Bilaspur-“जलतरंग का प्रसार करने आधारशिला विद्या मंदिर में प्रस्तुति देंगे अंतरराष्ट्रीय कलाकार मिलिंद”

Shri Mi
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बिलासपुर।सोसाइटी फ़ॉर द प्रमोशन ऑफ क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमांगस्ट युथ(स्पिक मैके)के बिलासपुर चैप्टर के द्वारा आयोजित वाद्ययंत्र जलतरंग के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार श्री मिलिंद तुलंकर का कार्यक्रम आधारशिला विद्या मंदिर बिलासपुर में प्रातः 9 बजे से आयोजित है। छात्रों को इस वाद्ययंत्र के वादन, बारीकियां, इतिहास और संरक्षण से संबंधित जानकारियां भी प्रदान करेंगे। श्री मिलिंद भारत के उन शिरसस्थ कलाकारों में से एक हैं जो विलुप्त होते इस इंस्ट्रूमेंट के संरक्षण को प्रतिबद्ध हैं। आपके दादा स्व. पं.शंकर वी.कंहेरे से इस वाद्य यंत्र की प्रेरणा मिली। पं. नयन घोष, सितार वादक उस्ताद शाहीद परवेज़ और ताल योगी पं. सुरेश तवलकर का मार्गदर्शन आपको प्राप्त हुआ है। बाबा हरवल्लभ संगीत सम्मेलन जालंधर, अभिषेकी महोत्सव गोवा, हा मेला (भारतीय सेना) भूटान तथा एफ ई एस महोत्सव मोरक्को आदि कॉन्सर्ट्स में आपने प्रस्तुतियां दी हैं ।इस कला का प्रदर्शन विदेशों में भी कई जगहों जैसे मलेशिया, सिंगापुर, ऑस्ट्रिया,न्यूज़ीलैंड, यू एस ए, कनाडा, दुबई, अबुधाबी, मोरक्को में आपके द्वारा किया गया है। उस्ताद तौफ़ीक़ कुरेशी के साथ कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर कार्य कर रहे हैं। दोपहर 12 बजे कैरियर वर्ल्ड स्कूल में भी प्रस्तुति सम्पन्न होगी।  सीजीवालडॉटकॉम के whatsapp ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे

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ज्ञात हो कि स्पिक मैके की शुरुआत 1977 में आईआईटी, दिल्ली में हुई जिससे छात्रों को कम उम्र में ही भारत की कला व संस्कृति से परिचित कराया जा सके क्योंकि उस समय उनका मन और मस्तिष्‍क अधिक ग्रहणशील होता है। स्किक मैके का मकसद था छात्रों को देश के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों के सीधे संपर्क में लाना और उन्हें भारतीय विरासत के विभिन्न पहलुओं के बारे में अवगत कराते हुए प्रेरणा देना और फिर इंतज़ार होता की कब कलाकारों और कला के जादू से इन छात्रों के मन में कला के प्रति अनुराग और दिलचस्पी उजागर हो।

स्पिक मैके ने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत और कथक के कार्यक्रमों से अपनी शुरूआत की थी, पर जल्द ही इसमें कर्नाटक शास्त्रीय संगीत, सभी आठ प्रकार के शास्त्रीय नृत्य, लोक संगीत और नृत्य की विभिन्न शैलियाँ, योग और ध्यान, देश के विभिन्न राज्यों के शिल्प और बुनाई की शैलियाँ, समग्र खाद्य परंपराए, क्लासिक सिनेमा, चित्रकला, सामाजिक कार्य, दर्शन, धर्मशास्त्र, आदि विभिन्न विषयों पर प्रसिद्ध विशेषज्ञों द्वारा वार्ता इत्यादि गतिविधियाँ भी शामिल कर ली गयीं।

इन समस्त गतिविधियों के द्वारा हमारा प्रयास यही रहा है की युवाओं को एक अमूर्त या अस्पृश्य ज्ञानक्षेत्र की ओर ले जा सके. उन्हें उनके अंतरतम में बसे सत्व, रौंगटे खड़े कर देने वाले या आँखों से बरबस नीर बह निकलने वाले अनुभव अथवा ‘मैं नहीं जानता कि वह क्या था, पर जो भी था अद्भुत था’ जैसी भावना के साथ फिर से जोड़ना ही हमारा असली ध्येय है।

1980 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (1860) के तहत पंजीकृत करने के पश्चात्, 1981 में इस आन्दोलन ने अपने पंख पसारने शुरू किये और जल्द ही अहमदाबाद, मुंबई, कलकत्ता, खड़गपुर, हैदराबाद (1984), बैंगलोर (1985) तक पहुंच गया। जैसे जैसे आन्दोलन के स्वयंसेवक और छात्र विदेशों में पढने या बसने के लिए जाते रहे, वे अक्सर उस देश में स्पिक मैके अध्याय शुरू करने की इच्छा व्यक्त करते और इस प्रकार आज यह आन्दोलन अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, हांगकांग, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, फिलीपींस, बांग्लादेश, श्रीलंका, फ्रांस और नॉर्वे तक फैल चुका है।
स्पिक मैके में नियमित साप्ताहिक बैठकों में प्रबंध होता है जो आयोजन की लोकतांत्रिक शैली के मुख्य भाग में होते हैं, जहां अक्सर वार्ता के माध्यम से निर्णय लिया जाता है, शामिल करने, चर्चा, विश्लेषण, विस्तार, विकास के लिए जगह हमेशा रहती है।

इस लोक आंदोलन में स्वंयसेवको का भी अभिन्न योगदान है जो विभिन्न गतिविधियो में वर्षो से बिना किसी वेतन के सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
छात्र स्वयंसेवकों को शामिल करने और इस आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षक एक बड़ी भूमिका निभा सकते है। वे यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाए और स्कूल प्रशासन से सहायता प्राप्त करने के लिए भी अध्यापको की मदद ली जाते है, स्पिक मैके इस तरह के कर्मठ शिक्षकों की तलाश में रहती है जो जिम्मेदारी लेना चाहते हैं।

आउटरीच के विस्तार में खर्च और समय कम करने के लिए, AICTE, यूजीसी, सीबीएसई, आईसीएसई, राज्य और अन्य शिक्षा बोर्डों, केन्द्रीय विद्यालय संगठन, जवाहर नवोदय विद्यालय समिति जैसी संस्थाओं को स्पिक मैके की गतिविधियों को अपने पाठ्यक्रम का हिस्से बनाने के लिए संपर्क किया गया है।

स्पिक मैके को अपने विजन 2022 – और कोर प्रयोजन: “हर बच्चे को भारतीय और विश्व संस्कृति में व्याप्त रह्स्यवाद का अनुभव हो और उससे प्रेरणा मिले” तक पहुंचने के लिए अधिक संसाधनो की आवश्यकता हैं और इस कार्य में ईमानदारी और निरंतर प्रयास से एक लंबा सफर तय किया गया है। जिसमें निश्चित सफलता के विभिन्न पड़ाव भी हासिल किए हैं। संस्‍कृति और संगीत का सफर जारी है और साथ की तलाश है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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