जिला शिक्षा विभाग में बड़ा कारनामा..सामान्य प्रशासन के नियमों को दिखाया ढेंगा.अपात्र को बना दिया मास्टर…मास्टरमाइंड कौन?.विभाग मौन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— शिक्षा विभाग जो ना करे थोड़ा..पहले अनुकम्पा नियुक्ति और अब सीधी भर्ती में नियुक्ति को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। यद्यपि विभाग का दावा है कि जानकारी के बाद अभ्यर्थि की नियुक्त आदेश वापस ले लिया गया है। लेकिन विभाग के अधिकारी इस बात को लेकर मौन है कि गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई होगा भी या नहीं।

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                  पहले अनुकम्पा नियुक्ति और अब शिक्षकों की सीधी भर्ती में धांधली का नया मामला सामने आया है। यद्यपि मामले में  शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दावा है कि भूल को सुधार लिया गया है। लेकिन सवाल अभी भई जिन्दा है कि गलती करने वालों के खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई है। जानकारी यह भी सामने आयी है कि सीधी भर्ती में जमकर लेन देन का भी खेल हुआ है।

             जानकारी देते चलें कि मुंगेली निवासी एक व्यक्ति ने जिला शिक्षा विभाग को एक शिकायत पत्र दिया। पत्र में बताया कि सीधी भर्ती 2019 में शिक्षकों की नियुक्ति में भारी खेल हुआ है। एक व्यक्ति को सामान्य प्रशासन की गाइड लाइन को दरकिनार कर नियुक्त आदेश दिया गया। जबकि वह आयु की सीमा को पूरा नहीं करता है। 

नियमों की उड़ी धज्जियां

              शिक्षा विभाग को लिखे गए पत्र मे कहा गया है कि सामान्य प्रशासन से जारी गाइड लाइन के अनुसार अभ्यर्थियों तमाम नियमों के अलावा सीधी भर्ती के दौरान आयु की शर्तों को पूरा करना अनिवार्य है। बावजूद इसके विक्रांत कुमार को नियम खिलाफ नियुक्त आदेश दिया गया है। जबकि विक्रांत कुमार सामान्य प्रशासन के न्यूनतम आयु सीमा की शर्त का पालन नहीं करता है।

अपात्र को बना दिया पात्र

                सूत्र ने बताया कि विक्रांत कुमार का जन्म 22 जुलाई 1998 में हुआ है। शिक्षक बनने की पात्रता कम से 21 और अधिकतम 35 साल है। बावजूद इसके विक्रांत को बीस साल की जगह 21 साल बताकर विभाग ने प्राथमिक शाला सफरीकला तखतपुर के लिए  नियुक्त पत्र  थमा दिया।

              अन्दर खाने की माने तो विक्रांत ने नियुक्त पत्र पाने के लिए काफी खर्चा किा है। फिलहाल इस बात की जानकारी नहीं है कि खर्च किस किस के जेब में गया है। यदि शिकायत कर्ता की मानें तो विक्रांत तिवारी ज्वाइल कर लिया है। वहीं विभाग ने इस बात से इंकार किया है।     

क्या कहतें अधिकारी

  जिला शिक्षा विभाग के प्रभारी अधिकारी ने बताया कि मामले की शिकायत मिली थी। शिकायत के बाद जांच पड़ताल किया गया। विक्रांत तिवारी के खिलाफ की गयी गयी शिकायत को सही पाया गया। इसके बाद तत्काल बीईओ को सूचना भेजकर विक्रांत तिवारी को ज्वाइन करने से रोक दिया गया।

गलती के लिए जिम्मेदार कौन

           बताते चलें कि नियुक्त पत्र दिए जाने से पहले विभागीय स्तर पर अभ्यर्थी चाल चरित्र चेहरा समेत दस्तावेजों की गहन जांच पड़ताल होती है। लेकिन सभी जांच में विक्रांत खरा उतरा। सवाल उठता है विक्रांत को खरा उतारने वाला कर्मचारी कौन है। मामले में शिक्षा विभाग का गोल मोल है।

आरोपी को बचाया जा रहा

                     यदि विभागीय अधिकारी के बयान को सही मानें तो तब भी  सवाल अब भी खड़ा है कि नियुक्ति पत्र जारी करने वाला कौन है। यदि उसने गलती को जानबूझकर दबाया है तो उसके खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई है। यद्यपि अधिकारी मामले में गलती कबूल तो कर रहे हैं। लेकिन जिम्मेदार कर्मचारी या अधिकारी साजिशकर्ता नटवारलाल के खिलाफ जांच या कार्रवाई को लेकर मौन हैं।

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