संरक्षण प्राप्त ठेकेदार का बड़ा खेल..बन्द फाइल से पार किया लाखों का FDR..जमा कर दिया कलर फोटोकापी…दर्ज नहीं हुआ FIR
घोटालाबाज ठेकेदार को कौन बचा रहा...जल्द खुलेगी पोल
बिलासपुर—पिछली सरकार में संरक्षण प्राप्त ठेकेदार ने निगम को लाखों का फटका लगाया है। बन्द फाइल से ओरिजनल एडीआर यानी लाखों की अमानत राशि वाले दस्तावेज को गायब कर कलर फोटोकापी जमा किया। और ओरिजनल एफडीआर को बैक से भुनाा भी लिया। एफडीआर गायब करने में निगम कर्मचारियों की भूमिका अहम है। बावजूद इसके ना तो निगम कर्मचारियों के खिलाफ अपराध दर्ज हुआ और ना ही संरक्षण प्राप्त ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई हुई है।
पिछली सरकार में संरक्षण प्राप्त निगम ठेकेदार को साल 2023 में दो बड़ा ठेका मिला। ठेकेदार ने दोनो टेन्डर को निर्धारित लागत से 18 प्रतिशत कम दर पर हासिल किया। जैसे की दूसरे ठेकेदार करते हैं..संरक्षण प्राप्त ठेकेदार ने भी किया। दस प्रतिशत से ज्यादा नीचे की बोली होने पर दो अलग अलग टेन्डर के लिए साढ़े आठ प्रतिशत यानी लाखों की अमानत राशि FDR के रूप में निगम में जमा किया।
जानकारी हो कि FDR जमा कराने का मूल उद्देश्य..जनहित से जुड़ा है। यदि ठेकेदार काम छोड़ कर भाग जाता है। या फिर काम में गुणवत्ता की कमी पायी जाती है। ऐसी सूरत में FDR की राशि जब्त कर अधूरे काम को पूरा कराने की जिम्मेदारी एजेन्सी की होती है। ऐसा किया जाना ना केवल जनहित में है..बल्कि सिस्टम को काम कराने में आसानी भी होती है।
दो टेन्डर में लाखों का एफडीआर
निगम ने 2023 में तथाकथित ठेकेदार को दो टेन्डर दिया। पहला टेन्डर दो करोड़ का था। ठेकेदार को राजीव गांधी चौक से मगरपारा तक नाला निर्माण करना था। दूसरा साढ़े चार करोड़ का टेन्डर ठेकेदार को विभिन्न स्थानों में रोड वाइंडिंग,पार्किमग और नाला निर्माण के लिए दिया गया। कुल मिलाकर ठेकेदार ने दोनो काम के लिए शर्तों के अनुसार लाखों की अन्तर राशि FDR के रूप में निगम में जमा किया।
बन्द फाइल से ओरिजनल FDR पार
दिये गए टेन्डर में क्या कैसा काम हुआ..इसकी जानकारी सबको है। लेकिन ठेकेदार ने नटवार को पीछे छोड़ते हुए निगम सुरक्षा में रखी फाइल से अन्तर राशि चेक यानी अमानत राशि दस्तावेज को पार कर दिया। मजेदार बात है कि अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। क्योंकि संरक्षण हासिल ठेकेदार ने FDR की कलर फोटो कापी फाइल में ना केवल जमा किया। बल्कि ओरिजनल को बैंक में पेश कर भुगतान करा लिया।
शहर के साथ धोखा
सूत्र ने बताया कि इस प्रकार घटना निगम के लिए सामान्य है। पहले से लेकर आज तक अधिकारियों और कर्मचारियों से मिली भगत कर एफडीआर पार करने का खेल ठेकेदार खेलते रहे हैं। काम हो या ना हो…लेकिन फाइल गायब कर अमानत राशि पार कर दिया जाता है। यही कारण है शहर की आधारभूत संरचना बद से बदतर स्थिति में है।
राष्ट्रीय पार्टी का बड़ा पदाधिकारी
सूत्र ने बताया कि तथाकथित संरक्षण प्राप्त ठेकेदार राजनीतिक पार्टी का बड़ा पदाधिकारी भी है। दबाव में आकर उसके खिलाफ निगम प्रशासन ने FIR दर्ज नहीं किया। यदि एक्शन लिया गया होता तो..शायद ठेकेदार आज जमानत पर बाहर होता। बहरहाल सब कुछ जानते हुए भी आज तक ठेकेदार के खिलाफ FIR दर्ज नही कराया गया है। शायद ऐसा किसी दबाव में किया गया हो । बहुत अधिक संभावना है कि घोटाला में शामिल निगम कर्मचारी कर्मचारियों को बचाने के लिए FIR दर्ज नहीं किया गया। बहरहाल जानकारी मिल रही है कि जांच की रस्म अदायगी कर निगम प्रशासन ने मामले को रफा दफा कर दिया है।
ठेकेदार के हाथ में बड़े प्रोजेक्ट
जानकारी देते चलें कि संरक्षण प्राप्त ठेकेदार के हाथ में इस समय स्मार्ट सिटी के बड़े बड़े प्रोजेक्ट है। यद्यपि निगम को मालूम है कि पिछले पांच सालों में ठेकेदार ने जो भी काम किया…सभी गुणवत्ताविहीन हैं। बावजूद इसके संरक्षण प्राप्त ठेकेदार का कोई बाल बांका भी नहीं कर पा रहा है।
जांच का एलान
इस दौरान एक उम्मीद जरूर जगी है कि केन्द्रीय मंत्री तोखन साहू ने सेन्ट्रल टीम से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम को जांच का आदेश दिया है। उम्मीद है कि जांच में ना केवल संरक्षण प्राप्त बल्कि अन्य ठेकेदारों के अलावा भ्रष्ट अधिकारियों का असली चेहरा सामने आ जाएगा।