकर दुआ देने वाले चले गए
दरगाह इंतेजामिया कमेटी के पूर्व अध्यक्ष हाजी अखलाक खान ने हाजी मान खान को नम आंखो से याद किया। उन्होने बताया कि हाजी साहब बड़े नेक व रहम दिल इंसान थे। दरगाह पहुचते ही जायरीन दुआएं लेने पहुच जाते थे। सभी लोगो के सरो पर हाथ फेरकर सलामती की दुआ करते थे। कोई भी इंसान उनसे मिलता उन्हें बाबा सैय्यद इंसान अली शाह के करामातों के बारे में बताते। उनके जीवन से जुड़े किस्से भी सुनाते थे । सभी लोग हाजी मान खान से मिलकर खुश हो जाते थे। हाजी अखलाक ने कहा कि अब लोगो के सिरों में हाथ फेरकर दुआएं देने वाला नही रहा।