भारतीय किसान संघ ने किया..काला दिवस मनाने का विरोध..किसान नेता धीरेन्द्र ने पूछ..समर्थन देने वाले संगठन बताएं..क्या दुष्कर्म का करेंगे समर्थन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—– भारतीय किसान संघ जिला अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसानों के काला दिवस एलान का हम विरोध करते हैं। भारतीय किसान संघ इस प्रकार के अलोकतांत्रिक मुद्दों को अलोकतांत्रिक नजरिए से देखता है। इस प्रकार का विरोध देश के हित में हरगिज नहीं है।
 
                        बताते चलें कि पिछले 6 महीने से दिल्ली सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे  किसान आंदोलन के नेताओं ने कृषि के तीन कानून के खिलाफ 26 मई को काला दिवस मनाने का एलान किया है। इस प्रकार के आंदोलन का भारतीय किसान संघ विरोध करता है। धीरेन्द्र ने बताया कि किसान आंदोलन में शामिल लोग देश में 26 जनवरी जैसा भय, आतंक और डर का माहौल बनाना चाहते हैं।
 
         धीरेन्द्र ने बताया कि  26 मई को ही काला दिवस मनाने का क्या कारण हो सकता है। इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है। लेकिन काला दिवस आंदोलन के बहाने सीमा पर मौजूद किसान..किसानों के नाम को बदनाम जरूर कर रहे हैं।
 
             धीरेन्द्र दुबे ने कहा कि राष्ट्र विरोधी कार्यों, विलासितापूर्ण रहन-सहन, राष्ट्रीय मान बिंदुओं का अपमान, विदेशी फंडिग, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन भारतीय किसान संघ को बर्दास्त नहीं है। आश्चर्य की बात है कि तथाकथित किसान नेता कोविड़ त्रासदी के समय भी स्वार्थ से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। इस प्रकार की छवि निर्माण करने का पाप भारतीय किसान संघ को हरगिज बर्दास्त नहीं है।
 
             धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि आंदोलन के आरम्भ से आशंका जाहिर किया था कि यह किसानों का आंदोलन नही हैे। आंदोलन कुछ अराजक तत्वों के हाथों से संचालित हो रहा है।  अप्रैल-मई माह में ही दिल्ली बार्डर में बंगाल किसान की 24 वर्षीय पुत्री के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। अंत में उसकी हत्या भी की गयी। जानकारी के बाद देश स्तब्ध है। घटना के  10-15 दिन तक मामले को  छिपाया गया। ताकि सबूत नष्ट किये जा सके।
 
                  किसान नेता दुबे ने कहा कि लड़की के पिता ने पुलिस केस दर्ज कराया। अन्यथा यह मामला दब गया होता। किसान नेता ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आंदोलनकारियों ने ऑक्सीजन गैस टेंकर्स को रोका , एम्बूलेंस में गंभीर रोगियों से बदसलूकी की है। जबकि लोगों का पेट पालने वाला कोई भी किसान इस प्रकार की हरकत नहीं कर सकता है। बावजूद इसके तथाकथित किसान नेताओं ने अवांछनीय हरकतों से देश को शर्मसार किया है।
 
           पंजाब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कोविड़ मरीजों के लिए रक्तदान शिविर का एलान किया। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने विरोध कर रक्तदान शिविर का आयोजन नहीं होने दिया। इन सब कृत्यों को शांतिपूर्ण आंदोलन का हिस्सा तो नहीं कहा जा सकता है। आंदोलन स्थल पर सैकड़ों किसानों की मौत भी हो चुकी है।
 
                 धीरेन्द्र ने बताया कि जिन 12 राजनैतिक दलों ने काला दिवस मनाने का एलान किया है। इन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे इस आंदोलन में हुए शर्मसार करने वाली घटनाओं का समर्थन करते हैं। देश का आम किसान जानना चाहता है कि लाचार किसानों के नाम को बदनाम करने का ठेका इन लोगों को किसने दिया है।
         
                                          दुबे ने कहा कि भारतीय किसान संघ आम जनता से निवेदन करता है कि इन हरकतों में देश के आम किसान को दोषी नहीं ठहराया जाए। देशभर के किसान संगठनों कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बनती है कि महामारी काल में आम जनता के बीच कोरोना के खिलाफ जन जागरण अभियान चलाएं। भूखे-प्यासे गरीबों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सेवा कार्य को अंजाम दें। 
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